ठंड के मौसम में साइबेरिया से हजारों की संख्या में रंग बिरंगे पक्षी भारत आते हैं। यह पक्षी वहां की तेज ठंड से बचने के लिए उत्तर भारत की तरफ आते हैं। इनका अक्टूबर महीने से आना शुरू हो जाता है और मार्च तक ये वापस साइबेरिया लौट जाते हैं।
साइबेरिया के खास मेहमान
वैसे तो गंगा घाट पर सालभर सैलानियों का आवागमन लगा रहता है। लेकिन, ठण्ड के दिनों में बनारस में साइबेरिया से खास मेहमान आते हैं, जो बनारस और गंगा घाट की खूबसूरती को और निखारते है। ये खास साइबेरियन पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके हर साल ठंड के मौसम में वाराणसी आ जाते हैं। वाराणसी में गंगाघाट में विचरण करते इन साइबेरियन बर्ड्स को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं।
वाराणसी में गंगा नदी में हर साल ठंड में ये साइबेरियन पक्षी आ जाते हैं। साइबेरिया के साथ-साथ रूस और यूरोप के उन हिस्सों में जहां कड़ाके की ठंड पड़ती है और पक्षियों को वहां खाने की दिक्कत होती तो ये उड़कर भारत आते है।
मनमोहक गंगा घाट
ये मेहमान परिंदे आठ से दस हजार किलोमीटर की दूरी और कई सरहदों को पार करके भारत आते है। ज्यादा से ज्यादा चार से पांच महीने भारत में इनका ठहराव होता है। साइबेरियन पक्षी इस दौरान यहीं अंडे देते हैं और जब अपने वतन लौटते हैं तो इनके परिवार में नए मेहमान का समावेश हो चुका होता है। गंगा की लहरों पर कलरव करते इन पक्षियों को देखने के लिए गंगा के घाटों पर भरी भारी भीड़ उमड़ आती है। ये विदेशी मेहमान दूरदराज से आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं। इन पक्षियों के आ जाने से गंगा तट और भी मनमोहक हो गया है।
गंगा की लहरों पे जीवन को खोजते परदेशी मेहमान
वाराणसी में गंगा नदी की लहरों पर करतब करते पक्षी गंगा घाट पर आने वाले दर्शकों को खूब लुभाते हैं। घाट पर नियमित स्नान करने वाले स्त्री पुरुष या बच्चे अपने घर से लाई, नमकीन ,सेव एवं अन्य कोई भी खाद्य पदार्थ को गंगा की लहरों में जब डालते हैं, तो मेहमान पक्षियों का झुंड गंगा की लहरों से इन्हें चुगता है। वाराणसी में साइबेरियन पक्षी गंगा घाट पर एकदम भोर से ही दिखाई पड़ते है और गंगा घाट पर आने वाले स्नानार्थी को मन मोह लेते है भोर में सूरज की पहली किरण पड़ते ही पक्षियों की भीड़ लग जाती है।