उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी मैदान में हैं। पीएम मोदी ने नामांकन से पहले वाराणसी में एक मेगा रोड शो किया जिसके जरिये उन्होंने विपक्ष को अपनी ताकत का एहसास कराया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़कर पूरे पूर्वांचल में विपक्षी दलों का सफाया किया था।
बीजेपी से मेयर का चुनाव भी हार गई थी शालिनी यादव
गौरतलब है कि पहले वाराणसी सीट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के कयास लग रहे थे, लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने अजय राय को उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया, तो दूसरी तरफ महागठबंधन की तरफ से सपा ने शालिनी यादव को चुनाव के लिए उतारा है, जो कि मेयर के चुनाव में बीजेपी की मृदुला जायसवाल से हार चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार नरेंद्र मोदी की राह 2014 से भी ज्यादा आसान हो गई है। इसी कारण बीजेपी के नेता वाराणसी में रिकॉर्ड मतों की जीत का भरोसा जता रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने दिया था मुकाबला
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के साथ-साथ वड़ोदरा से भी चुनाव लड़ा था। लेकिन सियासी घमासान वाराणसी में देखने को मिला था। पीएम मोदी के खिलाफ 2014 में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस की तरफ से अजय राय ने मैदान में उतर कर मुकाबले को काफी ज्यादा दिलचस्प बना दिया था। तो वहीं पूरे देश की निगाहें वाराणसी पर टिक गई थी। केजरीवाल ने अपनी टीम के साथ बनारस की गलियों में घूम-घूम कर वोट मांगे थे।
एक ही वोट पर गठबंधन और कांग्रेस की नजर
नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार के आखिरी तीन दिनों तक वाराणसी में ही ठहरना पड़ा था। इस दौरान उन्होंने रोड शो और छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं करके वाराणसी के सियासी माहौल मोदी के पक्ष में बनाया गया था। इसके बाद कहीं जाकर नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल को करीब पौने चार लाख मतों से हराया था। वाराणसी सीट पर कांग्रेस के अजय राय, बसपा के अजय प्रकाश जायसवाल और सपा के कैलाश चौरसिया ने जो वोट लिए थे, उससे कहीं ज्यादा मोदी के खाते में गए थे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी एक बार फिर से सियासी संग्राम में हैं। मोदी के खिलाफ गठबंधन ने शालिनी यादव को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अजय राय को ही दोबारा चुना है। शालिनी यादव इस चुनाव में दलित, मुस्लिम और यादव मतों के सहारे है, तो वहीं अजय राय भी मुस्लिम और भूमिहार वोटरों के सहारे मोदी को हराने की कोशिश करेंगे।