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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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भारत में लोकतंत्र का भविष्य सीएए आंदोलन की सफलता है

केन्द्र और कई राज्यों की सरकारों ने जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की प्रकिया के विरोध में हुए आंदोलन का दमन करने का काम किया है
Logic Taranjeet 13 February 2020
भारत में लोकतंत्र का भविष्य सीएए आंदोलन की सफलता है

केन्द्र और कई राज्यों की सरकारों ने जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की प्रकिया के विरोध में हुए आंदोलन का दमन करने का काम किया है और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की है। उससे परेशान हो कर आम मुस्लिम महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़कों पर निकल आईं और शांतिपूर्ण धरनों पर बैठने लगी। शहीन बाग के शुरू हुए इस आंदोलन और उसकी प्रेरणा से दिल्ली में करीब दो दर्जन जगहों पर, कोलकाता, अहमदाबाद, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, आदि देश में अन्य सैकड़ों जगहों पर जो महिलाओं के धरने लगातार चल रहे हैं उसके लिए नरेन्द्र मोदी, अमित शाह से लेकर तमाम भाजपा के नेता और मुख्यमंत्री खुद जिम्मेदार हैं।

क्या तानाशाही रवैये में हैं सरकार

योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में हुई दिल्ली चुनाव की सभाओं में कहा कि उन्हें शहीन बाग में चल रहे धरने के कारण अपनी सभाओं में पहुंचने में देरी हुई। क्या योगी कबूल कर रहे हैं कि दिल्ली की हर सड़क अब शहीन बाग से होकर ही गुजरती है? जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार केन्द्र में आई है तो कई बार ऐसी बातें सामने आई है कि लोकतंत्र और संविधान को कमजोर किया जा रहा है। विपक्ष लगातार इस सरकार के रवैया को पूरी तरह से तानाशाही कहती रही है और ये कोई फैसला लेने के पहले अपने सांसदों के बीच भी बहस नहीं कराती और संसद में पूर्ण बहुमत का फायदा उठाते हुए मनमाने रूप से देश की जनता के ऊपर थोप देती है।

शायद इसलिए ऐसी विचित्र परिस्थिति उत्पन्न हुई है कि कानून बनने के बाद भाजपा नेताओं को जनता को समझाने के लिए जाना पड़ रहा है। लेकिन जब सरकार ने लोगों की नागरिकता पर ही सवाल खड़ा किया तो लोगों को अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए सड़क पर आना पड़ा और खासकर मुस्लिम महिलाओं को लगा कि अपनी नागरिकता सिद्ध न कर पाने की स्थिति में जेलनुमा डिटेंशन केन्द्र में जाने से तो अच्छा है कि सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ी जाए।

ऐसा माना जा रहा है कि खतरा सबसे ज्यादा मुसलमानों पर है लेकिन असम में ये भी देखा गया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की प्रकिया से छूटे 19 लाख लोगों में 14 लाख हिंदू हैं तो इससे सभी को खतरा है। अगर कोई हिंदू इस राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से बाहर रह जाता है तो वो कैसे साबित कर पाएगा कि वो बंग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान से आया था? फर्जी दस्तावेज बनाने की एक होड़ लगेगी और भ्रष्टाचार के नए अवसर पैदा हो जाएंगे जिसका फायदा उठाएंगे दलाल, अधिकारी-कर्मचारी और नेता और पिसेगी जनता।

सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए ये कानून बना

ऐसा प्रतीत होता है कि बिना सोचे समझे सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने की दृष्टि से ये कानून बना दिया गया है। देखा जाए तो जिनको पाकिस्तान से भारत आना था वो ज्यादातर लोग आ चुके हैं और जिन्हें यहां से पाकिस्तान जाना था वो भी जा चुके हैं। अब जो मुस्लिम हिंदुस्तान में रह रहे हैं और जो हिंदू और सिक्ख पाकिस्तान या बंग्लादेश में रह रहे हैं वो अपनी मर्जी से ही रह रहे हैं। वैसे भी ये कितनी अजीब बात है कि भारत की सरकार अपने देशवासियों की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रही है, देश में लोग अभी भी भूख से मर रहे हैं और तमाम सरकारी दावों के बावजूद शौचालय की बात तो दूर रहने के लिए घर तक नहीं है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं और हमारी सरकार बंग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम नागरिकों की जिम्मेदारी भी लेना चाहती है।

बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में अपनी रोजी रोटी के लिए आए लोगों के लिए सबसे सरल उपाय था कि उनको इस देश में बिना नागरिकता दिए काम करने का अधिकार दे दिया जाता जैसा कि बहुत सारे देशों में प्रावधान है। बंग्लादेश की राष्ट्रपति शेख हसीना ने ठीक ही कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की कोई जरूरत ही नहीं थी।

क्या भाजपा विरोधी लोग एक हो गए हैं

हालांकि अब माना जा रहा है कि भाजपा औप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ जो लोग हैं वो एक होते नजर आ रहे हैं। हरेक धरने पर नारे लग रहे हैं ‘हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई’’ और इस पूरे माहौल में कोई नहीं पहचान पा रहा कि कौन हिंदू हैं और कौन मुसलमान। वहीं सिख लंगर लगा रहे हैं। आमतौर पर मुसलमान महिलाओं के लिए माना जाता है कि वो पर्दे के पीछे रहती हैं, और कभी कभी ही मंच पर नजर आती हैं लेकिन किसी ने शायद ये उम्मीद भी नहीं की होगी कि हिंदुस्तान में इतनी जल्दी ये दिन आ जाएगा कि इतने बड़े विरोध का नेतृत्व महिलाएं करेंगी और वो भी मुसलमान महिलाएं आगे बढ़ेंगी। मंच का संचालन मुस्लिम नवयुवतियां कर रही हैं और आदमी किनारे खड़े हैं या सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। जो महिलाएं इन धरनों में शामिल हो रही हैं वो राजनीतिक सभाओं की तरह सिर्फ भीड़ बढ़ाने नहीं आई हैं। वो बकायदा आजादी के नारे लगा रही हैं और इसके बावजूद कि योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जो आजादी के नारे लगाएगा उसके खिलाफ देश-द्रोह का मुकदमा दर्ज होगा।

आमतौर पर ये माना जाता है कि इस्लाम आक्रामक धर्म है और हिंदू शांति का संदेश देता है। लेकिन जिस तरह से दिल्ली में हिंदुत्व की विचारधारा के प्रभाव में कुछ नवजवानों ने हाथ में बंदूकें लहराते हुए गोली चलाई तो हिन्दुत्व की छवि आक्रमक और मुस्लिम महिलाओं की छवि गांधी के रास्ते चलने वाली अहिंसक आंदोलनकारी और शांति के दूत की बनी है। कहना न होगा कि आज हिंदू धर्म को सबसे बड़ा खतरा शायद हिंदुत्व की राजनीति से ही खड़ा हो गया है।

Taranjeet

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.