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क्या नाथूराम गोडसे के साथ आरएसएस भी था महात्मा गांधी की हत्या में शामिल?

नाथूराम गोडसे का नाम अक्सर लोग लेते रहते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने ही की थी। समय-समय पर राजनेताओं द्वारा भी नाथूराम गोडसे का नाम लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा पर हमला किया जाता है। नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो जरूर की थी, लेकिन उसने ऐसा क्यों किया था यह एक बड़ा सवाल है। इस पर बहुत बहस हो चुकी है। लोग हमेशा इस पर चर्चा करते रहते हैं। इस बारे में बहुत सी बातें लिखी भी जा चुकी हैं।

कैसे बने होंगे विचार आखिर?

गांधी जी की हत्या के पीछे क्या आरएसएस का भी हाथ था, यह एक ऐसा सवाल है जिसके बारे में हमेशा इतिहासकार बातें करते हैं। आम जनता भी इसके बारे में कई बार बात करती हुई नजर आ जाती है। राजनीति भी इसे लेकर खूब चलती रहती है और कई बार कई राजनेताओं द्वारा महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस को भी जिम्मेदार बता दिया जाता है। हालांकि, आरएसएस गांधी जी की हत्या के लिए जिम्मेदार है, इस बात की पुष्टि कभी भी नहीं हो पाई। यहां तक कि कोर्ट में भी यह आरोप नहीं टिका। वैसे इतिहासकारों की दिलचस्पी इससे ज्यादा यह जानने में रहती है कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे जो विचार थे आखिर वे कैसे बने होंगे।

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क्या कहा था भाई गोपाल गोडसे ने?

नाथूराम गोडसे क्या आरएसएस से जुड़ा हुआ था या इसका स्वयंसेवक था, इस बारे में तो स्पष्ट तौर पर किसी तरह का कोई प्रमाण पेश नहीं किया जा सकता है। नाथूराम गोडसे का संघ से कोई जुड़ाव था, यह साबित करने के लिए किसी तरह के कोई कागजात नहीं दिखाए जा सकते। उसी तरीके से इस बात काभी कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि वर्ष 1947 के दौरान नाथराूम गोडसे आरएसएस की शाखा में जाया करता था। हालांकि, नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे ने एक बात कही थी, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है। गोपाल गोडसे ने एक बार कहा था कि आप यह जरूर कह सकते हैं कि आरएसएस की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया था, जिसमें कहा गया हो कि जाओ गांधी जी को मार डालो, लेकिन आप इस से खुद को अलग करके तो नहीं रख सकते।

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सोशल मीडिया में फर्जी पोस्ट

सोशल मीडिया में कई बार गांधीजी के खिलाफ भ्रामक और फर्जी पोस्ट डाल दिए जाते हैं। इन खबरों को वायरल करने की कोशिश की जाती है। इस तरह के पोस्ट की जब भी पड़ताल की गई है तो इनमें से अधिकतर मामलों में यही पाया गया है कि जो लोग इस तरह की पोस्ट डाल रहे हैं, वे कट्टर आरएसएस की विचारधारा वाले लोग हैं। इस तरह से गांधी जी के विचारों को गलत तरीके से समाज के सामने पेश करने की कोशिश की जाती रही है।

क्या कहा था गोलवलकर ने?

अब इस बात पर गौर करते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के पहले और उसके बाद आरएसएस के रवैये में किस तरीके से बदलाव देखने को मिले थे। महात्मा गांधी की हत्या से पहले आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालक गोलवलकर की ओर से संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए एक बड़ी बात कही गई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को मिटाये जाने तक संघ चैन से नहीं बैठ पाएगा। यदि इसके रास्ते में कोई आता है तो हमें उसे भी मिटा देना होगा। चाहे वह नेहरू सरकार हो या फिर कोई और। गोलवलकर ने यह भी कहा था कि महात्मा गांधी अब उन्हें और ज्यादा गुमराह नहीं कर सकते हैं। गोलवलकर ने कहा था कि हमें तत्काल ऐसे लोगों को चुप कराना आता है, लेकिन हमारी ऐसी परंपरा नहीं रही है कि हम हिंदुओं के प्रति किसी तरह का बैर या द्वेष रखें, लेकिन यदि जरूरत पड़ी और हमें मजबूर किया गया तो हम उनके खिलाफ जाने से भी नहीं चूकेंगे।

सरदार पटेल की गोलवलकर को वह कड़क चिट्ठी

गांधीजी की जब हत्या कर दी गई तो इसके बाद सरदार पटेल ने जो गुस्सा दिखाया था, उस पर भी गौर किया जाना चाहिए। गोलवलकर को उन्होंने एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि उनके और संघ के लोगों के भाषण सांप्रदायिक जहर से भरे हुए थे। इसकी वजह से देश को बहुत ही बड़ा नुकसान महात्मा गांधी की हत्या के रूप में उठाना पड़ा। इन्हीं सरदार पटेल ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा था कि महात्मा गांधी की हत्या किए जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा मिठाइयां बांटी गई थी और खुशियां भी मनाई गई थी।