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यूपी चुनाव से पहले योगी को क्यों जनसंख्या नियंत्रण नीति लाने की जरूरत पड़ी

Up Election 2022 में बेहद ही महत्वपूर्ण चुनाव है और उसकी गूंज अभी से दिखने लगी है। दरअसल देश के सबसे बड़े सियासी राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं। इस चुनाव में भाजपा ने अभी से तैयारी शुरु कर दी है और विपक्षी दल गठबंधनों के फेर में लगे हुए हैं। यूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी कैबिनेट का विस्तार इस तरह किया गया कि ज्यादा मंत्री यहीं से आएं हैं। Up Election 2022 हमेशा से ही काफी अहम रहता है क्योंकि इसका सीधा असर आने वाले लोक सभा चुनावों पर होता है।

चुनावी मौसम है सूबे में और विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश जन संख्या नीति 2021-2030 का ड्राफ्ट भी जारी कर दिया है। दरअसल इसमें दो बच्चों की नीति पर खास जोर दिया गया है। ये पॉलिसी मानने वालों के लिए कई तरह की सुख-सुविधाओं के प्रावधान किये गये हैं और जबकि इसे न मानने वालों को न सिर्फ नियमित तौर पर नुकसान होंगे बल्कि अगर वो सरकारी कर्मचारी हैं या निकायों के प्रतिनिधि हैं तो दंड स्वरूप खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर योगी आदित्यनाथ को चुनावों से ठीक पहले ये सब करने की क्या जरूरत आ पड़ी है? ये कोई ऐसा भी काम नहीं जो देश में पहली बार हो रहा हो और वैसे भी अभी तो सिर्फ ड्राफ्ट तैयार हुआ है जिस पर 19 जुलाई तक लोगों से फीडबैक मांगा जा रहा है।

बेशक जनसंख्या वृद्धि समाज और देश की समृद्धि के लिए नुकसान देह है। विश्व में सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य चीन में तो जनसंख्या कंट्रोल के कई प्रयोग किये गये हैं और आबादी पर नियंत्रण भी हासिल हो गया है, लेकिन उसके दुष्परिणाम क्या कम नुकसानदेह साबित हुए हैं? देश में लागू इमरजेंसी के दौरान परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत सख्ती से नसबंदी लागू करने का क्या असर रहा सबने देखा ही है और जिस तरह की पॉलिसी लागू करने के बारे में योगी आदित्यनाथ की योजना है, देश के कई राज्यों में पहले से ही लागू है, लेकिन कोई खास असर देखा गया हो, ऐसा तो नहीं हुआ है।

उत्तर प्रदेश जन संख्या नीति 2021-2030

योगी आदित्यनाथ जनसंख्या वृद्धि को सीधे सीधे गरीबी से जोड़ कर पेश कर रहे हैं। गरीबी चुनावी राजनीति के लिए बरसों पुराना आजमाया हुआ नुस्खा है और साथ ही, यूपी के मुख्यमंत्री ने ये भी दावा किया है कि भाजपा सरकार ने जनसंख्या नीति 2021-2030 को सभी समुदायों को ध्यान में रखकर तैयार किया है।

ट्विटर पर योगी सरकार की तरफ से लिखा भी गया है कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 का संबंध प्रत्येक नागरिक के जीवन में खुशहाली व समृद्धि लाने से है। गरीबी और जनसंख्या वृद्धि में संबंध होता है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर 2.9 है और यूपी सरकार का लक्ष्य इसे कम करके 2.1 तक लाने की है। प्रजनन दर, दरअसल, हर महिला के प्रजनन काल में पैदा हुए बच्चों की औसत संख्या होती है और समझा जाता है कि अगर प्रजनन दर 2.1 रहे तो जनसंख्या स्थिर हो सकती है।

आबादी के हिसाब से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है, इसलिए ऐसी जनसंख्या नीति की जरूरत है जो वास्तव में प्रभावी भी हो। रिपोर्ट के अनुसार, 1950 में प्रजनन दर देश में 5.9 हुआ करती थी, लेकिन 2000 आते आते ये 3 से कुछ ज्यादा दर्ज की गयी। 2018 में ये राष्ट्रीय औसत 2.2 पर पहुंच गया। अब देश में 19 राज्य ऐसे हो गये हैं जहां प्रति महिला बच्चा पैदा होने की औसत दर 2.2 पर पहुंच गयी है। बिहार प्रजनन दर के मामले में 3.3 के साथ पहले स्थान पर है और यूपी 2-9 के साथ दूसरे स्थान पर है और अब योगी सरकार इसे राष्ट्रीय औसत 2.2 से भी नीचे यानी 2.1 पर पहुंचाने का लक्ष्य तय करने वाली है।

