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रजनीकांत की राजनीति में नो एंट्री से भाजपा का तमिलनाडु प्लान बिगड़ गया

कई सालों से कयास लग रहे थे कि फिल्म इंडस्ट्री के थलाइवा सुपरस्टार रजनीकांत की राजनीति हमें कब दिखेगी, उनकी पार्टी कब बनेगी। लेकिन अब सीधा साफ हो गया है कि वो राजनीति में नहीं आएंगे। क्योंकि उनकी सेहत नासाज है। अगले कुछ महीनों में होने जा रहे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए ये खबर बहुत बड़ी है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए रजनीकांत ने राजनीति से दूर रहने का ऐलान कर दिया है।

जिससे उनके समर्थक बेशक नाखुश होंगे लेकिन उन्होंने कहा है कि वो लोगों की सेवा करते रहेंगे। रजनीकांत का कहना है कि किसी पार्टी को बनाने के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करना होगा और लाखों लोगों से मिलना होगा। रजनीकांत ने कहा कि इसलिए मैं बहुत अफसोस के साथ कह रहा हूं कि मैं राजनीतिक पार्टी शुरू करने और राजनीति में उतरने की स्थिति में नहीं हूं। इसकी घोषणा करते हुए केवल मैं ही इसके दर्द को जान सकता हूं।

भाजपा के लिए कैसा रहेगा नतीजा

रजनीकांत के इस ऐलान से उनके फैंस बेहद निराश हैं, लेकिन इससे भाजपा भी शायद निराश होगी। क्योंकि बहुत से लोगों का मानना था कि तमिलनाडु में रजनीकांत भारतीय जनता पार्टी की बी टीम है। इससे तमिलनाडु में अपनी जमीन तलाश रही भाजपा को नुकसान हो सकता है।

ऐसा सोचा जाता रहा है कि रजनीकांत अगर राजनीति में आते तो डीएमके के कुछ आधार वोटों को खींच ले जाते और इसका सीधा फायदा भाजपा को होता। ऐसे में भाजपा चाह रही होगी कि रजनीकांत की पार्टी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर लड़े लेकिन अब ये नहीं होगा। इससे पहले भी भाजपा ने करुणानिधि और जयललिता के बाद राज्य में पैदा हुई सियासी शून्यता को भरने के लिए रजनीकांत पर खूब डोरे डाले थे। लेकिन बाद में पार्टी ने एआईएडीएमके के साथ जाना सही समझा।

एआईएडीएमके की भी दो टूक

अब रजनीकांत ने ऐसे समय में ऐलान किया है जब सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने भी भाजपा को तेवर दिखाने शुरु कर दिए हैं। पार्टी के कैंपेन के पहले चरण के दौरान पार्टी सांसद केपी मुनुसामी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा को मानना चाहिए कि एआईएडीएमके वरिष्ठ सहयोगी है, पार्टी पलानीस्वामी की सीएम पद की उम्मीदवारी को समर्थन दे या फिर वो अपने विकल्पों पर दोबारा सोच ले। ये बयान अहम इसलिए है, क्योंकि मुनुसामी राज्य में चुनाव के डिप्टी कोऑर्डिनेटर भी हैं। आपको बता दें कि वैसे तो एआईएडीएमके का गठबंधन है लेकिन हाल ही में भाजपा ने कुछ सीधा जवाब ना देकर इसे मुश्किल में डाल दिया है। 

अब भी रजनीकांत से है भाजपा को उम्मीद

रजनीकांत के राजनीति में नहीं आने के ऐलान के बाद भी भाजपा की आस खत्म नहीं हुई है। रजनीकांत के फैंस की ताकत तो हम जानते ही हैं तो ऐसे में भाजपा कोशिश करेगी की उन्हें अपना सहयोगी बना ले। भाजपा चाहती है कि रजनीकांत पार्टी की पैरवी करें, इमेज तैयार करें, जिससे द्रविड़ियन पार्टियों के वोट बैंक को तोड़ा जा सके।

इसके अलावा उनकी छवि का भी लाभ उठाया जा सके। वैसे भी इस वक्त दोनों ही पार्टियों चाहे डीएमके हो या फिर एआईएडीएमके हो दोनों के पास ही अच्छे कद्दावर नेताओं की कमी है। वो कमी जो जयललिता और करुणानिधि छोड़ कर गए हैं। ऐसे में भाजपा कोशिश करेगी की इन चुनावों में इस शुन्य का लाभ लिया जा सके और दक्षिण में कुछ बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।