शिवराज सिंह चौहान जो कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं और जिनकी मध्य प्रदेश की राजनीति में पकड़ बेहद मजबूत रही है, वे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। भले ही बीते विधानसभा में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा और एक बार फिर से मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का शिवराज सिंह चौहान का सपना अधूरा रह गया, मगर फिर भी इस कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा मजबूत विपक्ष की स्थिति में है और यहां शिवराज सिंह चौहान सत्ता में नहीं होने के बावजूद लगातार सरकार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। यह उनके राजनीतिक कद का ही परिणाम है कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया है।
तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह चौहान के लिए सत्ता में 15 वर्षों तक बने रहना इतना भी आसान नहीं रहा था। वे सत्ता में केवल इसलिए रह पाये, क्योंकि उनकी राजनीतिक समझ इस तरह की रही कि उन्होंने जनता को अपने मोहपाश में बांध कर रखा। उन्हें मालूम था कि जनता क्या चाहती थी और उसी के अनुरूप काम करके उन्होंने जनता को अपने साथ रखा। अब जनता को अपने साथ जोड़े रखने के लिए तरकीब क्या होगी, कैसी होगी और कितनी उचित होगी, यह अलग बात है, मगर राजनीतिक तरकीब शिवराज सिंह चौहान की हमेशा ऐसी रही, जिसकी बदौलत चैहान तीन बार मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की जिम्मेवारी संभालने में सफल रहे। बीते विधानसभा चुनाव में उनकी तरकीब विफल जरूर हुई, मगर फिर भी भाजपा कांग्रेस से ज्यादा पीछे राज्य में नहीं है।
शिवराज के राजनीति में आने की वजह भी बेहद दिलचस्प रही है। कम-से-कम उन युवाओं को तो इसकी जानकारी होनी ही चाहिए, जो राजनीति में कदम रखने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं। बताया जाता है कि शिवराज सिंह चौहान जब युवावस्था में थे या यूं कह सकते हैं कि किशोरावस्था से युवावस्था की दहलीज पर कदम रख रहे थे, उसी दौरान सीहोर में एक बात फैल गई है कि एक युवक नदी में खड़ा है और कुछ शपथ ले रहा है। बहुत जल्द बाकी लोगों को भी यह बात पता लग गई। जैसे-जैसे बात फैलती गई, वैसे-वैसे लोग नर्मदा नदी के तट की ओर भागने लगे यह देखने के लिए आखिर कौन है ये युवक जो इस तरह से शपथ ले रहे हैं। वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि एक युवक नर्मदा नदी के पानी में गले तक डूब कर खड़ा है। वह शपथ ले रहा है कि जिंदगीभर वह विवाह नहीं करने वाला। वह अविवाहित रहकर ही जिंदगीभर लोगों की सेवा करता रहेगा। आपको बता दें कि यही युवक शिवराज सिंह चौहान थे, जो बाद में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
जिस तरह से इस बालक ने जनता की सेवा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। जिस तरह से उन्होंने अपना समर्पण दिखाया और जमकर लोगों के लिए काम करना शुरू कर दिया, उसे देखते हुए जनता ने भी उन पर भरोसा जताया। इसी का नतीजा रहा कि मध्य प्रदेश में एक कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर उभरे और जनता ने तीन बार उन्हें पलकों पर बिठाकर राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। यहां तक राष्ट्रीय राजनीति में भी शिवराज सिंह चैहान की इसी की वजह से धमक देखने को मिलने लगी। हालांकि, भले ही किशोरावस्था में शिवराज सिंह ने जीवनभर अविवाहित रहने की शपथ ली थी, मगर उन्होंने साधना सिंह से वर्ष 1992 में ब्याह रचा लिया था। उनकी कार्यशैली ही कुछ इस तरह की रही कि भाजपा आलाकमान उनसे प्रभावित रहा और उन्हें बड़ी जिम्मेवारियां सौंपता चला गया। इसी क्रम में आखिरकार 2005 में एक दिन शिवराज सिंह चौहान की जिंदगी में ऐसा भी आया, जब उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया।
वर्ष 2003 में हालांकि शिवराज को राघौगढ़ विधानसभा सीट से दिग्विजय सिंह के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था, जबकि इस दौरान भाजपा को प्रदेश में अभूतपूर्व कामयाबी हाथ लगी थी। जब शिवराज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, उसी दौरान वर्ष 2005 में 30 नवंबर को उन्होंने राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया गया था। शिवराज सिंह चौहान आपातकाल के दौरान जेल भी गये थे। यही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वे स्वयंसेवक भी हैं। मध्य प्रदेश की राजनीति में आज भी शिवराज सिंह चौहान की तूती बोलती है, इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए।