देश के सबसे पुराने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया है। इस पूरे मामले में 4 पक्ष थे सुन्नी वक्फ बोर्ड, शिया वक्फ बोर्ड, रामलला, निर्मोही अखाड़ा। इन चारों में से 2 पक्षों को तो सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से ही खारिज कर दिया – वो थे निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड। जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लिया था और इसी से जुड़ा फैसला भी दिया है। पहले तो हम आपको बता दें कि फैसला क्या आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या की उस 2.77 एकड़ की जमीन पर रामलला का हक होगा, जिसका मतलब है कि वहां पर मंदिर बनाया जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया है कि वो एक ट्रस्ट बनाए जो इस पूरी बात का ध्यान रखेगा। इसके अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट ने 5 एकड़ जमीन देने का ऐलान किया है जो कि उसी जगह से थोड़ी दूर पर होगी।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिलकुल सही
इस फैसले को अगर हम सही तरीके से देखें तो ये पूरी तरह से किसी को भी नहीं हराता है। अगर हम देखें तो इस फैसले में दोनों ही समुदायों की जीत होती है। हिंदू पक्षकारों को विवादित जमीन मिल गई और मंदिर बनाने का मौका मिल गया। तो वहीं मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन मिल गई, जो विवादित जमीन से लगभग दोगुनी है। और अगर वो वहां पर मस्जिद बनाते हैं तो वो भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक होगी। इससे साफ जाहिर होता है कि कोर्ट ने एक बार साबित कर दिया कि संविधान हर मजहब से ऊपर है और देश में अभी भी इंसाफ बाकी है।
हालांकि इसमें गुंजाइश थी कि हिस्से को 2 भाग में बांटने का फैसला भी आ सकता था। लेकिन उससे माहौल बिगढ़ने का खतरा होता। लेकिन कोर्ट ने अपनी पूरी समझ से ये फैसला दिया है। हालांकि हर फैसले से कुछ लोग खुश होते हैं और कुछ नाराज लेकिन अगर इसे आस्था से परे हट कर देखा जाए तो सभी के साथ न्याय हुआ है। हर किसी को इस फैसले का सम्मान करना चाहिए और दोनों ही मंदिर-मस्जिद निर्माण में साथ देना चाहिए।
नेता और मीडिया चैनल से दूर रहें
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हो सकता है कि कुछ नेता भड़काऊ बयान दें, तो ऐसे में आप सभी लोग इन सब लोगों से दूर रहे, नेताओं की बातों में न आएं। फैसला एक दम सही आया है और अगर गौर से देखा जाए तो मंदिर भी बनेगा, मस्जिद भी बनेगी और अब इस 500 साल पुराने मामले को यहीं पर खत्म कर देने में ही भलाई है। अब हमारे देश की प्रगति में कैसे आगे बढ़ा जाए उस पर गौर करने की जरूरत है। पहले ही हम मंदिर मस्जिद के नाम पर बहुत खून बहा चुके हैं, तो अब प्यार, अमन और आपसी सौहार्द का नजारा पूरे विश्व को दिखाते हैं। इस पूरे विवाद में हमें सिर्फ नफरत के और कुछ नहीं मिला है तो ऐसे में अब कोर्ट ने इसका हल निकाला है तो खत्म कर के अपनी जिंदगी को बेहतर करने पर और देश को बेहतर करने पर गौर करते हैं।
हां कुछ लोगों की दुकानें बंद हो गई है जो इस मुद्दे पर राजनीति करते थे, उनमें से कुछ अब बेरोजगार भी होंगे। तो सरकार उन्हें बेरोजगारी भत्ता दे और लोग अपने कामों पर बिना किसी नफरत के और मन में खटास लिए जाएं।
वैसे भी प्रधानमंत्री से लेकर कई बड़ी हस्तियों ने साफ रूप से कहा है कि न तो इस फैसले से किसी को हार मिली है और न किसी की आस्था को नुकसान पहुंचा है। तो कुछ वक्त के लिए नेताओं को और न्यूज चैनलों को देखना बंद कर दें ताकि आपकी सोच पर इनका गलत असर न पड़ें। वैसे भी हिंदू मर्यादा पुरुषोत्तम राम के लिए लड़ रहा था, जिनका नाम लिया ही मर्यादा के साथ जाता है, उनका मंदिर बनने का फैसला आया है तो अपनी खुशी में मर्यादाएं मत लांघना। वहीं मुसलमान के लिए कहा जाता है कि इस्लाम एक अमन पसंद और मोहब्बत का मजहब है, तो यहां तो किसी तरह की नफरत की गुंजाइश ही नहीं बचती है। मिलकर प्यार से मंदिर और मस्जिद का सम्मान करें। बस हर इंसान को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि ईद भी मेरी है, दीवाली भी मेरी है, राम भी मेरा है और अल्लाह भी।