नरेंद्र मोदी की सरकार ने संसद में मोटर व्हीकल एक्ट पास कराया, लंबी बहस के बाद, विरोधों का सामना करते हुए ये कानून बना। इस कानून का शुरु से ही विरोध होता रहा है, क्योंकि विपक्षी दलों का कहना है कि इसमें जो दरें रखी गई है वो काफी ज्यादा है। मोटर व्हीकल एक्ट ने ट्रैफिक चालान को पहले के मुकाबले 10 गुणा सख्त कर दिया है। जो चालान पहले 100 रुपये का हुआ करता था, अब वो 1000 रुपये का हो गया है। कुछ अपराधों पर तो चालान 25 हजार तक का है। ऐसे में लोगों को रास नहीं आ रहा है कि ये इतने दाम क्यों हो गए हैं।
दरअसल लोगों को रास ये तो आ गया है कि कानून सख्त हो गया है अब जेब पर ज्यादा बोझ पड़ेगा, लेकिन इस सदमे से लोग अभी भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं कि उन्हें अब कानून का पालन करना पड़ेगा। पहले तो 100-200 का चालान होता था तो लोगों को इतना नहीं दुख होता था, लेकिन अब जब 10 गुणा ज्यादा का चालान देना होगा तो वो तो परेशान करेगा। शायद इसी वजह से सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ तक लोग इसका विरोध कर रहे हैं। हमारे देश की जनता भी अजीब है, जिस बात का विरोध करना होता है हम अंधभक्त बन उसका समर्थन करते हैं और जिसका समर्थन करना होता है, हम उसका विरोध करते हैं।
कमाल है न कि सरकार कह रही है कि लंबा जीयो, सुरक्षित जीयो लेकिन हमें ये पसंद नहीं आ रहा है। जनता को शायद अच्छा नहीं लग रहा कि कोई सरकार उनकी लंबी उम्र की कामना कैसे कर सकती है? गलती जनता की नहीं है सरकारों की धारणा हमारी नजर में बनी ही ऐसी हुई है कि नेता के कर्मों में जल्दी से कुछ अच्छा नजर आता नहीं है। तभी तो अब हम लोग सोच रहे हैं कि हेलमेट पहनने के लिए जबरदस्ती करने वाली सरकार का इसके पीछे भी कुछ मकसद होगा।
जी हां मकसद है लोगों को डराना, ताकि कम से कम जुर्माने के डर से ही लोग हेलमेट पहनेंगे, सीट बेल्ट लगाएंगे, गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर बात नहीं करेंगे, ओवरस्पीड नहीं करेंगे, गाड़ी के कागज पूरे रखेंगे, 18 साल की उम्र से पहले गाड़ी नहीं मिलेगी। और अगर फिर भी कोई ऐसा करता है तो चालान कटेगा और इसका फायदा भी सरकार को होगा, जुर्माने का पैसा सरकार के खजाने में जाएगा और अर्थव्यवस्था में एक बूंद की तरह काम करेगा।
इस कानून के लागू होने से लोगों का तर्क है कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा, तो हां हो सकता है कि लोग 1000 रुपये न देकर 200-300 में बात खत्म कराना चाहें। लेकिन जो लोग देश में भ्रष्टाचार बढ़ने की बात कर रहे हैं, कम से कम वही लोग मामला रफा दफा न कराएं और पूरा चालान भर दें, तो भी बहुत होगा। असल मायने में ये कानून सफल हो जाएगा, अगर सिर्फ वही लोग जो इस कानून को भ्रष्टाचार से जोड़ रहे हैं वो ही ये कहना बंद कर दें कि कुछ ले दे कर बात खत्म कीजिए। और अगर इतना ही भ्रष्टाचार का डर है, या फिर पैसे से प्यार है तो 10 मिनट पहले निकलिए ताकि ओवरस्पीड न करनी पड़े, सीट बेल्ट पहन कर गाड़ी चलाइए, सारे कागज पूरे रखिये और चालान से बचिये। अगर आप अपराध करेंगे नहीं तो पुलिस खुद से तो कोई कानून बना नहीं देगी, तो अगर ज्यादा समस्या लगती है तो सारे कानून को मानिये और सुरक्षित रहिए और पैसा भी बचाइए।
भारत सड़क दुर्घटनाओं के मामले में बहुत ज्यादा बदनाम है, हमारे देश में लोग बीमारी से कम और सड़क दुर्घटना से ज्यादा मरते हैं। आए दिन हम खबरें सुनते हैं कि किसी जगह पर इतने लोगों की सड़क पर मौत हो गई। सालों से कोशिश की जा रही है कि लोगों को समझाया जाएं, जगह जगह पर होर्डिंग लगे होते हैं, अलग अलग नारे लिखे होते हैं better late then never, ऐसे नारे बहुत बार देखें होंगे लेकिन कभी लागू नहीं किए। बिना हेलमेट के रफ्तार से बाइक चलाना तो फैशन सा बन गया है। लेकिन अब ऐसा नहीं है, अगर ये कानून सही तरीके से काम किया तो बहुत जल्द हम सड़क दुर्घटनाओं पर काबू पा लेंगे।