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यूपी में जाट और मुसलमान का फिर से एक होना योगी के लिए खतरे की घंटी है

Logic Taranjeet 27 February 2021
यूपी में जाट और मुसलमान का फिर से एक होना योगी के लिए खतरे की घंटी है

उत्तर प्रदेश में क‍िसान पंचायतों में अब बड़ी तादाद में मुसलमान भी शामिल होने लग गए हैं। कई पंचायतों में हर हर महादेव और अल्लाह-ओ-अकबर के नारे भी लग रहे हैं। इन पंचायतों से जहां किसान आंदोलन मजबूत हो रहा है तो वहीं पिछली सांप्रदायिक दूरियां भी खत्म हो रही हैं। दरअसल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों ने जाट और मुसलमान के बीच में काफी तनाव पैदा कर दिया था, लेकिन अब किसान आंदोलन के नाम पर कई सालों के बाद ये दूरियां कम हो रही हैं।

साथ ही पश्चिमी यूपी में जाट और मुसलमान के एक साथ आ जाने से नए सियासी समीकरण भी बनते जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (Farmers union )की पंचायतों में हर हर महादेव और अल्लाह-ओ-अकबर के नारे चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के वक्त से लगते रहे हैं, लेकिन अब मुजफ्फरनगर दंगों के सात साल बाद फिर सुनाई पड़ने लगे हैं। कुछ पंचायतों में तो आधे किसान मुसलमान हैं।

नरेश टिकैट मानते हैं 2013 में गलती हुई

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत (Naresh Tikait) ने साफ कहा कि साल 2013 में गलती हुई थी। जिसकी वजह से मुसलमानों के साथ रिश्ते खराब हो गए थे। उससे बहुत नुकसान हुआ था। लेकिन अब हमारा साथ आने का प्रयास सफल हुआ है। पश्चिमी यूपी में जाट और मुसलमान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अटूट हिस्सा रहे हैं। यहां पर मुस्लिम आबादी भी काफी ज्यादा है और इनमें मुसलमानों के अलावा मुले जाट भी शामिल हैं।

ये वो जाट हैं जिनके पूर्वज मुगल काल में मुसलमान हो गए थे। उत्तर प्रदेश में 19.26 फीसद मुसलमान हैं जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 26.21 फीसदी मुसलमान है। पश्चिमी यूपी के 10 जिलों में तो उनकी आबादी 50 फीसदी से 35 फीसदी तक है। वहीं रामपुर में 50.57 फीसदी, मुरादाबाद में 47.12 फीसदी, संभाल में 45 फीसदी, बिजनौर में 43.03 फीसदी, सहारनपुर में 41.95 फीसदी, अमरोहा में 38 फीसदी, हापुड़ में 37.14 फीसदी और शामली में 35 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं।

पश्चिमी यूपी में मुसलमान, पूर्वी यूपी के मुसलमानों की तुलना में ज्यादा सम्पन्न हैं। सहारनपुर में लकड़ी के कारोबार और मुरादाबाद के पीतल के कारोबार में वो शामिल हैं। वो बड़े किसान भी हैं और यहां जाटों से उनके झगड़े साम्प्रदायिक कम कारोबारी या जमीन जायदाद के ज्यादा रहे हैं। पश्चिमी यूपी में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने मजगर यानि मुस्लिम, अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत को जोड़ने का नारा दिया था।

इसका उन्हें सियासी लाभ भी मिला था। लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद टूटने पर मुस्लिम और जाट रिश्तों में दरार आ गई थी। लेकिन कृषि अर्थव्यवस्था पर दोनों की निर्भरता की वजह से वक्त के साथ ही दूरियां भी कम हो गई थी। लेकिन 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों ने इस पूरे इलाके में जाट-मुस्लिम रिश्ते तोड़ दिए थे।

2017 के चुनाव नतीजे इसी नाराजगी के गवाह है

साल 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजे इसके गवाह हैं। पश्चिमी यूपी के 17 जिलों की 93 विधानसभा सीटों में 2012 में भाजपा सिर्फ 14 सीटें जीती थी, लेकिन 2017 में वो 73 सीटें जीत गई। अब यूपी के नेता इसी रिश्ते को वापिस जोड़ने में भी लगे हैं। जहां जाट नेता मानते हैं कि आरएलडी से रिश्ता तोड़ कर गलती की तो वहीं अब उन्हें मुसलमानों के साथ अपने खराब रिश्तों की भी परेशानी सताने लगी है। इसलिए कोशिश की जा रही है कि ये रिश्ते सुधरे। अगर जाट-मुसलमान एक हो जाते हैं तो ऐसे में मौजूदा योगी सरकार के लिए ये बहुत बड़ी खतरे की घंटी है।

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.