2014 आम चुनाव के बाद, 2019 में भी कांग्रेस का रथ राहुल गांधी ने ही संभाला था, लेकिन नतीजे बहुत खराब आए थे। देश की जनता ने भाजपा और पीएम मोदी पर भरोसा किया और जो जनादेश आया उसने राजनीतिक पंडितों और क्रिटिक्स दोनों को हैरत में डाल दिया। हार की जिम्मेदारी राहुल गांधी ने ली और पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और सोनिया गांधी फिर से पार्टी अध्यक्ष बन गई। इस बीच पार्टी ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा को सामने लाना और उन्हें फ्रंट फुट पर रखना शामिल था।
प्रियंका का देश की सक्रिय राजनीति में आगमन कहने को तो एक पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट था लेकिन इस प्रयोग ने जैसे पार्टी को फायदा पहुंचाया उसकी कल्पना राहुल गांधी और सोनिया गांधी से लेकर पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं तक शायद ही कभी किसी ने की हो। साल 2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव है और जैसे रोज प्रियंका योगी आदित्यनाथ को टक्कर दे रही हैं, कोई बड़ी बात नहीं है कि प्रियंका को भविष्य में हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देख लें।
संजीवनी बनी प्रियंका
राहुल गांधी की अपेक्षा प्रियंका गांधी ज्यादा प्रभावी ढंग से राजनीति कर रही हैं। क्योंकि वो राजनीति के प्रति काफी गंभीर हैं, इसलिए ये कांग्रेस पार्टी के लिए सोने पर सुहागे जैसी बात है। जब हाथरस में एक दलित लड़की के साथ हुआ रेप, बच्चे-बच्चे की जुबान पर है और बतौर जनता हमारी नजरों के सामने हो, जिस तरह प्रियंका गांधी योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस से मोर्चा ले रही हैं। जिससे इन मुश्किल हालात में प्रियंका कांग्रेस पार्टी के लिए हनुमान साबित हुई हैं जिसकी लाई हुई संजीवनी बूटी से पार्टी को जीवनदान मिला है।
हाथरस मामले में मृत दलित लड़की के परिजनों से हाल चाल लेने उनके गांव पहुंची प्रियंका गांधी की एक तस्वीर इंटरनेट पर खूब सुर्खियां बटौर रही है। जिसमें पुरुष पुलिसकर्मी उनको धकेलते नजर आया। एक मजबूत विपक्ष कैसा होना चाहिए इस तस्वीर ने हमें बता दिया है, ध्यान रहे कि हाथरस मामले के मद्देनजर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस की खूब किरकिरी हुई है। तिल का ताड़ न होकर मामले की निष्पक्ष जांच हो, इसलिए प्रशासन ने मृत दलित लड़की के गांव में धारा 144 लगाई थी।
प्रियंका पर हुआ बल का इस्तेमाल बदलेगा माहौल
सरकार और सूबे के मुखिया को घेरने के उद्देश्य से प्रियंका गांधी वाड्रा दल बल के साथ मौके पर पहुंची। जहां उनकी और पार्टी के अन्य लोगों की पुलिस के साथ तीखी झड़प हुई और नौबत बल प्रयोग तक आ गयी। तस्वीर में साफ दिखा कि जहां एक तरफ प्रियंका कांग्रेस समर्थकों को पुलिस की लाठियों से बचाने के लिए सामने रहीं। तो वहीं पुलिस उनके साथ भी फिजिकल हुई।
तस्वीर में साफ दिख रहा है कि पुलिस वालों ने प्रियंका को कंधे से दबोच रखा है। एक ऐसे वक्त में जब कांग्रेस पार्टी को अराजकता, परिवारवाद और भ्रष्टाचार का हवाला देकर देश की जनता ने गर्त के अंधेरों में डाल दिया हो, प्रियंका गांधी की ये तस्वीर इसलिए भी नजीर बन गयी है क्योंकि जिन चीजों के लिए राहुल गांधी को फ्रंट फुट पर रहना चाहिए। उनका सामना अब प्रियंका को करना पड़ रहा है।
वर्तमान में आई तस्वीरों को देखकर हम इस बात का अंदाजा भी आसानी से लगा सकते हैं कि भविष्य में प्रियंका का कद क्या होगा। राहुल गंधी के इतर आज जिस सहजता से प्रियंका गांधी वाड्रा छोटी से छोटी बातों को एक गंभीर मुद्दे की तरह पेश कर रही हैं ये यूपी के मुख्यमंत्री को लंबे समय तक दर्द देगा। गौरतलब है कि यूपी की सियासत देश के अन्य हिस्सों से काफी अलग है। कभी सपा तो कभी बसपा फिर सपा यहां जलवा क्षेत्रीय दलों को रहा है। साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बड़ा उलटफेर उस वक्त देखने को मिला जब सपा कांग्रेस गठबंधन को नकारते हुए भाजपा को सत्ता मिली और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने।
मजेदार हो सकते हैं 2022 के चुनाव
अभी के हालात को देख कर तो कह सकते हैं कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में टक्कर होगी। वहीं सपा, बसपा समेत बाकी दलों को साइड में रहना पड़ेगा। वहीं कांग्रेस की प्रियंका के रूप में चुनौती को भाजपा के लिए स्वीकार करना आसान तो हरगिज न होगा। कांग्रेस के रुख पर लोगों की जो प्रतिक्रियाएं आ रही है और सरकार की जो किरकिरी हो रही है, उससे तो साफ दिख रहा है कि जिस चीज की विपक्ष को जरूरत थी वो हातरस केस से मिल गई।
हाथरस पहुंचने में प्रियंका को भले ही देर हुई लेकिन वो बिल्कुल दुरुस्त पहुंची हैं और उन्होंने सूबे की हवा को बदल कर रख दी है। वो कंग्रेस जो तिल-तिल मर रही थी प्रियंका पर पड़ी लाठी ने उसे जीवनदान दिया है। तस्वीरें लोगों के जहन में दर्ज हो गई है। इतिहास इसे याद रखेगा।