पहले के जमाने में लोग खर्च कम और बचत ज्यादा करने में विश्वास रखते थे। इसलिए उन्हें पैसों को लेकर ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता था। लेकिन आज का युवा इस मामले में थोड़ा पीछे है, इसलिए अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को सेविंग्स और इंवेस्टमेंट के लिए डांट लगाते रहते हैं।
ऐसे में काफी लोग आज की तारीख में फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस और वेल्थ क्रिएशन (Wealth creation) पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। दरअसल फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस का मतलब होता है कि आप सिर्फ अपने खर्चों के साथ-साथ सेविंग्स और इंवेस्टमेंट के लिए भी पैसों का प्रबंध करते हैं। यानी कि अगर आप अपनी कमाई के एक हिस्से की बचत कर पाते हैं और निवेश भी कर पाते हैं तो इसे फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस कहते हैं।
बचत के लिए लोगों को जल्द ही शुरुआत कर देनी चाहिये। बिना इस बात की परवाह किए कि वो रकम छोटी है या बड़ी। रकम कितनी भी छोटी क्यों ना हो उससे की गई बचत आगे जाकर बड़ी राशि के रूप में फायदा देती है।
बचत को कैश के रूप में या सेफ सिक्योरिटीज में लिक्विड एसेट्स के रूप में किया जाता है जबकि निवेश एक लाॉन्ग टर्म प्रॉसेस होता है जिसके तहत आप स्टॉक्स खरीद सकते हैं, रीयल एस्टेट और फिक्स्ड एसेट्स (Fixed assets) की खरीदारी कर सकते हैं।
निवेश के लिए विकल्पों की समझ होनी जरूरी है लेकिन बचत के लिए सिर्फ अपने खर्चों का रिकॉर्ड रखना, हर महीने के बचट का आकलन करना, खर्च को कम करना, बचत लक्ष्य का निर्धारण करना, फाइनेंसियल प्रॉयोरिटीज डिसाइड करना और अपनी बचत के ग्रोथ को ट्रैक करना होता है।
आप कितनी बचत कर रहे हैं या कर सकते हैं, इस पर सबसे अधिक प्रभाव आपके द्वारा बनाए गए बजट का पड़ता है। एक बजट बनाएं और उसके मुताबिक ही अपना खर्च करें। इसके अलावा गैर-जरूरी चीजों पर खर्च न हो, इसके लिए भी आपको अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत रखने की जरूरत है। सफलतापूर्वक बचत के लिए आप एबीसीडी के मंत्र को भी फॉलो कर सकते हैं।
ए – आय, खर्च और बचत को अरेंज करना
बी – इनकम के मुताबिक बजटिंग और खर्चों को बैलेंस करना
सी – बचत को लेकर कंसिस्टेंट रहना
डी – शॉर्ट-टर्म सेविंग्स को लांग-टर्म इंवेस्टमेंट्स में डेवलप करना
युवाओं को अपनी कमाई के एक हिस्से को बचत करने में लगाना चाहिये। इसके लिए युवाओं को अपने खर्चों को ट्रैक करना और इसे नियमित तौर पर हर 15 दिन में एनालाइज करना चाहिये। इससे गैर-जरूरी खर्चों पर रोक लगती हैं और महीने के अगले 15 दिनों की प्लानिंग हो सकती है।