बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ – ये एक नारा नहीं बल्कि एक प्रेरणा के रूप में विकसित हुआ था। इस नारे का उद्देश्य लड़कियों को शक्ति देना था। लेकिन आज जब इस नारे की पूरी तरह से धज्जियां उड़ रही हैं तो शर्म आ रही है। इस भारत की कल्पना तो शायद कभी किसी ने न की होगी, जिस देश में भारत को मां के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि में हर कोई देवी को पूजता है, हमारी सैंकड़ों साल पुरानी संस्कृति हमें कहती है कि नारी का सम्मान सबसे पहले है। हमारी धार्मिक किताबें कहती है कि नारी से बड़ी ताकत कोई नहीं है, एक मां, बीवी, बहन, बेटी हर रूप में उसने अपनी जगह बनाई है। तो वहीं आज एक नारी के साथ अन्याय पर अन्याय हो रहा है और शासन से लेकर प्रशासन तक मंत्री से लेकर संत्री तक सब खामोश है।
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के नारे को आगे बढ़ाने का दायित्व हमारी सरकार पर है। लेकिन हमारी सरकार बेटी को ही हिरासत में लेती है। वो बेटी जो अपनी इज्जत के लिए लड़ रही है और उसकी लड़ाई कोई मामूली गुंडे या छिछोरे से नहीं है, ये लड़ाई भारतीय जनता पार्टी के एक नेता से हैं। जी हां ये चिन्मयानंद की ही बात है। एक बलात्कार का आरोपी अस्पताल में भर्ती है और पुलिस उसे छू भी नहीं पा रही है, लेकिन वो लड़की जिसने उस पर बलात्कार का आरोप लगाया है सलाखों के पीछे हैं।
आरोपी अस्पताल में और पीड़ित जेल में
वाह रे हमारे देश के कानून आरोपी बाहर और पीड़िता जेल में, ये न्याय किस राह पर जा रहा है? क्या हम एक बेटी को न्याय देने में इतने असहाय हो गए हैं, या फिर ये सत्ता का सुरूर है जो एक बलात्कार के आरोपों में लिप्ते चिन्मयानंद को जेल के पीछे नहीं भेज पा रहा है। अगर इस पूरे मामले को शुरुआत से ही देखें तो साफ नजर आता है कि स्वामी चिन्मयानंद को पूरी तरह से बचाने की कोशिश की गई है। योगी सरकार की पुलिस लगातार इस मामले में ढील बरतती नजर आई है, लेकिन अब तो हदें ही पार हो गई है। आरोपी को बचाते बचाते हमारे देश में न्याय का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि बलात्कारी बाहर है और पीड़िता को जेल में डाल दिया है।
इस पीड़िता पर आरोप लगाया गया है कि इसने ब्लैकमेल किया है और रंगदारी के रूप में बलात्कार के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद से 5 करोड़ रुपये की मांग की है। ये वही यूपी पुलिस है जो लंबे वक्त तो चिन्मयानंद पर रेप का केस बनाने को भी तैयार नहीं थी। उसे हिरासत में लेने के लिए लोगों को आवाज बुलंद करनी पड़ी, लेकिन पीड़िता के खिलाफ एक झटके में केस दर्ज कर लिया गया, वो हिरासत में भी ले ली गई और जेल में भी बंद कर दी गई है। लेकिन चिन्मयानंद जो कि पूर्व गृह राज्यमंत्री रहे हैं उनके खिलाफ न पुलिस सख्त तो न सरकार। उम्मीद लगा सकते हैं तो सिर्फ कोर्ट से।
क्या सत्तारुढ़ पार्टी का मिल रहा है लाभ
अब आप चाहे इस समय का फेर कहिये या फिर सरकार का फेर, कि शाहजहांपुर की लॉ छात्रा से बलात्कार करने वाला आरोपी भारतीय जनता पार्टी का नेता और पूर्व गृहराज्य मंत्री चिन्मयानंद अस्पताल में है और बलात्कार की पीड़िता युवती जेल में बंद है। क्या चिन्मयानंद सिर्फ इसीलिए अस्पताल में है कि वो जिस पार्टी का नेता है वो पार्टी सत्ता में है? जबकि गौर करने वाली बात ये है कि, चिन्मयानंद की पीड़िता से मसाज करवाते कई वीडियो और पीड़िता के खुद बयान आ चुके हैं। फिर भी बलात्कार आरोपी जेल से बाहर रहता है और स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी 45 दिन बाद होती है।
चलिए माना कि पार्टी अपने नेता को और पार्टी की छवि को बचाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हमारे देश का मीडिया भी इस मामले पर मौन है। घर की बेटियां संभल नहीं रही और हमारा मीडिया देश का बाप खोजने में और इमरान खान को गरियाने में लगा हुआ है। रात को 9 बजे टीवी पर चिल्लाने वाले वो एंकर जो पुछते थे why is jnu silent? अब खुद ही मौन हुए बैठे हैं। वो चुढ़ियां भेजने वाली नेता क्यों खामोश है या धरना देने वाले नेता कहां गुम है? क्यों इस लड़की की बात किसी के कानों में नहीं जा रही है?
आए दिन हमारे देश में रेप के मामले आते हैं, सुबह चाय की तपड़ी पर कुछ बुजुर्ग लोग अखबार पढ़ते हुए और चाय की सिसकी लेते हुए कहते हैं कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता है। तो हां जब तक हमारे देश में ऐसे नेता और पत्रकार है तो यकीनन देश का कुछ नहीं हो सकता। नेताओं के दबाव में काम करने वाली पुलिस इस देश का भला नहीं कर सकती, न्याय अगर सत्ता दल को देख कर दिया जाएगा तो हां इस देश का भला नहीं हो सकता है। और ये देश कभी नहीं बदलेगा।