चुनाव का महीना चल रहा है, ऐसे में पूरे वक्त में आरोप और प्रत्यारोप लगना तो लाजमी है। एक-दूसरे को नीचा दिखाना और कौन ज्यादा “नीच” है ये साबित करना भी आम बात ही है। धर्म हो या जाति या फिर पुराने वादे ये सब सियासी पैंतरेबाजी हम लंबे वक्त से देख रहे हैं, ये कहीं ना कहीं बर्दाशत भी होती थी, लेकिन इस बार की पैंतरेबाजी का स्तर कुछ ज्यादा ही नीचे गिर गया है। कभी राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हैं तो प्रधानमंत्री साहेब तो पूरी कांग्रेस पार्टी को ही ललकार बैठते हैं। लेकिन इस चुनाव में पक्ष और विपक्ष के खेल में बंटा हुआ है पत्रकार भी। कुछ तो पत्रकार ऐसे है जो 56 इंच के सीने का राज जानने में ज्यादा उत्सुक है, इस बात को छोड़कर की देश में चुनाव है और ऐसे में वजीर-ए-आजम से सवाल किए जाने चाहिए। तो कुछ इसकी खिलाफत कर रहे हैं, जबकि कुछ अतीत के किस्सों से इन्हें जोड़कर सही साबित करने में भी लगे हुए हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुली चुनौती दे दी है। बाजपेयी ने पीएम के ट्वीट का जवाब दिया है।
गौरतलब है कि हमारे देश के प्रधानसेवक अब तक अपने कई दोस्तों को इंटरव्यू दे चुके हैं, जो अच्छे खासे हाई टीआरपी वाले मीडिया संस्थानों में बैठे हैं और वो देश की आर्थिक गति नहीं बल्कि पीएम के रात को सोने की अवस्था जानने में शायद इच्छुक है। खैर है तो अभी तक हमारा मुल्क स्वतंत्र ही तो पत्रकार भी स्वतंत्र है और जाहिर सी बात है साहेब भी स्वतंत्र है। प्रधानमंत्री का इंटरव्यू तो इस बार खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार ने भी लिया है। वो भी मोदी जी से पता कर चुके हैं कि वो आम कैसे खाते हैं, हां शायद एक पब्लिक फिगर होने के नाते और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अगर वो पता करते कि हमारे देश का आम नागरिक कैसे खाता है। तो मुल्क के लिए शायद अच्छा रहता, लेकिन कोई नहीं मोदी जी तो पेड़ से सीधा आम तोड़ कर खाता है, ये वही पेड़ होते है जिस पर अभी एक लड़की की लाश मिली थी, जिसके साथ रेप हुआ था। खैर ये मुद्दे थोड़ी है चुनाव के, साहेब ने कहा है मंदिर वहीं बनेगा (तारीख अभी अप्रूव नहीं हुई है)।
अब ये इंटरव्यू का दौर आगे बढ़ गया है और अब बात होने लगी है इतिहास की, साहेब ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर-1 की उपाधी दे दी है, इससे याद आया कि जय शाह का मुद्दा आजकल बहुत शांत है? छोड़िए वापस आते हैं अब एक मृत इंसान 6ठे और सातवें चरण के चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाला है। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने तो अपने ट्वीट के जरिये कांग्रेस को ओपन चैलेंज दे दिया है। उन्होंने लिख दिया है कि मेरी कांग्रेस को खुली चुनौती… बोफोर्स से जुड़े पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर चुनाव लड़ें। दिल्ली और पंजाब में जहां उनके शासनकाल में सिखों का नरसंहार किया गया, उसके नाम पर चुनाव लड़ें। भोपाल गैस त्रासदी के दोषी वॉरेन एंडरसन को भगाने वाले के नाम पर चुनाव लड़ें। क्या चुनौती स्वीकार है?’ हां ये तो है मुद्दे तो बढ़े हैं, लेकिन अगर बोफोर्स का मुद्दा उठ सकता है तो 2002 का भी उठ सकता है, मैं उठा नहीं रहा हूं (भक्तों मारना नहीं प्लीज) बस मन में आया। हां तो साहेब के ट्वीट पर आते हैं वापिस तो पीएम ने ये ट्वीट किया और उसके बाद कुछ लोगों ने उनके 5 सालों और वादों का भी हवाला देते हुए ट्वीट किया। कांग्रेस ने भी कह दिया अपने पुराने वादों के आधार पर वोट मांग कर दिखाओ। तो इसी में हमारे पत्रकार महोदय भी कूद पड़े, पुण्य प्रसून बाजपेयी ने अपने ही अंदाज में पीएम को एक चैलेंज कर दिया है।
साहेब एक इंटरव्यू हो जाए….
बोफ़ोर्स v/s राफ़ेल
1984 v/s 2002
इमरजेन्सी v/s लोकतंत्रहरण
सीबीआई तोता v/s सीबीआई बाज़
गंगा कार्य योजना v/s नमामी गंगे
स्वदेशी v/s विदेशी निवेश
देशभक्ति v/s लूट से मस्ती
मनमोहन इक्नामिक्स v/s मोदी अर्थनीति
क्रोनी कैपटलिज्म v/s अंबानी-अडानी प्रेम https://t.co/MUksrk6V52— punya prasun bajpai (@ppbajpai) May 7, 2019
तो बाजपेयी जी कहते हैं कि एक इंटरव्यू करते हैं जिसमें आप बोफोर्स पर बोलना और मैं राफेल पर, लेकिन पूण्य जी राफेल के तो कागज ही चोरी हो गए, आप बहस कैसे करेंगे शायद चौकीदार छुट्टी पर था। 1984 अगर नरसंहार था और उसके लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार है तो 2002 के लिए आप भी हुए ना, आप तो मुख्यमंत्री थे, और गुजरात तो पूर्ण राज्य भी है पुलिस आपके कंट्रोल में थी और केंद्र में भी आपकी ही सरकार थी। तो इसमें क्या कहेंगे – वाह मोदी जी वाह, आप करें तो रासलीला, गांधी करें तो कैरेक्टर धीला। एक सवाल है हम आपातकाल को इतिहास का बुरा वक्त मानते है, क्या आज कोई स्वतंत्र एजेंसी नजर आती है, जज इंसाफ मांग रहे हैं। CBI तो हर बार ही कभी तोता, कभी चमचा, कभी बाज कुछ ना कुछ बनता ही रहा। चुनाव आयोग कहता है कि मोदी जी ने कभी आचार संहिता नहीं तोड़ी, उन्होंने कभी अपने भाषण के पीछे शहीदों की तस्वीर नहीं लगाई, बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक का तो उन्होंने नाम भी नहीं लिया कभी, गारंटी ले रहा आयोग। ऐसे कैसे कोई कह सकता है मोदी जी ने कुछ नहीं किया। देशभक्ति तो आप पूछो ही मत थोड़ दिनों में एक कंपनी खुलने वाली रिलायंस देशभक्ति प्राइवेट लिमिटेड इसका ठेका अनिल अंबानी जी को दिया गया है। इसमें लोगों को अपना आधार कार्ड देशभक्ति से लिंक कराना होगा, नहीं तो गिरिराज सिंह हर तीन दिनों में एक पाकिस्तान के लिए ट्रेन चलाएंगे आपको उसी में ठूस दिया जाएगा।
खैर छोड़िए हमें क्या!!!