जिस सोडियम हाइड्रोक्लोराइड केमिकल का छिड़काव बसों को सैनेटाइज करने के लिए किया जाना था, उससे बाहर से आए कामगारों को पूरी तरह से नहला दिया गया, क्या गरीबों पर केमिकल छिड़कने से कोरोना वायरस धुल गया। जिसमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। तकलीफ होने पर अब इनका इलाज किया जा रहा है। बरेली के डीएम ने इसके लिए खेद जताया है लेकिन बरेली के मुख्य अग्निशमन अधिकारी को इस पर कोई पश्चाताप नहीं है। उनका कहना है कि किसी भी अच्छे काम में कुछ तकलीफ तो होती ही है।
बसों को सैनेटाइज करने वाले केमिकल से किया छिड़काव
दरअसल हुआ ये कि कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन होने की वजह से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं। रविवार को दूसरे प्रदेशों और जिलों से ऐसे ही मजदूर बड़ी संख्या में बस से बरेली पहुंचे। अब आदेश था कि बाहर से आने वाली सभी बसों को सैनेटाइज किया जाए लेकिन कर्मचारियों ने बस के यात्रियों को भी सैनेटाइज करने के लिए उनके ऊपर रसायन की बारिश कर दी। बरेली बस अड्डे पर यातायात पुलिस और दमकल विभाग की टीम ने सोडियम हाइड्रोक्लोराइड के घोल का उनपर छिड़काव किया।
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नोएडा जिला अस्पताल के सीएमओ डॉक्टर अनुराग भार्गव ने बताया कि ये घोल एक प्रकार का रसायन है और जिसके 0.5 प्रतिशत घोल (जिसे डायकिन घोल भी कहा जाता है) का इस्तेमाल किसी भी वस्तु को संक्रमण से मुक्त करने के लिए होता है, सामान्य तौर पर अस्पतालों में इसके 0.5 या 1 प्रतिशत घोल का इस्तेमाल रोजमर्रा की सफाई के लिए होता है। इस घटना की सपा, बसपा और कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की है। विपक्ष के नेताओं के ट्वीट के बाद बरेली के जिलाधिकारी ने इस घटना से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
क्या बोले जिलाधिकारी और अग्निशमन अधिकारी
इस घटना के संबंध में जब सवाल खड़े होने लगे तो बरेली के जिलाधिकारी नितीश कुमार ने कहा कि प्रभावित लोगों का मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देशन में उपचार किया जा रहा है। बरेली नगर निगम और दमकल विभाग के दलों को बसों को संक्रमण मुक्त करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अतिसक्रियता में उन्होंने ऐसा किया। संबंधित लोगों के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं।
लेकिन, बरेली के मुख्य अग्निशमन अधिकारी सी.एम. शर्मा को इस पर कोई पश्चाताप नहीं है। उन्होंने एक तरह से इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि किसी भी अच्छे काम में कुछ तकलीफ तो होती ही है। घोल के छिड़काव से अगर कुछ बूंदें आखों में चली जाएं तो दो-चार सेकेंड की जलन होती है, उससे कोई नुकसान नहीं होता है। अस्थाई बस अड्डे पर सोडियम हाइड्रोक्लोराइड (ब्लीच) युक्त पानी के घोल का छिड़काव जरुरी था। इससे महामारी नियंत्रित होगी। रविवार रात पुलिस की मौजूदगी में अस्थाई बस अड्डे पर जिले से गुजर रहे सैकड़ों लोगों को यातायात पुलिस ने पहले एक जगह बैठने को कहा और फिर उनपर पर दमकल गाड़ियों से केमिकल का छिड़काव किया गया। घोल का पानी आंखों में पड़ने से कुछ लोगों की आंखें लाल हो गयीं, जलन होने लगी और बच्चे ज्यादा परेशान हो गए। इन कामगारों पर दो बार छिड़काव किया गया। कुछ देर के लिए वहां भगदड़ मच गई।
विपक्ष ने की आलोचना
इस मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि यात्रियों को संक्रमण मुक्त करने के लिए किए गए केमिकल (रसायनिक घोल के) छिड़काव से उठे कुछ सवाल – क्या इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश हैं? केमिकल से हो रही जलन का क्या इलाज है? भीगे लोगों के कपड़े बदलने की क्या व्यवस्था है? साथ में भीगे खाने के सामान की क्या वैकल्पिक व्यवस्था? वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया कि देश में जारी लॉकडाउन के दौरान जन-उपेक्षा और जुल्म-ज्यादती की अनेकों तस्वीरें मीडिया में आम हैं, लेकिन प्रवासी मजदूरों पर उत्तर प्रदेश के बरेली में कीटनाशक दवा का छिड़काव करके उन्हें दण्डित करना क्रूरता है। इसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम है। सरकार तुरन्त ध्यान दे। उन्होंने आगे लिखा कि बेहतर होता कि केन्द्र सरकार राज्यों की सीमाएं सील कर हजारों प्रवासी मजदूरों के परिवारों को बेआसरा और बेसहारा भूखा-प्यासा छोड़ देने के बजाय दो-चार विशेष ट्रेनें चलाकर इन्हें इनके घर तक जाने की मजबूरी को थोड़ा आसान कर देती।
उत्तर प्रदेश की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने घटना से जुड़ा वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार से गुजारिश है कि हम सब मिलकर इस आपदा के खिलाफ लड़ रहे हैं लेकिन कृपा करके ऐसे अमानवीय काम मत करिए।