यह एक बीच है। हालांकि, यहां रेत नहीं हैं। समुद्र किनारे भी नहीं है। फिर भी यह बहुत ही खूबसूरत है। यह स्थित है उत्तर प्रदेश में। यहां एक जिला है पीलीभीत। यहीं यह बीच स्थित है। चूका बीच के नाम से यह जाना जाता है। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है।
घने जंगलों के बीच
घने पेड़-पौधे किसी का भी दिल जीत सकते हैं। जंगलों के बीच में यह बीच मौजूद है। दूर-दूर से पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं। खासकर सूर्यास्त का नजारा बड़ा ही गजब का होता है। एक बाघ अभयारण्य भी यहां बना हुआ है। इसमें कई जंगली जानवर मौजूद हैं। लोमड़ी से लेकर गीदड़ और बड़ी बिल्लियां तक यहां मिलती हैं।
ट्री हाउस करता है आकर्षित
भारत-नेपाल सीमा पर यह स्थित है। बरेली से इसकी दूरी लगभग एक घंटे की है। पर्यटन स्थल के रूप में धीरे-धीरे यह विकसित होता जा रहा है। कई मंदिर भी यहां बने हुए हैं। ट्री हाउस भी पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं।
बीच सा नजारा
शारदा बांध और शारदा नहर के बीच यह बीच स्थित है। शारदा सागर 22 किलोमीटर लंबा है। यही नहीं, इसकी चौड़ाई भी 3 से 5 किलोमीटर की है। यही कारण है कि यह बिल्कुल समुद्र के जैसा ही दिखता है। इसका किनारा भी 14 किलोमीटर की दूरी में फैला हुआ है। ऐसे में यह किसी बीच की तरह ही नजर आता है।
पहाड़ों से आती है हवा
यहां बड़े ही आनंद का अनुभव होता है। नेपाल नजदीक है। यहां की पहाड़ियां दिखती हैं। पहाड़ों से आने वाली हवा भी बड़ी ही सुहानी होती है। यहां समुद्री लहरों की तरह लहरें भी उठती हैं। यह हैरान कर देने वाला है कि उत्तर प्रदेश में भी एक जगह बीच जैसा अनुभव देता है। कई तरह की मछलियां भी इसमें मौजूद हैं। तरह-तरह के यहां पेड़ पौधे भी पाए जाते हैं।
पेड़-पौधे और वनस्पतियां
साल के पेड़ यहां खूब मिलते हैं। बहेड़ा, जामुन, बेल, सेमल, कदंब, कचनार अर्जुन और बरगद आदि के विशाल पेड़ भी यहां दिख जाते हैं। कई तरह की जड़ी-बूटियां यहां आपको देखने के लिए मिल जाती हैं। कई प्रजातियों की घास यहां मौजूद हैं। प्राकृतिक संपदा यहां भरी पड़ी है। यहां आकर एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है। बीच तक पहुंचने के लिए आपको घने जंगलों के बीच 2 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
शारदा नदी का पानी
पीलीभीत जंक्शन से यहां पहुंचने के लिए 63 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। शारदा नदी यहां नेपाल से बहती हुई आती है। नहर यहां दो भागों में बंट जाता है। पानी की कलकल करती हुई आवाज सुनते ही बनती है। पक्षियों का कलरव भी दिल जीत लेता है। दिन के वक्त भी कई जगहों पर अंधेरा पसरा हुआ मिलता है। घड़ियाल भी बीच पर कई बार दिख जाते हैं। प्लास्टिक पर यहां पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है। पॉलिथीन में कोई सामान लेकर आप यहां नहीं जा सकते।
ज्यादा लोगों को नहीं है जानकारी
पीलीभीत की इस जगह के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। यहां का टाइगर रिजर्व बड़ा प्रसिद्ध है। नाइट कैंप की सुविधा यहां उपलब्ध है। हर तरह की जरूरी सुविधाएं पर्यटकों को यहां मिल जाती हैं। विशेषकर नवंबर से जनवरी के बीच लोग यहां पहुंचते हैं। इस वक्त यहां का मौसम बड़ा ही खुशनुमा होता है। गर्मी के मौसम में लोग यहां आने से बचते हैं। वह इसलिए कि गर्मी कुछ ज्यादा ही पड़ती है। मानसून के दौरान भी बारिश खूब होती है।
रखता है खास महत्व
दिल्ली से यह लगभग 360 किलोमीटर दूर है। पर्यटन स्थल के रूप में इसे विकसित करने के लिए तमाम कोशिशें चल रही हैं। उत्तर प्रदेश में यह स्थान खास महत्व रखता है। समुद्र से दूर होकर भी यहां एक बीच का होना उत्तर प्रदेश के लिए गर्व की बात है। शराब और मांस के सेवन पर यहां पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है।
मिलती है शांति
धार्मिक स्थल भी यहां मौजूद हैं। कई मंदिर बने हुए हैं। विशेषकर यहां की शांति देखते ही बनती है। यहां पहुंचने पर दिल और मन दोनों को बड़ा सुकून मिलता है। देश और दुनिया से तो लोग यहां पहुंचते ही रहते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के लोगों को भी कम-से-कम यहां जरूर आना चाहिए।