पूरी दुनिया कोरोना की महामारी से लड़ने में लगी हुई है। लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में हैं और हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी इसके रोकथाम के लिए लॉकडाउन के साथ-साथ कई जरूरी कदम लिए जा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके हर दिन संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। फिर भी कुछ ऐसे लोग हैं जो सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और कोरोना को लेकर फर्जी खबरें फैला रहे हैं। व्हाट्सऐप, फेसबुक, टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर घूम रहीं फर्जी खबरें परेशानी पैदा कर रहे हैं। ऐसी ही कुछ खबरों में देश में आपातकाल की घोषणा और लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने जैसे दावे भी किए जा रहे हैं।
हालांकि, आधिकारिक और तथ्यों की जांच करने वाली निजी एजेंसियों ने तत्काल ऐसी खबरों का खंडन कर इन्हें फर्जी कह दिया है। इतना ही नहीं धोखाधड़ी के कार्यों में लगे कुछ लोग सरकार के राहत कोष में दान के लिए फर्जी बैंक अकाउंट देकर लोगों को चूना लगाने की कोशिशों में भी लगे हैं। इन खबरों के चलते बहुत से लोग एक अप्रैल से पहले ही सोमवार को अप्रैल फूल बन गए हैं। सोशल मीडिया पर एक फर्जी दस्तावेज को सरकारी दस्तावेज के रूप में पेश कर सरकार द्वारा 21 दिन के लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की बात कही गई।
Read More :-नॉर्थ ईस्ट के भारतीय हैं ये लोग इन्हें कोरोना कहना बंद करो!
भारतीय सेना को भी इस तरह की खबरों का खंडन करना पड़ा कि अप्रैल में देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की जाने वाली है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सेवानिवृत कर्मियों, नेशनल कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत पंजीकृत स्वंयसेवकों की मदद लेने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। सरकार ने भी इन अफवाहों को खारिज किया कि 21 दिनों के लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की उसकी कोई योजना है। मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा का स्पष्टीकरण ऐसे समय आया जब पिछले पांच दिनों में हजारों मजदूर लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन जाने के कारण सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही यात्रा करते देखे गए।
वहीं पीआईबी ने भी ट्वीट किया कि ऐसी अफवाह हैं और मीडिया में खबर हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि सरकार 21 दिन के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ा देगी। मंत्रिमंडल सचिव ने कोरोना को लेकर फर्जी खबरें खारिज की है और इन्हें निराधार बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समाज कल्याण के लिए काम करनेवाले संगठनों के साथ चर्चा में उनसे कोरोना वायरस पर गलत जानकारी और अंधविश्वास का मुकाबला करने को कहा।
पीआईबी के फैक्ट चेक टि्वटर हैंडल पर कहा गया है कि लोग पीएम केयर्स फंड के नाम पर सोशल मीडिया पर फैले नकली बैंक खातों को लेकर सतर्क रहें। दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई ने रविवार को पीएम केयर्स फंड के नाम पर दानदाताओं को ठगने के लिए बनाई गई फर्जी यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस आईडी का पता लगाया था।
इसी तरह कोरोना वायरस के उपचार को लेकर भी सोशल मीडिया पर कई तरह की गलत जानकारियां दी जा रही हैं। पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट किया कि इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि गरम पानी की भाप लेने से कोरोना वायरस मर जाता है। श्वसन संबंधी स्वास्थ्य, भौतिक दूरी बनाए रखने और हाथ धोना कोविड-19 के प्रसार को रोकने का प्रभावी तरीका है। इसी तरह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पहले हुए एक दिन के जनता कर्फ्यू को लेकर तमाम सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया था कि इस दिन हवाई मार्ग से दवा का छिड़काव किया जाएगा। साथ ही ये दावा किया गया कि 14 घंटे में वायरस मर जाएगा। जबकि ये दोनों खबरें ही झूठी थीं।
Read More :-गर्मी बढ़ेगी तो क्या सच में खत्म हो जायेगा कोरोना वायरस? जानें पूरा सच
प्रधानमंत्री द्वारा संक्रमण रोकने में लगे डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के आभार व्यक्त करने के लिए ताली बजाने के अनुरोध को भी फर्जी खबर बना दिया और दावा किया गया कि ताली, थाली और शंख से शोर से कोरोना वायरस मर जाएगा। इसकी चपेट में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन समेत तमाम बड़े लोग भी आ गए थे। ये खबर भी झूठी ही थी।
इसी तरह कहा जा रहा है कि शराब, गांजे, हल्दी से कोरोना को हराया जा सकता है तो कभी मॉक ड्रिल के वीडियो को कोरोना मरीज के नाम पर वायरल किया जा रहा है। इसी तरह ये भी दावा किया गया कि मख्खियों से कोरोना फैल रहा है या फिर अजमेर की बकरा मंडी में कोरोना वायरस के कारण बकरे/बकरियां बीमार हो गए हैं। जबकि ये सारी खबरें झूठी हैं।
फिलहाल कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है और एक दिन इससे हमारे डॉक्टर जीत जाएंगे। लेकिन इन फर्जी खबरों की जंग लंबी जाने वाली है। इससे जीत पाना मुश्किल भी है। सरकार और सामाजिक संस्थाओं को जब अपनी पूरी ताकत से कोरोना से लड़ना चाहिए था तब उन्हें अपनी एनर्जी इन बेबुनियाद खबरों के खंडन में लगानी पड़ रही है। ये खबरें इतनी खतरनाक होती है कि मेन स्ट्रीम मीडिया तक जा पहुंचती है और लोगों को पूर्ण रूप से यकीन होने लगता है। फिलहाल इस समय जो हालात हैं उसमें एक दूसरे की मदद जरूरी है। और जो लोग बीमारी के नाम पर अफवाह फैलाकर लोगों को आतंकित करने और भय पैदा करने का काम कर रहे हैं। उन पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।