हंसमुखपुर :
पीएम मोदी लगातार दाढ़ी बढ़ा रहे हैं. लोगों का कहना है कि ये बंगाल चुनाव के लिए हो रहा है लेकिन साथ-साथ में जीडीपी भी बढ़ रही है. बस मामला ये है कि जीडीपी नीचे जा रही है तो फजीहत हो रही है और दाढ़ी नीचे जा रही है तो साहेब टैगोर बन रहे हैं.
हे भगवान अब और ना बढ़े प्रधानमंत्री की दाढ़ी-
जिस दिन से हुजूरे आला ने दाढ़ी बढानी शुरू की है उस दिन से indian gdp लगातार गिर रही है. मुझे तो उस दिन का सोचकर डर लगने लगा है जब साहेब की दाढ़ी घुटने तक आ जाएगी. अभी तो दाढ़ी गले से थोड़ी सी नीचे आई है तो जीडीपी माइनस 24 पहुँच गई है. जब साहेब की दाढ़ी घुटने तक आएगी तो जीडीपी के लिए नया अंक निर्धारित करना पड़ेगा. जीडीपी भी बेचारी क्या करे अब उसकी तुलना जब प्रधानमंत्री की दाढ़ी से ही हो रही है तो फिर गिरने और उठने का क्या ही सवाल.
जीडीपी के गिरने से ध्यान आया आजकल जीडीपी को लेकर नया मुहावरा आया है. अब लोग ये नहीं कहते कि ये चीज गिर गई है या फिर ये निगेटिव में जा रही है. बल्कि कुछ लोग कहने लगे हैं कि इस चीज का जीडीपी हो गया. अरे उसे देखो कैसे धडाम से जीडीपी की तरह सड़क पर गिर गया. ऐसे-ऐसे मुहावरे बनाने लगे हैं लोग. अब बताओ अगर पीएम की दाढ़ी से तुलना करवानी है तो जीडीपी को इतनी बेज्जती तो महसूस करनी ही पड़ेगी ना.
अगर अब मोदी जी की दाढ़ी कट जाए तो अचानक से बढ़ेगी जीडीपी –
अब बेचारे मासूम भक्त कहते हैं कि मोदीजी ने किया है तो कुछ सोच समझकर ही किया होगा. अब indian gdp के पीछे यानी जीडीपी बढ़ाने के पीछे मोदीजी की जो बड़ी प्लानिंग है उसे समझ लीजिए. अभी मोदीजी दाढ़ी बढ़ा रहे हैं तो जीडीपी माइनस में जा रही है. जैसे-जैसे दाढ़ी बढ़ रही है वैसे-वैसे जीडीपी खिसकती जा रही है लेकिन उस दिन के बारे में सोचो जब अचानक मोदीजी अपनी दाढ़ी कटवा देंगे. एकदम क्लीन शेव करवा देंगे. उसदिन जीडीपी आसमान चूमेगी. उस दिन जीडीपी वैसे ही बढ़ेगी जैसे कोरोना काल में मोदीजी के बिजनेस मैन दोस्तों की आमदनी बढ़ी है. वैसे ही बढ़ेगी जैसे मेरे जीवन में समस्याएँ अचानक से बढती है.
तो भाईओं और भेनों जीडीपी बढाने का इससे बेहतर तरीका अभी तक दुनिया के किसी देश के पास नहीं है. इधर दाढ़ी कटी नहीं की उधर जीडीपी बढ़ी नहीं.
इसलिए तो कहते हैं कि मोदीजी ने किया है तो कुछ सोच समझकर किया होगा.