2000 से 2010 के बीच दस साल में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बनाये गये है। फिर भी इन राज्यों की आबादी में 20 फीसदी की रफ्तार से वृद्धि दर्ज की गयी है और यही गति उन राज्यों में भी पायी गयी जहां ऐसे कानून लागू नहीं थे। उत्तर प्रदेश भी उनमें से एक राज्य है, जबकि दूसरे राज्य हैं तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल।

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चीन की पॉपुलेशन पॉलिसी पर गौर करने की जरूरत

ड्राफ्ट तक तो ठीक है, लेकिन आखिरी नतीजे पर पहुंचने से पहले योगी आदित्यनाथ को देश के बाकी राज्यों के साथ साथ चीन की पॉपुलेशन पॉलिसी पर भी एक बार गौर जरूर करना चाहिये। चीन में अब तक न तो ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ चल पायी है और न ही ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’, हालत ये हो चली है कि अब चीन की सरकार ‘थ्री चाइल्ड पॉलिसी’ का रुख अख्तियार कर चुकी है। 1979 में चीन की सरकार ने अपने यहां एक बच्चे वाली नीति को सख्ती से लागू किया था।

नतीजा ये हुआ कि 2010 में जहां आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 13.26 फीसदी रही 2020 में बढ़ कर 18.7 फीसदी हो गयी। मतलब, युवाओं की तादाद घट गयी और काम करने वालों का टोटा पड़ने लगा। तमाम उपायों के बावजूद अब भी चीन में प्रजनन दर 1 से आगे नहीं बढ़ पा रही है। युवा ही देश का भविष्य होते हैं और वो ही घट गये तो देश का क्या हाल होगा? उम्मीद है आगे बढ़ने से पहले योगी आदित्यनाथ के सलाहकार ऐसे दुष्परिणामों को लेकर उनके कम से कम एक बार आगाह जरूर करेंगे।

छोटे परिवार का देशभक्ति से कनेक्शन

ड्राफ्ट तैयार करने वाले उत्तर प्रदेश के विधि आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस एएन मित्तल का कहना है कि प्रदेश में जनसंख्या एक बड़ी समस्या है और जनसंख्या कम होगी तो संसाधन लंबे समय तक चल पाएंगे और सरकार लोगों को बेहतर सुविधाएं दे पाएगी, फिर चाहे वो शिक्षा हो या फिर राशन या फिर स्वास्थ्य सुविधाएं। जस्टिस मित्तल की दलील ये भी रही कि अगर कोई जानबूझ कर परिवार नियोजन के तरीके न अपनाते हुए लगातार बच्चे पैदा करता है, तो उनके रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होनी चाहिये। ये जिम्मेदारी परिवार की होनी चाहिये।

योगी सरकार भले ही जनसंख्या पॉलिसी को सर्वजन हिताय के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन लंबे अरसे से भाजपा नेताओं के जो बयान सुनने को मिलते रहे हैं, वो खुद ब खुद सवाल उठा रहे हैं। बाकियों को छोड़ दें और योगी आदित्यनाथ के 2015 के बयान पर ही गौर करें जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमान ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं, जिसके चलते भारत में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ सकता है। साध्वी प्राची के बयान पर तो बहुत ही ज्यादा बवाल मचा था।

साध्वी प्राची ने किसी धर्म या समुदाय विशेष का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन जो कहा उसके भाव समझने में शायद ही किसी को कोई मुश्किल हुई हो, ये लोग जो 35-40 पिल्ले पैदा करते हैं। फिर लव जिहाद फैलाते हैं। उस पर कोई बात नहीं करता है, लेकिन मेरे बयान के बाद बवाल मच गया। लोगों ने मुझसे कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करने से विकास रुक रुक जाएगा पर मैं अपने बयान पर कायम रही।

साल 2017 में आगरा में एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने ही हिंदुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी थी। सवाल जवाब के सेशन में मोहन भागवत का साफ तौर पर कहना रहा कि जब दूसरे धर्म वाले इतने बच्चे पैदा कर रहे हैं तो हिंदुओं को किसने रोका है। ऐसा कोई कानून नहीं जो हिंदुओं की आबादी बढ़ने से रोके।

15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से आबादी की समस्या का जिक्र करते हुए बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जाहिर की और कहा कि छोटे परिवार वाले देश के लिए योगदान कर रहे हैं और छोटे परिवार को देशभक्ति से जोड़ दिया था।