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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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पहले मैं स्टेशन में चाय बेचता था फिर मैं पीएम बन गया, अब मैं 400 स्टेशनों को बेचूंगा

यहाँ तक की इसकी शुरुआत भी उन्होंने ही की थी. खबर है कि सरकार National Monetisation Pipeline योजना यानी की NMP योजना के तहत 400 रेलवे स्टेशंस बेचने वाली है.
Troll Ambresh Dwivedi 26 August 2021
पहले मैं स्टेशन में चाय बेचता था फिर मैं पीएम बन गया, अब मैं 400 स्टेशनों को बेचूंगा

बेचूपुर:

ग्रेट खली ने तो ये मौसी वाला डायलॉग बहुत देरी से बोला है. हमारे साहब इससे पहले से इस डायलॉग के मुरीद हुए पड़े हैं. यहाँ तक की इसकी शुरुआत भी उन्होंने ही की थी. खबर है कि सरकार National Monetisation Pipeline योजना यानी की NMP योजना के तहत 400 रेलवे स्टेशंस बेचने वाली है. बेच तो बहुत कुछ रही है लेकिन इतनी लम्बी लिस्ट यहाँ लिख नहीं पाएंगे। तो स्टेशन की बात करते हैं. सरकार NMP योजना के तहत स्टेशन बेचने वाली है. साहेब पहले स्टेशन में चाय बेचते थे. फिर किसी ने उन्हें आईडिया दिया की पीएम बन जाओ और आज वो पूरा स्टेशन बेच रहे हैं. देश उस व्यक्ति को ढूंढ रहा है जिसने उन्हें पीएम बनने का आईडिया दिया था.

क्या बेचना है ऐसे सलेक्ट होता होगा-

कभी-कभी लगता है कि देश में इतने सारे रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और कम्पनियाँ हैं और ऐसे में किसे कब बेचना है मोदी जी कैसे निर्धारित करते होंगे। इतना काम कैसे करते हैं मोदीजी। फिर थोड़ा दिमाग लगाया तो समझ आया की कैसे बेचते होंगे। मोदीजी सुबह-सुबह उठकर सबसे पहले एक लिस्ट देखते होंगे की क्या बेचना है.

इसके बाद अक्कड़-बक्कड़ करके उसमें से एकसाथ दस बीस रेलवे स्टेशन, 20-25 एयरपोर्ट, 4-6 कम्पनियाँ और कुछ सड़कें निकालते होंगे और उसके बाद विक्रय विभाग की प्रमुख निर्मला ताई के पास पूरी लिस्ट भेज देते होंगे। ऐसे होता होगा मुझे लग रहा है.मुझे लगता है जैसे मोदीजी कहीं घूमने गए और देखा की अरे ये एयरपोर्ट तो रह ही गया जल्दी से इसे भी बेचने वाली लिस्ट में डालता हूँ और फट्ट से उसे भी बिक्री विभाग के पास भेज दिया। ऐसे में हांथों हाँथ उसका भी सौदा हो जाता था.

स्टेशन क्यों बेच रहे हैं मोदीजी-

इसके पीछे की वजह मैं आपको बता देता हूँ. इंसान अपने बुरे वक्त को याद नहीं करना चाहता है. वो आसपास से अपने बुरे वक्त की सारी चीजें हटा देना चाहता है. अब मोदीजी ने स्टेशन में चाय बेची है, खूब मेहनत की है और वो समय उनके जीवन में एक बुरा वक्त था. खुद कमाना और खाना।

दिन रात रेलवे स्टेशन में चाय बेचना और फिर अगली सुबह फिर से वही शुरू कर देना। ऐसे में मोदीजी का कहना है कि वो सारी बुरी चीजें हटा l’देना चाहते हैं जहाँ उन्होंने संघर्ष किया है. जहाँ उन्होंने गरीबी के दिन काटे हैं. अब न रहेगा स्टेशन और न ही उनकी बुरी यादें। जैसे प्रेमिका के जाने के बाद बुरी यादें भुलाने के लिए लड़के खत और उसकी दी हुई टी-शर्ट जला देते हैं ठीक वैसे ही मोदीजी भी कर रहे हैं. अब इसमें कुछ बुरा नहीं कहना चाहिए अगर इंसान अपने अतीत की बुरी यादों को मिटा रहा है.

समस्या यहाँ हैं कि बुरी यादों को मोदीजी कुछ ज्यादा ही मिटाने में लग गए हैं. अपनी भूतकाल की यादों को मिटाने के चक्कर में स्टेशन ऐसे बेच रहे हैं की लोगों का वर्तमान खतरे में पड़ गया है. खैर बेच देंगे तो क्या हुआ. दिल को अब बुरा नहीं लगता क्योंकि एक ही दिल था वो तो देशवासी कब का मोदीजी को दे चुके हैं.

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.