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राजीव गाँधी ने बाबरी मस्ज़िद हिन्दुओं हेतु खुलवाया, मोदी मंदिर बनाने की अनुमति क्यों नहीं देते- सुभ्रमण्यम स्वामी

सुभ्रमण्यम स्वामी भारत की राजनीति का एक ऐसा विदित चेहरा जो आये दिन विवादों के घेरे में बने रहते हैं. इनके विवाद कभी विपक्ष तो कभी खुद की पार्टी को भी कटघरे में खड़ा करने और उन पर व्यंग करने से नहीं चूकते हैं.

यूँ तो उनके द्वारा राम मंदिर के मुद्दे को एक पक्षकार के रूप में हमेशा ही उठाया जाता है. लेकिन इस बार स्वामी जी ने इस बाबत अपने ही पार्टी के लीडर और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लिया.

उन्होंने राम मंदिर को लेके मोदी की तुलना राजिव गांधी से भी कर दी. इस बाबत उन्होंने नरेंद्र मोदी को कटाक्ष करते हुए एक ट्वीट किया;

कुछ समय पहले भाजपा के सुब्रमणियम स्वामी ने वर्तमान सरकार यानि नरेंद्र मोदी से पूछा था कि आखिर क्यों राम मंदिर वो नहीं बनवा पा रहे है? उन्होंने इसके लिए राजीव गाँधी सरकार और पी वी नरसिम्हा सरकार का उद्हारण भी दिया.

ये सबको पता है कि ये राजीव गाँधी ही थे, जिन्होंने हिंदू भक्तो के लिए बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया था। और यह नरसिम्हा राव ही थे जिन्होंने रामलला के लिए छोटा सा ही जगह प्रदान करवाया। यहां ध्यान देने वाली बात यह है की आज की राजनीती में कांग्रेस को हिन्दू विरोधी और मुस्लिम्स सपोर्टर माना जाता है , लेकिन उसी कोंग्रेसने यह दोनों काम किया। तो क्या वर्तमान सरकार क्या रामजन्म भूमि के लिए V H P को भूमि नहीं प्रदान कर सकती है.

जबकि भाजपा को हिन्दुओ की सरकार मानी जाती है. ऐसे में यह ध्यान देने वाली बात है कि अभी तक यह दोनों महत्तपूर्ण कार्य कांग्रेस के हाथो ही हुई है, जिसे अभी तक राम मंदिर की सबसे बड़ा बाधा समझा जा रहा है। क्या यह अजीब नहीं लगता है कि जिस कोंग्रेस को आज लोग मंदिर विरोधी, हिन्दू विरोधी समझ रहे है, उसी कांग्रेस ने काफी पहले मंदिर के दरवाजे को खुलवाया, बल्कि रामलला को जगह प्रदान करवाया, जो आज मंदिर कह लीजिये या कुछ भी.

यहाँ हमारी मंसा कतई ऐसा नहीं है कि कॉग्रेस की बढ़ाई की जाये या भाजपा को आइना दिखाया जाये. नहीं ऐसा कतई नहीं है हमारा उद्देस्य सिर्फ फैक्ट बताना है. इस हिसाब से तो भाजपा को भी जो इस समय केंद्र और राज्य में काबिज है, राम मंदिर को बनवा देना चाहिए. या ऐसा कुछ करना चाहिए जिससे लोगो को यह लगे की आखिर इस सरकार  ने भी कुछ किया राम मंदिर के लिए.

आखिर में यह बताना भी जरुरी है की कोई भी पार्टी राम मंदिर मुद्दे को सॉल्व करना ही नहीं चाह रही है. इसके पीछे सभी पार्टियों की अपनी -अपनी मजबूरिया है, जो वही समझती होगी.