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प्रभु राम के साथ माँ सीता नहीं आ सकेंगी उत्तर प्रदेश ?

देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश, जिसने हमें कई सारे प्रधानमंत्री दिए। अभी वाले भी कहने को गुजरात के हैं, लेकिन वो सांसद तो वाराणसी से हैं। उत्तर प्रदेश सबसे मजबूत राज्य माना जाता है, इसलिए हर राजनीतिक दल भी कोशिश करता है कि ये राज्य मजबूत रहे।

तभी तो आप देखिये ना कि मोदी जी वाराणसी से जीते, उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री भाजपा ने अपने सबसे कद्दावर हिंदूवादी नेता को बनाया। हर बार चुनाव की नींव इसी राज्य से रखी जाती है। लेकिन इस राज्य को हर कुछ दिन बाद जगल राज का खिताब दिया जाता है। मायावती, अखिलेश, अब योगी जो भी यूपी का सीएम बना है, वो अपराध नियंत्रण में नहीं कर पाया।

दामिनी की चिता पूरी तरह से ठंडी हो गई

जिस राज्य ने हमें एक महिला प्रधानमंत्री तक दी, उस राज्य में आज भी महिलाओं की हालत बहुत नाजुक है। रेप की घटनाएं अब आम सी बात हो गई हैं, इसलिए कोई ध्यान भी नहीं देता है। एक वक्त था जब साल 2012 में दिल्ली में दामिनी रेप केस हुआ था और दिल्ली की सियासत तक बदल गई थी। 2012 की क्रांति ने पूरे देश को एक कर दिया था। दामिनी तो मर गई थी, लेकिन एक उम्मीद सी जागी थी कि शायद अब हमारे देश में महिलाएं खुली हवा में सांस ले सकेंगी। कुछ वक्त बाद ही सब भूल गए और हाल फिर वही।

योगी और मोदी ने भी नहीं छोड़ी कोई कसर

ऐसे में 2014 में और 2019 में प्रधानमंत्री बनते हैं मोदी जी और 56 इंच का सीना दिखाते हैं, देशवासी फिर उम्मीद लगाते हैं कि शायद अब बहन-बेटियों की जिंदगी बेहतर होगी। 2017 में योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते हैं, आते ही वो एंटी-रोमियो जैसे कई दल बना देते हैं। जो मनचलों को राह पर लाने लगते हैं।

लेकिन जैसे जैसे वक्त गुजरता है ये दल भी ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। और अब हफ्ते-हफ्ते में 3 ऐसे मामले सामने आ जाते हैं जिनमें दरिंदगी की सारी हदें पार हो जाती है। ये तो वहशीपना है इसलिए सामने आ गया, नहीं तो रोज के केस गिनने लगे तो शर्म से हमें चुल्लू भर पानी में डूबना पड़ेगा।

6, 8, 13 साल की बच्ची ने कौनसी सभ्यता तोड़ी

जवान लड़कियां तो छोड़ों अब तो यूपी में मासूम सी बच्चियां भी सुरक्षित नहीं है। 6 साल, 13 साल कोई उम्र बाकी नहीं बची है। ये मासूम बच्चियों ने क्या किसी मनचले का प्रपोजल मना कर दिया? या फिर ये प्रवोकिंग कपड़ें पहन कर लेट नाइट पार्टी कर रही थी। आजादी की 74वीं वर्षगांठ पर ये सरकारों के साथ-साथ हम सभी नागरिकों के मुंह पर ऐसा तमाचा हैं जिसका दर्द कभी कम नहीं होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश की ही खाली बात कर रहा हूं क्योंकि अगर पूरे देश की करने बैठा तो हाथ अलग हो जाएंगे लेकिन लिखने के शब्द खत्म नहीं होंगे और हादसों की सूची बाकी रहेगी।

इन सब घटनाओं के बाद सूबे के नेता जी कहते हैं कि सब सही है। राज्य में लॉ एंड ऑर्डर ठीक है। तो अगर ये सही है तो माननीय सरकार आप अपनी खराब की परिभाषा बता दें ताकि हम खराब परिस्थितियों के लिए तैयार हो जाएं। अपनी बहन बेटियों को इस देश से कहीं दूर ले जाएं। क्योंकि अब आप कहेंगे कि मैं इंटोलरेंट हूं तो हां हूं।

क्योंकि एक 6 साल की बच्ची के रेप की खबर मात्र सुनने भर से दिल दहल उठता है, तो कभी मेरे परिवार की किसी बच्ची या महिला के साथ हुआ तो उसे झेलने की ताकत शायद नहीं है मुझमें। शायद ये ताकत किसी में नहीं होती है, लेकिन आपकी खराब व्यवस्था और बेहद कमजोर कानून के सामने सब सिर झुकाए हैं। लड़कियों का शोषण करने में सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है जितना की अपराधी है। और शायद हम भी क्योंकि आखिर चुना तो हमने है।