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सर जी कहते थे कि पार्टी छोड़ने पर पछताओगे, आज खुद की ही हालत खस्ता कर ली

नई दिल्ली: देश की राजधानी के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (पता नहीं कितने मानते हैं) हमेशा माहौल बनाये रखते हैं. ये माहौल लगातार अन्ना आन्दोलन के समय से बनता चला आ रहा है. जब एक आदमी ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देकर कहा कि अब वो देश को सुधारेगा. और कुछ लोग अपनी नौकरी छोड़कर उसके साथ हो लिए. वो शख्स थे अरविन्द केजरीवाल यानी की ग्रेजुएट इंजिनियर और वो लोग थे कुमार विश्वास, अलका लाम्बा, योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषन जैसे बड़े-बड़े नाम. आज कोई भी इनके साथ नहीं है. इसकी वजह जानते हैं आप.

केजरीवाल ने इंजीनियरिंग कि है और उनके अंदर लक्षण भी यही हैं. दरअसल जब इंजीनियरिंग के लड़के का असाइनमेंट सबमिट नहीं होता है तो वो क्या करता है की वो ऐसे लोग ढूंढता है जिनका और सबमिट नहीं हुआ है. फिर सबका असाइनमेंट एक साथ लेकर प्रोफ़ेसर के पास जाता है और सबमिट कर लेने की भीख मांगता है. कहिता है सर हमारा तो ठीक है इन गरीबों का भी साल बर्बाद हो जाएगा. प्रोफ़ेसर बेचारा इतने सारे छूटे हुए असाइनमेंट देखकर कहता है चलो लाओ सबमिट करो और पहली फुर्सत में निकल लो. इसके बाद बन्दा आता है और सबको कहिता है की उसके वजह से सबमिट हुआ है. यानी की क्रेडिट खाने लगता है. अब समझिये दिल्ली में भी यही हुआ. सरजी ठहरे इंजिनियर और सरकार बनाने का क्रेडिट खुद लेना चाहते हैं. इसीलिए ये सब लोग एक-एक करके रवाना कर दिए गए. साला इंजीनियरिंग एक बार कर लो आदत जिन्दगी भर नहीं जाती.

अब सरजी को आदत है रायता फैलाने की और दुनियाभर में माहौल बनाये रखने की लेकिन ये सब ऐसा कुछ चाहते नहीं थे. बात-बात पर प्रेस कांफ्रेंस करना और माहौल बनाये रखना तो कोई सरजी से सीखे. अब ऐसे में पार्टी का रायता फैलता था और उसे समेटने के लिए ये सब लगे रहते थे. अब इन्होने भी सोचा आखिर कब तक समेटेंगे यार. सरजी ने कहा जब तक मैं फैलाऊंगा तब तक समेटना पड़ेगा लेकिन ये सब नहीं माने. कुछ दिन समेटा फिर कहा भाई इतना रायता लाते कहा से हो.

एक बार आदमी कि कोई आदत ना पड़ जाए फिर उससे मुश्किल से छूटती है. ऐसा ही कुछ है धरना संघ के अध्यक्ष delhi cm arvind kejriwal के साथ. अब बात-बात में अगला एलजी के यहाँ धरने पर बैठ जाता था. मजबूरी में इन सबको जाना रहता था साथ में. तो इन्हें लगा कि आखिर कब तक ऐसे धरने पर बैठेंगे यार. सरकार बनी है कमाएंगे, खायेंगे. लेकिन सरजी तो आए दिन झंडा लेकर खांसते हुए धरने पर मिलते थे. ऐसे में alka lamba, kumar vishwas, yogendra yadav इन सबने रोका लेकिन धरना मंत्री नहीं माने. तो बोले तुम्हारा धरना तुम्हे मुबारक हमारे तो पीठ में दर्द होने लगता है. और निकल लिए सब पहली फुर्सत में.

भाईसाब ये दोनों तो राष्ट्रीय पहचान बन गई थीं दिल्ली कि एक समय पर. बाहर वाले दिल्ली वालों से कहते से पूछते कि की सीएम कौन है और बताओ कि अरविन्द केजरीवाल तो कोई नहीं जानता. बाद में कहो वो जो मफलर बांधते हैं तो अगला पहचानता था. इन सब नेताओं ने इतना कहा कि मफलर छोड़ दो और खांसी का इलाज करवा लो इरीटेशन होती है लेकिन सरजी नहीं माने. बोले इन्ही दो चीजो ने मुख्यमंत्री बनाया है और फिर से यही बनाएगी. तो इन सबको लगा कि खांसी की आवाज सुनकर अगली बार रहते हैं कि नहीं. इसीलिए निकल लो और आराम से रहो.

यार इन लोगों ने जनता को जितना जवाब दिया है ना उतना तो शायद ही कोई दे. मतलब सीएम साहब आए दिन कुछ उल्टा करते रहे और जवाब ये दें. अब तो लोग इनसे पूछने लगे थे की सरजी इतना रंग बचपन से बदल रहे हैं की इसकी कहीं ट्रेनिंग की है. ऐसे सवाल, बाप रे परेशान हो गए ये लोग. Kumar vishwas ने कहा कि कोई दीवाना कहे या ना कहे लेकिन सब पागल जरूर कहने लगेंगे इसीलिए पहली गाड़ी पकड़कर गाज़ियाबाद निकल लो. बाकी सभी नेता यही सोचकर चले गए.

बताओ ये भी कोई बात हुई. अगले ने इन नेताओं से बोला था सुनो योगेन्द्र यादव आज से मुझे प्रधानमंत्री कहना मोदी जी को नहीं. मतलब सरजी पर प्रधानमंत्री बनने का ऐसा भूत सवार था. अब इन्होने एक बार कह दिया तो भाईसाब लगा जनता से पिट गए. तो इन्हें लगा कि ये मरवा के मानेगा इससे पहले निकल लेते हैं. इसीलिए चले गए.

दिल्ली में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. तो delhi election से पहले हमने आपको वजह बता दी कि ये लोग अब साथ क्यों नहीं हैं. अब आप ठीक-ठीक लगा लीजिए अपनी-अपनी वजहें.