यह दुनिया कमाल की है। इसे समझना आसान नहीं। इसलिए कि यह रहस्यों से भरी पड़ी है। ऐसे-ऐसे रहस्य हैं कि आज तक सुलझ नहीं पाये। लोग कोशिशों में लगे हुए हैं। फिर भी कामयाबी नहीं मिली। अपने-अपने तर्क सभी देते हैं, मगर रहस्य सुलझ नहीं पाये। इसी तरह की एक घाटी है । शांगरी-ला घाटी। रहस्यों से भरी हुई।
उन जगहों में से एक है ये घाटी, जहां का रहस्य आज तक सुलझा नहीं। है ये कहीं अरुणाचल प्रदेश में। कुछ कहते हैं कि तिब्बत में है। कई का कहना है कि दोनों के बीच में है। कुल मिलाकर अब तक साफ नहीं है कि यह घाटी है कहां पर।
घाटी का नाम
शांगरी-ला घाटी। जी हां, यही नाम है इस घाटी का। इसके बारे में बहुत सी बातें प्रचलित हैं। कहते हैं कि इस घाटी पर वायुमंडल के चैथे आयाम का असर नहीं होता है। इसका मतलब यह हुआ कि समय का इस पर प्रभाव नहीं पड़ता है। दुनिया में कई और भी ऐसी जगहें हैं। उन जगहों पर समय का असर नहीं होता है, ऐसा माना जाता है।
समय से भी परे
इस तरह से यह समय से परे एक घाटी है। समय यहां रुक सा जाता है। आगे बढ़ता ही नहीं। दुनिया में हर जगह लोग मरते हैं। मगर यहां की स्थिति अलग है। कहते हैं जब तक चाहे लोग यहां जीते हैं। ऐसी मान्यता है इस रहस्यमयी घाटी के बारे में।
किताब में जिक्र
एक किताब है। नाम है इसका तिब्बत की वह रहस्यमयी घाटी। इस घाटी का ही पूरा जिक्र है इसमें। इसे लिखा है अरुण शर्मा ने। इस किताब में विस्तार से इस घाटी के बारे में उन्होंने लिखा है। उन्होंने एक लामा के हवाले से कई सारी बातें लिखी हैं। इस लामा का नाम युत्सुंग है। किताब में लिखा है कि इस घाटी पर काल का असर नहीं होता। काल यहां हार मान जाता है।
बढ़ती हैं ये ताकतें
किताब के मुताबिक मन की ताकत यहां बढ़ जाती है। प्राण की शक्ति भी बढ़ जाती है। यहां तक कि विचार की ताकत में भी इजाफा हो जाता है। यह एक विशेष सीमा तक बढ़ती है। युत्सुंग के अनुसार यहां आने का मतलब यहां का होकर रह जाना है। यहां से लोग वापस अपनी दुनिया में नहीं जा पाते। हमेशा के लिए वे फिर यहीं रह जाते हैं। चाहे जानबूझ कर गये हों या फिर अनजाने में। चाहे कोई वस्तु भी क्यों न आ जाए यहां। यहां से वह लौट नहीं पाती।
न सूरज, न चांद
क्या कोई गया इस रहस्यमय घाटी में? क्या किसी को मालूम है कि आखिर वहां है क्या? युत्सुंग दावा करते हैं वहां जाने का। उनका कहना है कि वे खुद इस घाटी में होकर आ चुके हैं। उनके मुताबिक वहां सूर्य की किरण नहीं पहुंचती। वहां तो चांद भी नहीं है। फिर भी वहां चारों ओर एक रोशनी पसरी हुई दिखती है। एक रहस्यमयी रोशनी। समझ नहीं आता कि आखिर यह है क्या।
यह किताब बताती है
एक और किताब है। शीर्षक है काल विज्ञान। यह किताब लिखी गई तिब्बती भाषा में। इस किताब में भी बताया गया है इस रहस्यमयी घाटी के बारे में। तिब्बत में तवांग मठ बना हुआ है। यह बहुत ही मशहूर है। यहां एक पुस्तकालय भी बना हुआ है। इसी पुस्तकालय में यह किताब आज भी रखी हुई है।
गये, लेकिन लौटे नहीं
शांगरी-ला घाटी का आखिर क्या राज है? इसका पता लगाने की भरसक कोशिशें हुई हैं। कई लोग इसका राज पता करने की कोशिश कर चुके हैं। कई लोग गये इसकी खोज में, मगर लापता हो गये। अधिकतर लौट कर नहीं आए।
बारामूडा ट्राएंगल की तरह रहस्यमयी
लेखक डॉ. गोपीनाथ कविराज ने भी एक किताब लिखी है। वे पद्म विभूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके हैं। अपनी किताब में उन्होंने भी इसके बारे में लिखा है। जिस तरह से बारामूडा ट्राएंगल बहुत ही रहस्यमयी रहा है, यह घाटी भी बिल्कुल वैसी ही है। तंत्र मंत्र वाली कई किताबों में भी इस घाटी का उल्लेख मिलता है।
चीनी सेना की कोशिश
चीन की सेना ने भी ढूंढ़ने की कोशिश की थी इस घाटी को। ऐसा कहा जाता है। उसने भी पूरा जी-जान लगा दिया, मगर कुछ पता नहीं चला उसे। यह जगह कहां है, चीन की सेना इसका पता ही नहीं कर सकी।
वाल्मीकि रामायण में जिक्र
सिद्धाश्रम के नाम से भी यह घाटी जानी गई है। वाल्मिकी रामायण के साथ वेदों और महाभारत मे भी इसका वर्णन मिलता है। अंग्रेज लेखक जेम्स हिल्टन भी अपनी किताब लाॅस्ट हाॅरिजन में इसके बारे में लिख चुके हैं। इसका रहस्य सुलझाना आज भ टेढ़ी खीर बना हुआ है।