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हिन्दुधर्म के अनुसार दुनिया के सबसे शक्तिशाली नाग कौन-कौन से है

नाग प्रजाति का अस्तित्व अनंत काल से है इसलिए हिन्दू धर्म में नागों को काफी मान्यता दी जाती है। आदिकाल की प्रमुख जातियों में नागों की जाति को आलौकिक कहा गया है। नाग प्रजाति को हिन्दूधर्म के नाग की काफी पूजा जाता है।

शेष नाग

शेषनाग के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इन्हीं के फन पर पूरी धरती टिकी हुई है यह पाताल लोक में ही रहते है। हमने अक्सर चित्रों में देखा है की भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुए है।शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक हैं। ऐसी मान्यता है कि शेषनाग के हजार मस्तक हैं। इनका कही अंत नहीं है इसीलिए इन्हें ‘अनंत’ भी कहा गया है। ये सभी नागो से शक्तिशाली नाग हैं। शेषनाग ऋषि कश्यप की पत्नीं कद्रू के सभी बेटों में सबसे पराक्रमी थे और प्रथम नागराज थे।

तक्षक नाग

तक्षक नाग माता कद्रू के पुत्र थे। तक्षक नाग पाताल लोक में ही रहते हैं। इतिहासकारों के अनुसार तक्षक नाम की एक जाति थी जिसका जातीय चिन्ह सर्प था। ऐसा कहा जाता है कि तक्षक नाग शक्तिशाली नागों मे से एक थे। तक्षक नाग का राजा परीक्षित के साथ भयंकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में राजा परीक्षित मारे गए थे। तब राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने तक्षक नाग और उनके प्रजा के साथ युद्ध कर उनको परास्त कर दिया था।

वासुकि नाग

वासुकि नाग शेषनाग के भाई थे और वासुकि नाग भगवान शिव के सेवक थे। नागों के दूसरे राजा वासुकि का इलाका कैलाश पर्वत के आसपास का क्षेत्र था।वासुकि नाग भी बहुत ही शक्तिशाली नाग हैं। हिन्दूधर्म के नाग वासुकि के शीश पर अनमोल रत्न नागमणि है। समुद्र मंथन के लिए वासुकिनाग ने रस्सी की भूमिका निभाई थी।

कर्कोटक नाग

कर्कोटक शिव के एक गण और नागों के राजा थे। नारदजी के श्राप कर्कोटक एक अग्नि कुंड में गिर जाते हैं लेकिन राजा नल ने उन्हें बचते हैं। ऐसा कहा गया है कि कर्कोटक ने नल को ही डस लिया, जिससे नल का रंग काला पड़ गया। लेकिन यह सब भी एक श्राप के चलते ही हुआ।

कालिया नाग :

कालिया नाग कद्रू माता का पुत्र थे और वे पन्नग जाति का नागराज थे। कालिया नाग पहले रमण द्वीप में निवास करता थे , लेकिन पक्षीराज गरुड़ से बैर हो जाने के कारण कालिया नाग यमुना नदी के एक कुण्ड में आकर रहने लगा थे। ऐसा माना जाता था कि यमुनाजी का यह कुण्ड गरुड़ के लिए अगम्य था।

वो इसलिए क्योंकि इसी स्थान पर एक दिन क्षुधातुर गरुड़ ने ऋषि सौभरि के मना करने के पश्चात् भी मत्स्य को बलपूर्वक पकड़कर खा गया था, इसीलिए महर्षि सौभरि ने गरुड़ को श्राप दिया था। गरुड़ कभी भी इस कुंड कि मछलियों को खाने यहाँ पर आएंगे तो अपने प्राण खो बैठेंगे। कालिया नाग यह बात जानते थे, इसीलिए वह यमुना के उस कुण्ड में रहने आ गए थे।

मनसा देवी :

मनसा देवी को भगवानशिव कि पुत्री माना जाता है। और ऐसा भी कहा जाता है कि मनसा देवी महर्षि कस्यप के मस्तक मेसे उत्पन्न हुई थी इसलिए वे शेषनाग और कि बहन भी है। ऐसा कहा गया है कि राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने जब डंस लिया तो उनके बेटे जनमेजय ने सर्प यज्ञ कराया। जिसकी वजह से दुनिया से सभी सर्प उस हवं कुंड में गिरने लगे और सर्प जाति के विलुप्त होने लगी।तभी मनसा देवी ने अपने बेटे आस्तीक को आदेश दिया औरइस यज्ञ को बंद करा दिया। जिसकी वजह से धरती पर सर्प जाति का अस्तित्व बचा है।