मौका है कांग्रेस स्थापना दिवस का और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी इटली की टिकट कटा कर पतली गली से निकल लिए। हालांकि कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहना है कि उनकी नानी की तबियत खराब है और वो उनसे मिलने के लिए गए हैं। हालांकि जैसे ही ये खबर आई कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी इटली चले गए हैं, तो बस सोशल मीडिया उनके पीछे पड़ गया। उनकी खूब खिल्ली उड़ी।
इस वक्त पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी को राजनीतिक विफलताओं का जमकर सामना करना पड़ रहा है। एक के बाद एक राज्य हाथ से निकलते जा रहे हैं और लोकसभा में भी कांग्रेस फीसड्डी है वहीं आंतरिक कलह भी तो पार्टी का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। इस सबमें किरकिरी सबसे ज्यादा राहुल गांधी की ही हो रही है।
वैसे तो राहुल गांधी बहुत मौकों पर विदेश दौरों पर जाते रहे हैं और वो भी काफी अहम मौकों पर। नया साल, जन्मदिन पर तो चलो समझ आता है, लेकिन चुनाव, संसद सत्र, पर भी वो विदेश चले जाते हैं। कोरोना काल में भी वो इटली चले गए थे, वहीं महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे थे और युवराज छुट्टियों पर थे।
वहीं मानसून सत्र में भी वो गायब ही थे। लेकिन इस वक्त उनका इस तरह से इटली जाना बेहद अजीब घटना है। देश इस वक्त कोरोना के दौर से तो गुजर ही रहा है लेकिन साथ ही दिल्ली के बॉर्डर पर एक महीने से भी लंबे वक्त से किसान आंदोलन पर बैठे हैं। इस दौर में विपक्षी सबसे बड़ी पार्टी के नेता का इस तरह से इटली के दौरे पर चले जाना कांग्रेस पार्टी को और उनके समर्थकों को और ज्यादा कमजोर करता है।
राहुल गांधी के साथ हमेशा से ही ये देखा गया है कि वो बड़े मौकों को पूरी तरह से गंवा देते हैं। ऐसा लगता है कि शायद उन्हें गांधी परिवार के वारिस होने की सजा मिल रही है, उन्हें जबरदस्ती राजनीति में थोपा गया है। राहुल गांधी सत्ता पक्ष के निशाने पर तो हमेशा रहते ही हैं, लेकिन मीडिया का एक हिस्सा भी हाथ मुंह धोकर उनके पीछे पड़ा है। साथ में सोशल मीडिया तो है ही अपना काम करने में और उन्हें पप्पू बनाने के लिए, लेकिन अगर इस तरह के काम उनके चलते रहेंगे तो बचे हुए कांग्रेस समर्थक भी अपने लिए दूसरे विकल्प तलाशने में जुट जाएंगे।
इस वक्त किसान आंदोलन पूरे जोर से चल रहा है और सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। ऐसे में जब किसानों को सरकार पर दबाव बनाने के लिए विपक्ष की सबसे ज्यादा जरूरत है, तो कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का यूं गायब हो जाना उनके मनोबल को पूरी तरह से तोड़ देता है। इस वक्त जहां राहुल गांधी को किसानों के साथ जमीन पर होना चाहिए था और उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए था, तो उनका गायब रहना कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है। सिर्फ इटली जाना ही नहीं बल्कि पूरे आंदोलन में ही राहुल गांधी बहुत धीले दिखें।
कांग्रेस नेता की अगर सारी बातों को दरकिनार भी कर दें तो अपनी पार्टी के ही स्थापना दिवस पर उनका इटली चले जाना और निराशाजनक है। कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे खराब समय को झेल रही है, ऐसे में जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को होने वाले अध्यक्ष का साथ चाहिए था, तो वो वहां मौजूद नहीं थे। पार्टी की तरफ से कई अहम अभियानों की भी शुरआत करनी थी, लेकिन राहुल गांधी का नहीं रहना इन अभियानों को भी कमजोर करता है।