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अब तुम्हें तालिबान भी अच्छा लगने लगा है तो मेरे दोस्त तुम्हारी आत्मा मर चुकी है

तालिबान, एक ऐसा नाम जो लोगों के मन में दहशत भर देता है. खूंखार लड़ाकों से भरी एक पागल फ़ौज जिसे केवल बन्दूक चलाने से मतलब है. सामने कौन है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अफगानिस्तान में कब्जे के बाद से लगातार इसे लेकर दुनियाभर में बातें हो रही हैं. वैसे ही हमारे देश में भी हो रही हैं. लेकिन यहां के कुछ लोगों को तालिबान अच्छा लगता है. उन्हें तालिबान के कब्जे के बाद स्कूल जाती लड़कियों की तस्वीरें अच्छी लगती हैं लेकिन वो बहुत कुछ और भूल जाते हैं. शायद उनकी आत्मा मर चुकी है.

ये कैसा कनेक्शन है तालिबान से- 

आप सोशल मीडिया में में देखिए दबी ढाढ में कुछ लोग कहीं ना कहीं तालिबान का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं. तर्क ये है कि “देखिए कैसे तालिबान के कब्जे के बाद भी अफगानिस्तान में बच्चियां स्कूल जा रही हैं. ये तस्वीर बेहद सुकून देने वाली है” हर घटना पर अपना एक घटिया सा ओपिनियन रखने वाले और सो कॉल्ड क्रांतिकारी को बाकी चीजें नहीं दिखाई दे रही हैं. उसे नहीं दिखा रहा है की उसी तालिबान ने महिलाओं के सारे पोस्टर पेंट से पुतवा दिए, उसी तालिबान ने बैंकों में काम कर रही महिलाओं को घर जाने के लिए कह दिया।

इसके अलावा इन्हें वो लोग भी दिखाई नहीं दिए जो हवाई जहाज के ऊपर लटके हुए थे. तालिबान के शासन में रहने से बेहतर उन्होंने मौत को चुना। लेकिन इन्हें तालिबान में क्रान्ति दिखाई दे रही है. अगर तालिबान के शासन में स्कूल जाने वाली बच्चियों की तस्वीर देखकर तुम्हें सुकून मिलता है तो फिर हवाई जहाज से पत्ते की तरह गिर रही लाशों को देखकर क्या लगता है भाईसाब आपको। ये भी बता दीजिए। आप नहीं बताएंगे क्योकि 199 रूपए वाला डाटा डलवाकर आप फेसबुक में जो बेवकूफी भरी क्रांति कर रहे हो उसने आपकी जुबान बंद कर रखी है.

यहाँ भी कौन सा अच्छा-

एक बात और है. कुछ लोगों का ये भी कहना है की अरे देखिए हमारे देश में क्या हो रहा है. तालिबान का ही तो शासन है, यहाँ कौन सा कम है. यहाँ भी किसी को बोलने नहीं दिया जा रहा है. मतलब समझ रहे हैं आप अब. इन भाईसाब को तालिबान से तो प्यार है और इस हद तक का प्यार है की ये अपने देश से तुलना करके उसे गलत बताने में नहीं हिचक रहे हैं. कभी-कभी लगता है हमारे देश में भी एक तालिबान होना चाहिए जो तुम जैसे फेसबुकिए क्रांतिकारी को बन्दूक की नोंक में गली-गली नचाए और फिर तुमसे क्रान्ति स्थागित करवा दे.

वो लोग भी जिन्हें लगता है कि तालिबान के अफगानिस्तान में शासन कर लेने से मुस्लिम दुनिया में मजबूत हो रहे हैं तो वो भी गलत ही सोच रहे हैं. खुद सोचों अक्ल से पैदल चल रहे भाईसाब की अगर तालिबान मुसलमानों को बढ़ाना ही चाहता है तो उसके डर से अफगानिस्तान के मुस्लमान देश छोड़कर जा क्यों रहे हैं.
लेकिन नहीं, आप नहीं सोचेंगे इसके बारे में क्योंकि मेरे दोस्त तुम्हारी आत्मा मर चुकी है.