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पुष्पम प्रिया के पास सिर्फ दिखावी समर्थन या सच में जनता का साथ

जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यही घोड़ा राज्य की तस्वीर बदलेगा और यही पंख बिहार को नई उड़ान देंगे। पुष्पम प्रिया जमीन पर काफी मेहनत कर रही है।
Logic Taranjeet 19 October 2020
पुष्पम प्रिया के पास सिर्फ दिखावी समर्थन या सच में जनता का साथ

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मंच तैयार है। जेल में बंद लालू प्रसाद से लेकर हैदराबाद के ओवैसी तक का शोर है। कहने को तो मुख्य मुकाबला तेजस्वी और नीतीश के बीच है। लेकिन इसे दिलस्प बनाने के लिए कई लोग है। जैसे उपेन्द्र कुशवाहा, पप्पू यादव, चिराग पासवान। हर पार्टी अपनी पूरी मेहनत कर रही है और कोरोना संकट के बावजूद पूरी तैयारी कर रही है। सारे दावेदारों और राजनीतिक दलों के बीच में एक नाम ऐसा भी है जो सोशल मीडिया पर खूब छाया हुआ है। हालांकि पूरा बिहार भी अभी उनके नाम से वाकिफ नहीं है लेकिन जो भी जानता है वो सीधे उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में ही जानता और पहचानता है। इनका नाम है पुष्पम प्रिया चौधरी।

6 महीने में मशहूर हुई पुष्पम

पुष्पम अचानक से सुर्खियों में आ गई थी, क्योंकि उन्होंने अखबारों के पहले पेज पर विज्ञापन दिया और खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया। चुनाव में बहुत अधिक समय नहीं था फौरन ही पार्टी का ऐलान कर दिया और नाम रखा प्लूरल्स पार्टी। अब बिहार के विधानसभा चुनाव में ये प्लूरल्स पार्टी पूरी तरह से कूद पड़ी है और राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।

खुद लंदन से पढ़ाई कर लौटी पुष्पम प्रिया चौधरी 2 सीटों से चुनाव लड़ रही हैं। ये दोनों सीट बांकीपुर और बिस्फी की है। पुष्पम प्रिया खुद ही अपनी पार्टी की लगाम थामे हुए हैं और हर दिन जनता के बीच पहुंच रही हैं। 6 महीने पहले तक पुष्पम प्रिया को जानने वालों की तादाद बेहद ही कम रही होगी। लेकिन अब उनके कार्यकर्ता से लेकर विरोधी दलों तक के लोगों के बीच वो मशहूर तो काफी है।

2030 तक बिहार को नई तस्वीर देने का वादा

पुष्पम प्रिया के पिता विनोद चौधरी जेडीयू से एमएलसी रहे हैं और नीतीश के काफी करीबी हैं। उनका कहना है कि अगर मौका मिला तो साल 2025 तक बिहार को भारत के अगली पंक्ति वाला राज्य बना देंगी और साल 2030 तक बिहार की तुलना किसी अंतराष्ट्रीय देशों के राज्यों से की जा सकेगी। वहीं प्लूरल्स पार्टी का लोगो पंख लगा हुआ घोड़ा है। जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यही घोड़ा राज्य की तस्वीर बदलेगा और यही पंख बिहार को नई उड़ान देंगे। पुष्पम प्रिया जमीन पर काफी मेहनत कर रही है।

काम तो शानदार किया है

पुष्पम प्रिया लगातार बिहार के सियासी दलों पर हमलावर हैं। हालांकि पुष्पम प्रिया बिहार में क्या गुल खिलाएंगी, इसपर चर्चा करना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन जिस ऐजेंडें के साथ पुष्पम प्रिया मैदान में आई हैं वो शायद बिहार की राजनीति को बदलने की एक हल्की सी कोशिश हो। पुष्पम प्रिया के पास राजनीतिक अनुभव तो नहीं है लेकिन विरासत जरूर है।

उनके साथ कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी हो रही है और बिहार के कई जिलों के स्कूल, अस्पताल, गांव, चौपाल तक बराबर पुष्पम प्रिया दौड़ लगा रही हैं और बड़ी तेजी के साथ लोगों को अपनी पार्टी में जोड़ रही हैं। पुष्पम प्रिया को सिर्फ दिखावी समर्थन हासिल है या फिर सच में लोग उनके साथ आ रहे हैं ये तो चुनावी नतीजा बताएगा लेकिन पुष्पम प्रिया ने एक शानदार काम किया है जिसके लिए वो तारीफ के लायक हैं।

जातिवाद से पूरी तरह परहेज किया

बिहार चुनाव में सबसे अहम जातिवाद होता है, ऐसे में पुष्पम प्रिया अपने आप को धर्म और जाति से दूर रख कर प्रचार कर रही है। इसलिए जब टिकट का ऐलान किया गया और उनकी लिस्ट जारी की गई तो सभी उम्मीदवारों का धर्म बिहारी और जाति में उनका पेशा लिखा गया है। ये एक अनुभव था लेकिन जातिवाद और धर्म के खेल को चुनाव से दूर रखने के लिए अच्छी कोशिश है।

हालांकि सीटों पर लड़ना और जीतने में फर्क होता है। कुछ लोगों का तो कहना है कि वो अपनी सीट भी नहीं जीत पाएंगी। बिहार के चुनाव में किसी नए उम्मीदवार का बिना जातिवाद के सफल हो जाना बहुत मुश्किल होताहै। पुष्पम प्रिया मेहनत तो खूब कर रही हैं लेकिन एक पार्टी को खड़ा करने के लिए अभी उन्हें और मशक्कत करने की जरूरत हो सकती है। मुद्दों के साथ जमीन पर आना पड़ेगा सिर्फ जनसंपर्क से ही काम नहीं होने वाला है। ये भले ही उतनी मजबूत न हों लेकिन उनके काम करने के तरीके से लगभग सभी पार्टियां प्रभावित हैं।

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.