नई दिल्ली: देश की आर्थिक हालत दिनों-दिन बिगडती जा रही है और ये हम सबसे पूरी तरह से छिपाया जा रहा है| हालाँकि सड़को में कर्मचरियों की हड़ताल और एक के बाद बेहतर आर्थिक जानकारों के इस्तीफे हमे इसका आभास कराते रहे हैं| आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने भी अपने कार्यकाल से छ महीने पहले इस्तीफ़ा दे दिया| अब डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी ऐसा ही किया है| ये संकेत हमे बताते हैं कि मोदी सरकार की किस तरह गलत आर्थिक नीतियों से अर्थव्यवस्था को गड्ढे में धकेल दिया है|
पहले ही उठाया था सवाल–
दरअसल ये कहानी आज नहीं बल्कि पिछले साल से शुरू होती है| यानी कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से जब आचार्य ने साफ़ कहा था कि आरबीआई में सरकार की दखल बढती जा रही है| सरकार बार-बार आरबीआई को उसके राजकीय कोष से पैसा निकालकर सरकार को देने के लिए कह रही है| सरकार आरबीआई के कामों में दखल दे रही है इसका समर्थन उर्जित पटेल ने भी किया था| वही से शुरू होती है विरल आचार्य की लड़ाई जो उन्होंने देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधरने के लिए लड़ी| लेकिन सरकार के लगातार दवाब के चलते उन्हें जाना पड़ा| विरल आचार्य ने जब ये बात कही थी कि सरकार हमारे काम में दकाह्ल दे रही है तो इसके साथ उन्होंने अर्जेंटीना का उदाहरण दिया था| इसमें बताया गया था कि किस तरह सरकार के दखल के चलते उस देश की माली हालत कमजोर हो गई थी|
राजन, उर्जित और अब विरल–
देश में शयद ही ऐसा कोई हो जो रघुराम राजन के ज्ञान और आर्थिक समझ का लोहा ना मानता हो| देश की जीडीपी को कैसे बढ़ाया जाता है ये उन्हें अच्छे से आता था| लेकिन सरकार की दखल और लगातार आरबीआई के राजकीय कोष से पैसा निकालने की बात से राजन भी नाराज थे| उन्होंने खुले मंच में हमेशा से ही मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों कि आलोचना की थी| इसके बाद आये उर्जित पटेल जिनके बारे में कहा गया कि ये मोदी के सबसे ख़ास आदमियों में से एक हैं| लेकिन वो भी नहीं टिक सके| उर्जित पटेल को सबसे अधिक बुरा लगा नोटबंदीका होना जो कि आरबीआई की बिना तैयारी के था| जाते-जाते उर्जित पटेल भी यही संकेत दे गए की सरकार की आर्थिक नीतिया खराब हैं| इसके बाद विरल आचार्य भी ऐसा ही कुछ कहते हुए चले गए| हाल ही में रिज़र्व बैंक के वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी रफ़्तार खो रही है| इस बात से साफ़ तौर पर ये समझा जा सकता है कि सरकार किस तरह से गलत नीतियों के चलते देश की माली हालत कमजोर कर रही है|
तो फिर कौन टिकेगा आरबीआई में?
रिज़र्व बैंक में एक के बाद अलागातर इस्तीफे हो रहे हैं| ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन देश के सबसे बड़े बैंक में टिककर काम करेगा| इसका जवाब है “एस मैन”| वो एस मैन जो सरकार के कहने के हिसाब से चले| वो आदमी जो सरकार से पूछे बिना कही भी दस्तखत ना करें| शक्तिकांत दास भी मोदी का एस मैन कहा जाता है लेकिन अब उन्हें भी समझ आने लगा है कि सरकार कि दखल के चलते बैंक और देश चलाना आसान नहीं रहा है|
देश को गाय, गोबर और मंदिर में उलझाकर रखने वाली सरकार महज सत्ता में रहना चाहती है| देश में रक्षा विभाग देखने वाली महिला वित्त मंत्री बनाई जाती है| आखिर किस योग्यता के चलते| बीती सरकारों में एक बात थी की कुछ बेहतर इकोनॉमिस्ट सरकार के पास थे लेकिन अब वो एक-एक करके जा रहे हैं|