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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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राजस्थान के सियासी ड्रामे की डोर वसुंधरा राजे के हाथ में थी

वसुंधरा राजे ने कथित तौर पर कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए बागी विधायकों के साथ कोई योजना बनाने से इनकार किया और भाजपा को बैठक को मजबूरन रद्द करना पड़ा था।
Logic Taranjeet 11 August 2020
राजस्थान के सियासी ड्रामे की डोर वसुंधरा राजे के हाथ में थी

कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने कुछ वक्त पहले विद्रोह कर दिया था, जिसके बाद से राज्य में सियासी संकट पैदा हो गए थे। लगभग एक महीने तक सरकार पर खतरा बना रहा, कहीं सचिन हीरो तो किसी के लिए विलेन बन गए थे। कुछ लोगों ने कहा कि सचिन लालसा में आकर ये कदम उठा रहे हैं, जबकि कुछ ने कांग्रेस को कोसा।

किसी ने इस सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक ही थाली में सजा दिया तो किसी ने ये कहा कि सचिन भारतीय जनता पार्टी में नहीं जाएंगे वो अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। हालांकि अब ये सारे कयास खामोश हो गए हैं, क्योंकि सचिन की कांग्रेस में ही वापसी हो गई है। वो भी जिस पद पर वो पहले थे, उसी पद पर।

वसुंधरा पर टिकी रही नजरें

इस पूरे बवाल में एक शख्स पर सबकी निगाहें काफी टिकी रही, ये शायद सचिन पायलट और अशोक गहलोट से भी अहम रही हैं। जी हां राजस्थान की पूर्व मुख्मंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया। माना जा रहा है कि इस पूरे ड्रामें के पीछे वसुंधरा राजे सिंधिया की अहम भूमिका थी।

राजस्थान विधानसभा में शक्ति परीक्षण की संभावना से ठीक चार दिन पहले सचिन पायलट की राहुल गांधी के साथ मुलाकात ने सुलह के लिए मंच तैयार कर दिया। कांग्रेस ने भाजपा पर अपने विधायकों को लालच देकर राज्य में सत्ता छीनने का आरोप लगाते हुए आधिकारिक रूप से अशोक गहलोत सरकार को संकट से बचाए रखा था। इसे कांग्रेस की आंतरिक समस्या कहा गया।

भाजपा का कुछ लेना देना नहीं

भाजपा के राजस्थान प्रमुख सतीश पूनिया ने ट्वीट किया कि हम सब कह रहे थे कि ये कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई है और वो अनावश्यक रूप से भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं। गरीब राजस्थान को कांग्रेस की 31 दिवसीय रामलीला देखनी थी… बहन प्रियंका गांधी और भाई राहुल गांधी देर से जागे हैं।

उन्होंने कहा कि अब जब आपका संकट हल हो गया है, तो लोगों से माफी मांगें और कुछ काम करें। वहीं अशोक गहलोत ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वो उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट की तख्तापलट करने में मदद कर रही है। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर भी कांग्रेस विधायकों को रिश्वत देने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया और एक ऑडियो टेप के आधार पर उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई।

कांग्रेस ने कहा कि ये इस तथ्य में भी साफ था कि सचिन पायलट के 18 बागी भाजपा शासित हरियाणा के रिसॉर्ट में रह रहे थे। जब राजस्थान से एक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम ने सौदा करने के आरोपी बागी विधायकों की तलाश की तो उन्हें हरियाणा के पुलिस कर्मियों की एक बड़ी टीम ने रोक दिया था। 

हालांकि भाजपा आधिकारिक रूप से यही जाहिर करती रही कि न तो उसका कांग्रेस के संकट से कुछ भी लेना देना है, न ही वो शक्ति परीक्षण की इच्छुक है। पार्टी के पास कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि उसके राजस्थान के पॉवर हाउस वसुंधरा राजे सिंधिया ने जोरदार चुप्पी साध रखी है। इस पूरे मामले में वसुंधरा राजे की तरफ से कुछ खास बयानबाजी नहीं की।

वसुंधरा ने कोशिश नहीं की

वसुंधरा राजे ने कथित तौर पर कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए बागी विधायकों के साथ कोई योजना बनाने से इनकार किया और भाजपा को एक बैठक को मजबूरन रद्द करना पड़ा था, जिसमें उन्हें भाग लेना था। महीने भर से लंबा सियासी ड्रामा चला जिसमें वसुंधरा राजे की तरफ से मुश्किल से ही कुछ ट्वीट किए गए थे। इसमें भी उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोगों को कांग्रेस के संकट की कीमत चुकानी पड़ रही है और उन्होंने लिखा कि भाजपा नेताओं के नाम पर कीचड़ उछालने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है।

आसान थी सरकार गिराने की राह

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सहयोग के बिना भाजपा का कुछ भी कर पाना तो नामुमकिन सा था। क्योंकि राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां पर क्षेत्रीय नेताओं का वर्चस्व केंद्रीय नेताओं के मुकाबले कई गुना ज्यादा है, राज्य में भारतीय जनता पार्टी के 72 विधायक हैं जिनमें से 45 एमएलए वसुंधरा के कट्टर समर्थक और विश्वसनीय हैं।

ऐसे में सिंधिया की चुप्पी ने बहुत कुछ साफ कर दिया था। जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास 102 विधायकों का समर्थन था, ये भी उनका दावा ही था। जो कि बहुमत में तो था, लेकिन ज्यादा फर्क नहीं था। कांग्रेस के बागी 19 विधायक, भाजपा के 72 विधायकों और क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर सकते थे। लेकिन कांग्रेस के बागी विधायकों के पास भाजपा से कुछ हासिल नहीं हुआ।

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Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.