ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता में पहुंचने के लिए रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। लेकिन एक बात जो राजनीतिक पार्टियों के गणित को पूरी तरह से फेल कर देती है, वो हैं यहां की जाति की राजनीति है। उम्मीदवार चाहे जितना बड़ा राजनेता हो और या फिर बॉलीवुड या भोजपुरी जगत का कलाकार ही क्यों ना हो। लेकिन जाति हर बार हावी हुई है। अब ऐसे में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपर स्टार रवि किशन और दिनेश लाल निरहुआ के गोरखपुर और आजमगढ़ से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने की खबरों से ये सवाल खड़ा हो गया है कि उत्तर प्रदेश में होने वाली जाति की राजनीति पर बीजेपी का भोजपुरिया मास्टर स्ट्रोक कैसा रहेगा।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ही पार्टियां उम्मीदवारों के नाम के ऐलान को लेकर जोड़-तोड़ कर रही हैं। कई राजनीतिक दल लगातार उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रहे हैं। तो ऐसे में कुछ खास सीटों पर नाम का ऐलान नहीं होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में कई सीटों के साथ गोरखपुर और बस्ती मंडल की 9 लोकसभा सीटों में 6 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। लेकिन गोरखपुर, देवरिया और संतकबीरनगर सीट पर अभी प्रत्याशियों के नाम को लेकर बीजेपी सोच विचार में है।
इस बीच बुधवार सुबह गोरखपुर लोकसभा सीट से भोजपुरी के सुपर स्टार रवि किशन के चुनाव लड़ने की खबरें तेज हो गई, तो वहीं भोजपुरी जगत के सबसे चर्चित स्टार दिनेश लाल निरहुआ के भी बीजेपी में शामिल होते ही आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की बात सामने आने लग गई है। जहां रवि किशन की आम जनता में अच्छी पैठ हैं तो ऐसे में बीजेपी उन्हें गोरखपुर से चुनाव मैदान में उतार कर फायदा ले सकती है। क्योंकि भोजपुरी के साथ वो बॉलीवुड के भी स्टार है। आम जनता के बीच में उनकी अच्छी फैन फॉलोइंग है। वो सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं।
साल 2017 में गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई सीट पर उप-चुनावों में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। गोरखनाथ मंदिर और योगी की मानी जाने वाली गोरखपुर सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई थी, जो सभी के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने साढे़ बाइस हजार वोटों के अंतर से बीजेपी के उपेन्द्र दत्त शुक्ल को हरा दिया था।
बीजेपी इस सीट पर जाति के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस गई थी। यही वजह है कि इस सीट पर इस बार उम्मीदवार के नाम को लेकर बीजेपी असमंजस में है। इस सीट पर सपा के प्रत्याशी के रूप में साल 2009 में भोजपुरी के सुपर स्टार रहे मनोज तिवारी भी खुद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़कर हार चुके हैं। उप चुनाव में सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद की जीत के बाद निषाद वोट बैंक और जाति की राजनीति की ताकत का अंदाजा भी लोगों को हो गया था।
वहीं आजमगढ़ लोकसभा सीट से दिनेश लाल ‘यादव’ निरहुआ को टिकट देकर बीजेपी ‘यादव’ और ‘भोजपुरिया’ मास्टर स्ट्रोक खेलना चाह रही है। तो उसे जाति की राजनीति का गणित समझना होगा। वहीं रवि किशन ‘शुक्ल’ को गोरखपुर सीट से खड़ा कर भोजपुरिया मास्टर स्ट्रोक खेलने का बीजेपी का फैसला कितना सही है ये भी बड़ा सवाल खड़ा होता है।