कई वक्त से हमारे देश में साधुओं की सुरक्षा का मुद्दा गूंज रहा है। भारत में साधुओं का बेहद महत्व है, क्योंकि कहा जाता है कि ये साधु ही है जो विश्व भर में सनातन धर्म के महत्व को पहुंचा रहे हैं। और बात सही भी है हमारे देश की परंपरा में साधुओं की काफी अहम बूमिका रही है।उत्तर प्रदेश में इन साधुओं पर हमले होना बेशक देश की संस्कृति के एक अहम हिस्से को नुकसान पहुंचाने जैसा है। लेकिन क्या आप लोग सच में साधुओं के लिए चिंतित है या फिर अपने सियासी आकाओं को खुश करने के लिए इनके लिए आवाज उठा रहे हैं। क्योंकि अगर आपको सिर्फ साधुओं की फिक्र होती तो कुछ चुनिंदा शहरों तक ही आप सीमित नहीं रहते।
दरअसल परवाह आप साधु की नहीं बल्कि साधुओं का चोला ओढ़कर अपनी सियासत चमकाने वाले राजनीतिक दलों की करते हैं। तभी एक राज्य के साधुओं की मौत पर हल्ला करते हैं और दूसरे राज्य में खामोश रहते हैं। सनातन धर्म ये तो नहीं सीख देता और ना ही ऐसी सीख आपको किसी साधु ने दी होगी। लेकिन राजनीतिक दलों के सियासी साधुओं ने जरूर ये दिमाग में डाला होगा कि फलां सरकार के क्षेत्र में हिंदू खतरे में हैं, साधुओं को मार देते हैं।
लेकिन अपने क्षेत्र में सब चंगा है। आप मेरी बातों से समझ ही गए होंगे कि मैं किस राजनीतिक दल की बात कर रहा हूं। तो जी हां मैं भारतीय जनता पार्टी की ही बात कर रहा हूं। क्योंकि जब पालघर में साधु मारे गए थे तो कांग्रेस, शिवसेना पर काफी कीचड़ उछाला गया था, राजस्थान में संपत्ति विवाद के लिए साधु मारा गया तो अशोक गहलोत सरकार को निकम्मा करार दे दिया गया। ये सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ही नहीं बल्कि उन्हें खुश करने में लगे हुए पत्रकार भी करते हैं।
ये पत्रकार और नेता आपको उत्तर प्रदेश की सैर नहीं कराएंगे। क्योंकि यहां इनके लिए खतरे की घंटी है। दरअसल उत्तर प्रदेश में पिछले 2 साल में 20 साधुओं की हत्या कर दी गई। ये दावा यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने किया है। अजय कुमार लल्लू ने अपने फेसबुक पेज पर एक नक्शे के साथ कुछ आंकड़ें पेश करते हुए ये दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में हत्याओं का अंबार है। साथ ही उन्होंने सवाल किया है कि ये कैसा रामराज्य है?
अगर हम अजय कुमार की बातों को सही मानें तो साल 2018 में देवरिया में साधु सज्जाराम और हरभजन और एक अन्य की हत्या कर दी गई। इसी साल अगस्त के महीने में पुजारी श्याम लाल की हत्या सुल्तानपुर में की गई। इसी महीने बाराबंकी में पुजारी शमशेर सिंह की हत्या हो गई। पीलीभीत में भी 2018 में पुजारी रामेश्वर की हत्या की गई थी। इसके अलावा पंडित विनोद राय का नाम भी शामिल है। वहीं साल 2019 में हापुड़ में बालक दास की हत्या की गई।
जून के महीने में मथुरा में साधू की हत्या हुई। मुरादबाद में अक्टूबर में राजेंद्र गिरी नाम के साधु की हत्या हुई। रायबरेली में पुजारी स्वामी प्रेमदास की हत्या कर दी गई। इसके अलावा 2020 में चित्रकूट में महंत अर्जुन दास की हत्या की गई थी। फरवरी में महंत विष्णुसहाय की हत्या हो गई। फरवरी में ही पुजारी रमेश चन्द्र की हत्या की गई। इसके बाद अप्रैल के महीने में गोरखपुर में पुजारी कोईलदास की हत्या हुई। मई में मथुरा में साधू हरीदास की हत्या कर दी गई। फिर जुलाई में भी एक साधू की हत्या की गई। जुलाई महीने में ही पीलीभीत में बाबा लाल गिरी की हत्या कर दी गई। अक्टूबर के महीने में कन्नौज में भी एक साधू का मर्डर हुआ।
साथ ही अब गोड्डा में मंदिर के पुजारी गोंडा में राम जानकी मंदिर के पुजारी सम्राट दास को भूमाफियाओं ने गोली मार दी है। इन गोलीकांड में भूमाफियाओं का नाम सामने आ रहा है। इस मामले में 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अब ये स्थान के हिसाब से साधुओं की आवाज उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी के अपने राज्य में ही साधु सुरक्षित नहीं है तो किसी और दल या नेता पर किस अधिकार से आरोप लगा रहे हैं?