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एक वक्त ऐसा भी आया जब लालू यादव सोचने लगे थे कि राजनीति छोड़ नौकरी कर लूं

बिहार की राजनीति में कई दशकों से लालू प्रसाद यादव का दबदबा रहा है। यह बात जरूर है कि चारा घोटाले के मामले में फिलहाल वे जेल की सजा काट रहे हैं
Information Anupam Kumari 1 January 2020
एक वक्त ऐसा भी आया जब लालू यादव सोचने लगे थे कि राजनीति छोड़ नौकरी कर लूं

बिहार की राजनीति की बात हो और लालू प्रसाद यादव का जिक्र ना आए, ऐसा हो ही नहीं सकता है। बिहार की राजनीति में कई दशकों से लालू प्रसाद यादव का दबदबा रहा है। यह बात जरूर है कि चारा घोटाले के मामले में फिलहाल वे जेल की सजा काट रहे हैं, मगर फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बिहार की राजनीति के केंद्र में वे अब भी बने हुए हैं। जेल में होने की वजह से लालू प्रसाद यादव भले ही चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं, मगर फिर भी जेल में ही रहकर वे सभी चुनावों को प्रभावित जरूर कर रहे हैं। लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का नेतृत्व इस वक्त उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथों में जरूर है, लेकिन तेजस्वी यादव भी कई बार बता चुके हैं कि अंतिम फैसला लालू की मुहर लगने के बाद ही लिया जा रहा है। झारखंड के विधानसभा चुनाव ने राजद को एक बार फिर से संजीवनी दे दी है। लालू यादव के जेल में होने के बावजूद उनकी पार्टी ने जो फिर से कोई जमीन हासिल करना शुरू किया है, वैसे में एक बार पार्टी के संस्थापक लालू यादव के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जाननी तो बनती हैं।

लालू को मिली थी हार

लालू प्रसाद यादव, जिनके बिहार में मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके कार्यकाल को बढ़ती आपराधिक घटनाओं एवं विकास की दौड़ में राज्य के पिछड़ने की वजह से जंगलराज का नाम दिया गया, उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी के बीएन कॉलेज से पढ़ाई की थी। इस कॉलेज से लालू प्रसाद यादव ने राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली थी। यहीं 1970 में वे छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे। पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ का चुनाव इसके अगले साल 1971 में हुआ था। लालू यादव अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में खड़े हो गए थे। उन्हें टक्कर दे रहे थे रामजतन सिन्हा, जो कि यहां से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे थे। रामजतन सिन्हा वही थे जो बाद में कांग्रेस के नेता बन गए थे और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे। रामजतन सिन्हा जो कि बाद में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे, उन्होंने छात्र संघ के चुनाव में लालू प्रसाद यादव को पटखनी दे दी थी। इस तरह से लालू प्रसाद यादव को हराने के बाद वे पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष चुन लिए गए थे।

लालू ने की थी नौकरी

बताया जाता है कि 1971 में जब लालू प्रसाद यादव पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ का चुनाव हार गए थे तो इसका उन पर इस कदर असर पड़ा था कि राजनीति से उनका मोहभंग ही हो गया था। राजनीति छोड़कर उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी। पटना वेटनरी कॉलेज में उस वक्त उनके बड़े भाई चपरासी की नौकरी कर रहे थे। काफी दौड़-भाग जब लालू यादव ने कर ली तो आखिरकार वेटनरी कॉलेज में ही उन्हें एक अस्थाई नौकरी मिल गई। नौकरी करना तो लालू यादव ने यहां शुरू कर दिया, मगर फिर उन्हें एहसास होने लगा कि नौकरी के लिए वे नहीं बने हैं। एक बार फिर से राजनीति में जाने का उनका इरादा उनके अंदर हिलोरे मारने लगा।

29 साल में ही बन गए सांसद

इसके कुछ वर्षों के बाद पटना विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज में एक बार फिर से लालू यादव ने दाखिला ले लिया। छात्र राजनीति में वे फिर से भाग लेने लगे। जब 1973 में पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ का चुनाव हुआ तो इस बार लालू यादव छात्र संघ का चुनाव अध्यक्ष के तौर पर जीत भी गए। जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में छात्र आंदोलन भी शुरू हो गया। जेपी के आंदोलन में लालू यादव के पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष होने के कारण उनकी महत्ता कहीं ज्यादा बढ़ गई थी। जब लोकसभा चुनाव 1977 में होने लगे तो सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने उन्हें छपरा लोकसभा सीट से टिकट दिलवा दिया। लालू यादव की लोकप्रियता इस दौरान काफी बढ़ गई थी। महज 29 साल की उम्र में ही लालू यादव छपरा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बन गए।

यूं पलट गई बाजी

एक बार छात्र संघ के चुनाव में लालू यादव को हरा देने वाले रामजतन सिन्हा भले ही 1980 में कांग्रेस की वापसी के बाद कांग्रेस के विधायक बन गए और बिहार सरकार में बाद में मंत्री और बिहार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने, लेकिन उन्हें 1990 में लालू यादव के बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस के बिहार में डूबने के बाद वे कहीं खो से गए। पहले पटना यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री पढ़ाई। फिर सायंस कॉलेज के प्रिंसिपल के पद से रिटायर हो गए। आज नीतीश के साथ हैं, पर गुम हैं, लेकिन लालू यादव का नाम राजनीति में कितना बोल रहा है, बताने की जरूरत नहीं है।

Anupam Kumari

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मेरी कलम ही मेरी पहचान