नई दिल्ली:
भाईसाब सबको चैन और सुकून है लेकिन भक्तों को जरा सा चैन नहीं मिलता. आए दिन किसी ना किसी नई बला को डिफेंड करना पड़ता है. अब ये नया नाटक आया है रिहाना है. कोई सिंगर है विदेश की जिसके मिलियंस फालोवर्स हैं उसने ट्वीट कर दिया. अब उसका करियर खत्म करने के लिए भक्तों के पास पुतला फूकना सबसे बेहतर विकल्प है.
पुतला फूंका नहीं की काम हुआ
जब रोजाना किसी ना किसी को डिफेंड ही करना है और ट्विटर पर किसी ना किसी से भिड़ना है तो ऐसे में पुतला फूंका सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है. बेचारों को लगता होगा कि इधर रिहाना का पुतला फूंका उधर उसका करियर चौपट. सही भी है. अब भक्त यही विचार कर रहे हैं. इनकी एक टेक्निक सही है.
आजकल ये रेडीमेड पुतला बनाकर रखते हैं. जब रोजाना किसी ना किसी का पुतला फूंकना ही है तो काहे ना हम पहले से बनवाकर रखे. अब इधर चौराहे पर खड़े होकर पुतले में माचिस लगाईं नहीं कि उधर रिहाना का करियर खत्म. एक झटके में उसके सारे फैन्स ख़ाक हो जाएंगे और रिहाना सीधे वन्देमातरम (जोकि इनसे भी नहीं बनता) गाते हुए उसी चौराहे पर आएगी और कहेगी “भाईसाब पुतला मत फूंको बदन जलने लगा. मैं अपना ट्वीट डिलीट कर देती हूँ”.
लेकिन ऐसा होगा नहीं ये खुद भी जानते हैं. हालाँकि पुतला फूंकने की इनकी आदत अब बहुत बढ़िया बन चुकी है क्योकि आए दिन कोई न कोई इनके भगवान के खिलाफ बोल ही जाता है. कोई ना कोई ऐसा कुछ ना कुछ कह देता है जिससे इन्हें मिर्ची लग जाती है और ये पुतला फूंकने लगते है. वो अलग बात है कि इस बार रिहाना इनके बस की नहीं है. जितने रुपये आजतक इन्होनें फर्जी ट्वीट करके कमाए नहीं होने उतने तो रिहाना के फालोवर्स हैं.
एक ने खोल ली पुतले की दुकान
अब देखो आपदा में अवसर कैसे खोजा जाता है. प्रधान सेवक के खिलाफ लोग बोलते हैं तो उसका पुतला फूंका जाता है. अब एक भाई ने क्या दिमाग लगाया की उसने पुतले की ही दुकान खोल. वो भी भक्त ही था जो पहले पुतले फूंकने का कार्य करता था. आपदा में अवसर खोजा और पुतले की दुकान लगा ली. वो भी भरे चौराहे में. अब पुतला, माचिस, पेट्रोल सब बेचता है और पैसे भी कमाता है. जब फूंकने की बारी आती है तो खड़े होकर नारे भी लगाने लगता है. मतलब इसे कहते हैं आपदा में अवसर.
तो रिहाना का इलाज मिल गया है. सीधे पुतला फुन्काई अभियान चलाया जाएगा. अब तुम ज्यादा ना बोलना नहीं तो यही धरकर फूंक देंगे तुम्हारा भी पुतला