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क्यों योगी साहब को हाईकोर्ट की बात कभी नहीं सुनाई देती?

लव जिहाद का मामला काफी पेचिदा होता जा रहा है क्योंकि सरकार और कोर्ट दोनों का बेहद अलग रुख है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी मामले में दिया गया फैसला अभी खबरों में आया ही था, लेकिन योगी साहब ने उस पर खामोशी लगा दी। योगी साहब की सरकार लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश ले आई है।

इस अध्यादेश में योगी सरकार ने लव जिहाद को घिनौना कृत्य बताया है और इसे करने वालों के लिए सख्त सजा का फैसला लिया है। अध्यादेश के अनुसार धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है और इसके साथ ही अध्यादेश में इस बात पर भी बल दिया गया है कि अगर धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो इसकी सूचना जिले के जिलाधिकारी को दो महीने पहले देनी होगी।

बेहद सख्त है योगी सरकार

लव जिहाद के लिए योगी सरकार बहुत सख्त है रेप, भुखमरी, बेरोजगारी से भी ज्यादा। इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगर कोई धर्म परिवर्तन भी करना चाहता है तो उसे इसकी सूचना जिला अधिकारी को पहले देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उसे सजा हो सकती है। क्योंकि हमारे देश के संविधान की धज्जियां उड़ने लगी है कोई अपनी मर्जी से धर्म नहीं चुन सकता है, इसकी योगी सरकार पूरी तैयारी कर रही है। क्योंकि अगर आप किसी धर्म को चुनना चाहते हैं उसके लिए डीएम को बताएं नहीं तो 6 महीने से 3 तीन साल तक की सजा और 10 हजार का जुर्माना पाएं।

यूपी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं कि इससे शोषित महिलाओं को इंसाफ मिलेगा, लेकिन बलात्कारी तो भाजपा विधायक और नेता निकले थे। धर्म को लेकर इतनी बड़ी जंग छेड़ना भाजपा की नई आदत नहीं है पहले राम मंदिर को सालों तक राजीतिक मुद्दा बना कर रखा और अब लव जिहाद के जरिये मुसलमानों को दबाने की साजिश भाजपा सरकार की फितरत में है। क्योंकि महामारी के दौर में भी इस सरकार को लव जिहाद की समझ पड़ी है ना कि कोरोना संक्रमण को रोकने की कोशिश की जाए। सरकार बहादुर को तो अभी सैनिकों की भी नहीं पड़ी क्योंकि चुनाव नहीं है।

क्या क्या है इस अध्यादेश में

बात अगर इस अध्यादेश में सजा की हो तो जो भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन में लिप्त पाया गया उसे 15,000 रुपए जुर्माने के अलावा 1 से 5 साल तक के लिए जेल में रहना होगा। वहीं अगर ये काम एससी या एसटी समुदाय से ताल्लुख रखने वाली नाबालिगों और महिलाओं के साथ होता है तो इस स्थिति में जुर्माने की राशि 25,000 है तो वहीं इसमें 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को सरकार ने इस तरह की समस्या बना दिया है जिस पर अध्यादेश लाने की जरूरत पड़े। ये इतना अहम है कि लोगों को नौकरी देने से पहले इस पर काम हो रहा है। यही सतर्कता योगी साहब की हाथरेस मामले में नहीं थी। उस डीएम का क्या हुआ आप पूछकर देख लो सरकार से। लड़की तो हाथरस की भी शोषित हुई थी वो भी सरकार और प्रशासन से ही, तब बाबाजी ने चुप्पी साध ली थी।

कोर्ट क्यों नहीं मानता लव जिहाद

हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले को बेबुनियाद बताया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीने का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत आजादी के मौलिक अधिकार का अहम हिस्सा है। अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट ने ये भी कहा है कि इसमें धर्म आड़े नहीं आ सकता है। यानी कोर्ट का ये मानना है कि एक व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप करना दो लोगों की पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण है। लेकिन भाजपा को इतनी समझ नहीं है शायद तभी देश की अर्थव्यवस्था से लेकर बच्चे-बूड़े सब किसी ना किसी चीज से परेशान है।