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जस्टिस गोगोई के चीफ जस्टिस बनने से तो लोकतंत्र बच गया था न? अब कैसे खतरे में?

जस्टिस गोगोई के चीफ जस्टिस बनने से तो लोकतंत्र बच गया था जब इसी मोदी सरकार ने उसी जस्टिस गोगोई को राज्यसभा भेज दिया है तो लोकतंत्र कैसे खतरे में आ गया है।
Logic Taranjeet 21 March 2020

जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य सभा के लिए मनोनीत किया है। इसे लेकर राजनीति में विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि जस्टिस गोगोई पहले भी विवादों में घिरे रहे हैं। जस्टिस रंजन गोगोई का विरोध विपक्षी दल तो कर ही रहे हैं लेकिन उनके साथ पहले काम कर चुके जजों ने भी इस पर आपत्ति जताई है। कुछ लोगों ने तो यहां तक सुझाव दे डाला है कि जस्टिस गोगोई को मोदी सरकार का ये ऑफर ठुकरा ही देना चाहिए था, लेकिन वो कहां परवाह करने वाले। नयी मंजिल की तरफ आगे बढ़ने से पहले ही जस्टिस गोगोई ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिये भगवान संसद में मुझे स्वतंत्र आवाज की शक्ति दे। इतना ही नहीं उन्होंने शपथ लेने के बाद भी कहा कि विपक्ष भी मेरा स्वागत करेगा। उन्होंने विरोध के बीच में शपथ ली थी।

आपको याद होगा कि जनवरी 2018 में 4 जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और लोकतंत्र पर खतरा बताया था। इसमें से एक जस्टिस गोगोई ही थी। जिसके बाद मोदी सरकार के द्वारा जस्टिस गोगोई को समय आने पर चीफ जस्टिस बना दिये जाने के बाद मान लिया गया कि लोकतंत्र बच गया है। ऐसे में तब इन्हीं लोगों ने माना था कि लोकतंत्र बच गया है तो अब जब इसी मोदी सरकार ने उसी जस्टिस गोगोई को राज्यसभा भेज दिया है तो लोकतंत्र कैसे खतरे में आ गया है।

12 जनवरी, 2018 को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के बाद आने वाले चार सीनियर जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हलचल मचा दी थी और इसी में शामिल थे जस्टिस रंजन गोगोई लेकिन इस प्रेस कॉन्फ्रेंस की अगुवाई जस्टिस जे चेलमेश्वर कर रहे थे। इनके साथ में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी मौजूद थे।

तब लोकतंत्र बच गया था

एक कार्यक्रम में जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा गया कि क्या आपको आशंका है कि जस्टिस गोगोई को अगले चीफ जस्टिस के रूप में प्रमोट नहीं किया जाएंगे? तो जस्टिस चेलमेश्वर का जवाब था उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा और अगर ऐसा होता है तो ये साबित हो जाएगा कि 12 जनवरी की प्रेस कांफ्रेंस में हमने जो कहा था वो सही था। प्रधानमंत्री मोदी की केंद्र सरकार ने जस्टिस रंजन गोगोई को देश में बनी इंसाफ की सबसे बड़ी कुर्सी पर बिठाकर जस्टिस चेलमेश्वर को बिलकुल भी निराश नहीं किया और लगे हाथ ऐसे सवाल उठाने वाले हर किसी की बोलती बंद कर दी जो लगातार लोकतंत्र के खतरे में होने की बात कर रहे थे।

अब दिक्कत क्या है?

जस्टिस चेलमेश्वर ने उस वक्त एक और बात भी कही थी मैं ऑन रिकॉर्ड ये बात कह रहा हूं कि 22 जून को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मैं सरकार से कोई नियुक्ति नहीं मांगूगा। जस्टिस चेलमेश्वर अपनी बात पर कायम रहे और न्यायिक सेवा से अवकाश मिलने के बाद अपने गांव पहुंच कर खेती-बारी करने लगे। प्रेस कांफ्रेंस में चारों जजों ने एक स्वर में कहा था हमने राष्ट्र के लिए अपने ऋण का निर्वहन किया है। जस्टिस चेलमेश्वर के साथ प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद जस्टिस कुरियन जोसेफ उनसे आज भी सहमत हैं। उन्होंने भी रिटायरमेंट के बाद कोई पद न लेने का फैसला किया। ये फैसला उनका अपना था लेकिन आज जब जस्टिस रंजन गोगोई ने एक पद लिया है तो इसका विरोध क्यों?

अगर जस्टिस गोगोई देश के लिए एक स्वतंत्र आवाज बनना चाहते हैं तो किसी को भी ऐतरात क्यों होना चाहिए? साथ ही वो लगातार विपक्ष के लिए भी कह रहे हैं कि वो भी इनका स्वागत करेंगे। तो हो सकता है कि वो अच्छे इरादों से ही राज्यसभा गए हो। इनसे पहले मोहम्मद हिदायतुल्ला देश के छठे उप राष्ट्रपति रहे थे और इससे पहले वो देश के 11वें चीफ जस्टिस भी थे। वो तो देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे हैं।

कांग्रेस करे तो सही?

जस्टिस रंजन गोगोई को लेकर बिलकुल ही कोई नायाब फैसला नहीं लिया गया है। जस्टिस रंगनाथ मिश्रा भी राज्य सभा के सांसद रह चुके हैं। जस्टिस गोगोई को राष्ट्रपति ने मनोनीत किया है जबकि जस्टिस रंगनाथ मिश्रा को तो कांग्रेस पार्टी ने राज्य सभा भेजा था। जस्टिस रंगनाथ मिश्रा का नाम लिए जाने पर कांग्रेस की ओर से उनके चीफ जस्टिस के पद से रिटायर होने के बाद के वक्त की दुहाई दी गई। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा है कि दोनों मामलों में बड़ा फर्क है। सिंघवी कहते हैं कि जस्टिस रंगनाथ मिश्रा चीफ जस्टिस का पद छोड़ने के 6 साल बाद राज्य सभा पहुंचे थे, लेकिन गोगोई के मामले में 6 महीने ही हुए हैं

कांग्रेस को खटक ये नहीं रहा है कि जस्टिस गोगोई राज्य सभा गए, बल्कि उन्हें बुरा ये लग रहा है कि उन्होंने तो 6 साल बाद भेजा था। लेकिन भाजपा ने तो सिर्फ 6 महीनों में ही भेज दिया। ये फर्क उनके गले से नहीं उतर रहा है। और इसी फर्क का फायदा लगातार नरेंद्र मोदी चुनाव में उठाते रहे हैं। कांग्रेस सोती रहती है और भाजपा चुनाव जीत कर सरकार बना जाती है या फिर कांग्रेस के विधायक तोड़ कर अमित शाह अपने पाले में ले जाते हैं।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.