“लंदन से आई कपरा करिया, अबकी बार जीतेगी पुष्पम पिरिया”. बिहार चुनाव के दौरान लइका सब इस नारा से पूरा सोशल मीडिया पाट दिए थे. लेकिन ये नारा केवल सोशले मीडिया तक ही सीमित रह गया. पुष्पम पिरिया की सोशल मीडिया में बहुत लोकप्रियता है लेकिन वोट नहीं मिले। उनसे यही समझ लेना चाहिए कि सोशल मीडिया वाले निब्बा असल जिंदगी में काम नहीं आते.
पिरिया जी के फेसबुक पर जमकर कमेंटबाजी चलती है. मतलब इतनी की लइका सब उनको बिना चुनावे के मुख्यमंत्री बनवाए दे रहे थे. अब जब रिजल्ट आया तो उतने वोट भी नहीं मिले जितने उनके पोस्ट पर कमेंट आते हैं. अब पिरिया जी का मन यही बोल रहा होगा कि गंगा बोलकर छोटे नाले में कुदा दिया। हाय रे कमेंट करने वालों कहाँ मर गए तुम सबके सब. एक-एक वोट भी दे जाते तो साला नोटा से अधिक वोट मिलते। दरअसल पिरिया जी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं.
पिरिया जी का सोशल मीडिया बहुत तगड़ा है और इतना तगड़ा की पोस्ट करने के कुछ देर बाद ही हजारों की संख्या में लाइक में आ जाते हैं. लेकिन उनके बिहार के कुल दे तो उतने वोट नहीं मिले जितने कि पिरिया जी के सोशल मीडिया के एक पोस्ट में आते हैं. अब साला निब्बा सब ऐसा धोखा दिए हैं की बताएं ही क्या। बिहार के लोग फ्री में वैक्सीन लगवाने के चक्कर में ये भूल गए कि कोई है जिसे पूरा दिन सोशल मीडिया में वो फॉलो करते हैं और उसे भी भोट देना है.
एक भाई से बात हुई तो उसने कहा कि “यार सोचे तो थे की नौकरी सबका बात कर रही है तो भोट दे देंगे लेकिन नहीं दे पाए. सोचे जब कोरोनवा से बचेंगे तभी ना नौकरी पर जाएंगे। इसलिए पहले जान बचाओ फिर नौकरी पाओ. आखिरी तक सोचे कि देंगे नहीं दे पाए. जान है तो जहान है.
तो अब समझ लो कि सोशल मीडिया वाले निब्बा हर जगह काम नहीं आते हैं और असल जिंदगी में तो बिलकुल भी नहीं। ये बीएस “नाइस पिक डिअर” लिख के निकल लेते हैं.