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पटियाला के राजा भूपिंदर सिंह के पास थीं इतनी रानियां कि गिनते-गिनते थक जाए कोई

पटियाला में एक राजा हुए थे। नाम था इनका महाराजा भूपिंदर सिंह। बहुत ही अमीर ये माने जाते रहे हैं। बताया जाता है कि अरबों की संपत्ति के ये मालिक थे। महाराजा भूपिंदर सिंह की आदतें ऐसे थीं कि ये आज भी चर्चा का विषय बन ही जाती हैं।

इतनी थीं रानियां

महाराजा भूपिंदर सिंह की रानियों की संख्या 365 थी। हालांकि, ये सभी महाराजा भूपिंदर सिंह की पत्नियांनहीं थीं। उनकी पत्नियां तो 5 ही थीं। बाकी महिलाओं को रानी की हैसियत दी गई थी। इसी हैसियत से वे महाराजा के समक्ष जाया करती थीं। महाराजा भूपिंदर सिंह को 82 बच्चे हुए थे। हालांकि, ये सभी बच्चे जिंदा नहीं रह सके। जो बच्चे जीवित बचे थे, उनकी संख्या 53 थी।

संख्या पर विवाद

ऐसा कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, जो इनकी रानियों के बारे में बताए। इसे लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। फिर भी यह कहा जाता है कि इनकी रानियों की संख्या 300 से अधिक ही थी। इतिहासकार भी इसे लेकर अलग-अलग मत रखते हैं। वैसे ज्यादातर इतिहासकार रानियों की आधिकारिक संख्या 10 बताते हैं।

भोग-विलासिता से भरी जिंदगी

महाराजा भूपिंदर सिंह भोग-विलास पसंद करने वाले व्यक्ति थे। उनके पास हर तरह की भोग-विलास की सुविधाएं मौजूद थीं। इसलिए उन्होंने बड़े महंगे शौक पाल रखे थे। सिर्फ 9 साल की उम्र में ही महाराजा भूपिंदर सिंह राजा बन गए थे। इनका जन्म 1891 में 12 अक्टूबर को हुआ था। ये महाराजा बने थे 1900 में 8 नवंबर को। हालांकि, कार्यभार इन्होंने 18 वर्ष की उम्र में संभाला था। लंबे अरसे तक इन्होंने पटियाला पर अपना शासन चलाया। बताया जाता है कि इनका राज 38 सालों तक रहा था।

जाने गए अपनी रंगीन मिजाजी के लिए

महाराजा भूपिंदर सिंह अपनी रंगीन मिजाजी के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। इनकी सनक भी बड़ी अलग तरह की थी। ‘महाराजा’ नाम की एक किताब में इन सबका जिक्र है। इस किताब को उनके दीवान जरमनी दास ने लिखा था। महाराजा भूपिंदर सिंह ने बड़े ही नजदीक से उनकी जिंदगी को देखा था। इसलिए उन्होंने इस किताब में बहुत सी बातें लिखी हैं। वैसे, किताब को लेकर विवाद भी खूब हो चुका है। फिर भी सब लोग एक बात पर सहमत हो जाते हैं। वह यह है कि उन्होंने भोग-विलास से भरा हुआ जीवन बिताया था।

बिना कपड़ों के महल में

महाराजा भूपिंदर सिंह की सनक का जिक्र इस किताब में है। इसके मुताबिक पटियाला में भूपेंद्रनगर जाने वाली सड़क पर उन्होंने एक महल बनवा रखा था। इस महल का नाम लीला भवन था। इस महल में लोग केवल बिना कपड़े के ही अंदर जा सकते थे। ऐसा महाराजा का फरमान था। इसमें प्रेम मंदिर नाम का एक कमरा भी बना हुआ था। इसमें कोई नहीं जा सकता था, जब तक कि राजा की अनुमति न मिले।

पूल के चारों ओर पार्टी

महाराजा भूपिंदर सिंह पार्टी भी किया करते थे। किताब में इसका जिक्र है। बताया गया है कि महल में एक पूल बना हुआ था। इसी के चारों तरफ पार्टी होती थी। राजा के बहुत ही करीबी लोग इसमें हिस्सा लेते थे। उनकी रानियां इसमें शामिल होती थीं। पूल में राजा अपनी रानियों के साथ वक्त बिताया करता था।

तीन एयरक्राफ्ट थे मौजूद

महाराजा भूपिंदर सिंह के बारे में और भी कई खास बातें प्रचलित हैं। हवाई जहाज रखने वाले वे भारत के सबसे पहले इंसान थे। उनके पास बताया जाता है कि तीन एयरक्राफ्ट मौजूद थे। उन्होंने एक चीफ इंजीनियर को यूरोप भेजा था। वह इसलिए कि वह इंजीनियर वहां स्पॉट स्टडी कर ले। इसके बाद ही उन्होंने विमान को खरीदा था।

इतना महंगा नेकलेस

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि महाराजा भूपिंदर के पास दुनिया का सातवां सबसे विशाल हीरा जड़ा हुआ एक नेकलेस था। इस नेकलेस में 2930 हीरे जड़े थे। कीमत भी इस नेकलेस की 186 करोड़ रुपए की थी। वैसे यह नेकलेस देश को आजादी मिलने के बाद चोरी हो गया था।

जब रानियों के बीच हुई तकरार

राजा भूपिंदर सिंह के बारे में एक और रोचक बात प्रचलित है। बताया जाता है कि एक बार रानियों के बीच तकरार हो गई थी। वजह थी कि राजा किसके साथ शाम में वक़्त गुजरेगा। किताब में इसके बारे में लिखा गया है।

इसके मुताबिक 365 लालटेन महल में जलते थे। सब पर एक-एक रानी का नाम लिखा हुआ था। जो लालटेन पहले बुझ जाती थी, राजा उसी के साथ अगली शाम मिटाता था। लोग भी इसके लिए तैनात थे। वे देखते थे कि सबसे पहले कौन-सी लालटेन बुझी है। वाकई, महाराजा भूपिंदर सिंह की जिंदगी की कहानी कमाल की रही है।