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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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अलका व कपिल ! आखिरी मंजिल यही थी तो ईमानदारी के फालतू ड्रामे क्यों कर रहे थे?

Troll Ambresh Dwivedi 25 September 2019

नई दिल्ली: राजधानी में चुनावी मौसम शुरू होने के साथ नेताओं के रंग सामने आने लगे हैं. कभी आप का मन्त्र जपने वाले दो नेता कपिल मिश्रा और अलका लाम्बा अब अपनी-अपनी मंजिल में पहुच गए हैं. लेकिन आपने देखा होगा कि आप में रहते हुए बीजेपी और कांग्रेस के खिला सबसे अधिक हो-हल्ला इन्ही दोनों ने क्या था. अब कपिल बीजेपी में तो अलका कांग्रेस में आ गईं. तो भाईसाब जब मंजिल यही थी तो दुनियाभर के ड्रामे करने की जरूरत क्या थी. दिन रात धरना प्रदर्शन और सरजी के फैलाये रायते का जवाब देने में अपना जीवन क्यों वेस्ट किया. अब देखिये ये दोनों आए कहाँ हैं-

  • कपिल मिश्रा

हाँ एक बात बता दूं कि ये वो नहीं हैं जिन्होंने राशन कार्ड के बदले….वो अलग थे. ये हैं कपिल मिश्रा. भाईसाब माहौल बनाने के मामले में केजरीवाल को कोई चुनौती दे सकता था तो वो ये बन्दा था. सारे के सारे लक्षण वही. तो इन्होने आप छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी नहीं अखिल भारतीय सर्टिफिकेट दायक पार्टी. जहाँ जाते ही आप पवित्र हो जाते हैं. अब कपिल मिश्रा को उनके मन की जगह मिली है. जहाँ वो सारे मुख्य काम छोड़कर गाय, गोबर, NRC, पाकिस्तान, हिन्दू-मुस्लिम ये सब कर सकते हैं. शुरुआत में आप की सरकार बनी तो सबसे अधिक कूदे लेकिन इतनी तेजी से कूद गए की पार्टी से बाहर जा निकले. और जाकर शामिल हुए मनोज तिवारी के रथ में. अब वहां इन्हें सही नेतृत्व मिला है और काम भी कर लेंगे. जब इन्होने देखा कि शायद इस बार आप से टिकट ना मिले तो मोदी के गुणगान करने और चले गए बीजेपी ने. हाँ इनके जाने के बाद बीजेपी शायद सोशल मीडिया मैनेजर हटा दे क्योकि पूरा दिन ट्वीट करने वाला काम यही करते रहते हैं. कपिल मिश्रा ने अपने मंत्री पर दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. अब चाहे इन्हें इस बात का दुःख रहा हो कि बाकी मंत्रियों को मिला हमको काहे नहीं. इसीलिए अब मैं यहाँ कतई नहीं रुक सकता हूँ. इन्हें भी बार-बार के धरने प्रदर्शन से दिक्कत थी. अब केजरीवाल तो आए दिन एलजी के घर के बाहर बैठे रहते थे तो इन्होने कहा कि यार मंत्री बनने आए थे की धरना करने. और निकल लिए सीधे और वहां जा पहुचे जहाँ के लिए ये फिट बैठते थे. अब देखिएगा चुनाव शुरू होते ही सबसे अधिक ट्रेंड में यही रहेंगे.

  • अलका लांबा

कहते हैं की सुबह का भूल अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते. लेकिन अगर अगला तब लौटे जब घर बर्बाद हो चुका है तो उसे आप थोडा बहुत बेवकूफ कह सकते हैं. अलका कांग्रेस छोड़ी थी और आप के साथ गई थीं. चुनाव जीतें लेकिन मंत्री नहीं बनी. कुछ दिनों बाद वही पुराने लक्षण दिखने लगे. कुमार विश्वास एक बात कहते हैं की घर बदल जाने से पुरखे नहीं बदलते. ये बात सबसे सटीक मैडम पर बैठती है. खूब मेहनत की और आख़िरकार आ गई अपने घर. अब जानते हैं ये लोकतंत्र की दुहाई देंगी. मुझे समझ नहीं आता कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान आप का विरोध कैसे करेंगी. सबसे अधिक तरस इसी महिला के लिए आता है. एक विधानसभा सीट जिसके लिए जान लगा रखी है. लेकिन कांग्रेस का नाम सुनते ही लोग बिचक जाते हैं. कहते हैं कि जब यहीं आना था तो गईं काहे थीं आप कहीं. एक समय चीख-चीखकर राहुल गाँधी और शीला दीक्षित को कोसने वाली मोहतरमा अब कहेंगी की जैसे विकास कांग्रेस सरकार में हुआ वैसा कही नहीं हुआ. एक अंकल एक दिन ख रहे थे कि एक बार आदमी मन से कांग्रेसी ना हो जाए फिर पुश्ते नहीं निकल पाती इस मायाजाल से. मैं पहले नहीं मानता था लेकिन अब अलका के आने के बाद मानने लगा हूँ. इनका सोशल मीडिया देखेंगे तो दिन-रात ये आपको चांदनी चौक में दिखाई देंगी लेकिन लगता है कि सबकुछ एक झटके में खत्म करना था इसीलिए कांग्रेस में शामिल हो गई. कांग्रेस ने भी खा की हम तो डूबेंगे सनम तुझे भी ले डूबेंगे.

अब दोनों नेताओं को देखिये. ये कहाँ गए हैं ये देखिये. कल तक कैल मिश्रा सबसे अधिक बीजेपी को कोसते थे और आज बीजेपी में हैं. मैडम ने भी खूब कोसा और आज कांग्रेस में आ गई. खैर अपनी-अपनी पसंद. चलिए अब इनके मुंह से राहुल गाँधी और मनोज तिवारी की बड़ाई सुनने के लिए तैयार रहिये.

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.