एक महिला डॉक्टर ने ट्वीट किया और कहा कि जब N-95 मास्क और ग्लव्स आ जाएं तो उन्हें मेरी कब्र पर पहुंचा देना और वहां पर ताली और थाली भी बजा देना। इस ट्वीट से समझ आता है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की क्या हालत है। वो इतने परेशान है कि अब ट्वीट के जरिये सरकारों से मदद मांग रहे हैं। इस ट्वीट में महिला डॉक्टर ने देश के प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भी टैग किया है। इस ट्वीट को वायरल होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा और तभी मौका उठा कर राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने इसे री-ट्वीट कर दिया। गौरतलब है कि डॉक्टर ने अगले दिन माफी मांगी और ट्वीट को हटा दिया। लेकिन इस ट्वीट ने कई जरूरी सवाल खड़े कर दिए हैं।
डॉक्टर के ट्वीट से गया सबका ध्यान
रविवार 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर पूरे देश ने थाली, ताली, शंख, घंटी सब बजा कर डॉक्टरों समेत उन सभी लोगों का आभार प्रकट किया जो इस महामारी के वक्त आम जनता के लिए खड़ा है। पूरे देश ने एक स्वर में शाम को 5 बजे घर के बाहर आकर डॉक्टरों के सम्मान में तालियां बजाई। लेकिन इन तालियों और थालियों के बाद कई डॉक्टर्स के ट्वीट, वीडियो और सोशल मीडिया पर पोस्ट सामने आने लगे जिसने हमारी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन स्वास्थ्य कर्मियों का हमने अभिवादन किया, जो इस महामारी के वक्त दिन-रात खड़े हैं, क्या उनका और उनकी जरूरतों का ख्याल नहीं रखा जाना चाहिए।
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नर्स ने भी की थी वीडियो शेयर
लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट में काम करने वालीं शशि सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने शेयर किया। इस वीडियो में वो शिकायत कर रही हैं कि नर्सों को बेसिक जरूरी चीजें नहीं मिल पा रही हैं। उनके पास एन-95 मास्क नहीं हैं। एक प्लेन मास्क और ग्लव्स से ही मरीजों को देखा जा रहा है। उनका आरोप है कि पूरे उत्तर प्रदेश में यही हाल है और इस बारे में बोलने से रोका जा रहा है। कई महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस दौरन अपनी चुनौतियों को जनता के सामने रखा है। अस्पतालों में महिला सवास्थ्यकर्मी इस वक्त कई परेशानियों का सामना कर रही हैं। कोरोना से निपटने की तैयारियां तो नाकाफी हैं ही साथ ही स्टाफ के लिए बेसिक चीजों को भी मुहैया नहीं करवाया जा रहा है।
इनमें बहुत से ऐसे डॉक्टर और नर्स हैं जो कई दिनों से घर नहीं गए हैं। हालांकि इमरेजेंसी के वक्त भी छुट्टी नहीं दी जा रही है। अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में मास्क नहीं हैं, स्क्रीनिंग किट्स नहीं हैं। डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए उपकरण पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। ये डॉक्टर अपने रिस्क पर काम कर रहे हैं। इमरजेंसी वार्ड में काम करने वाले डॉक्टर्स की हालत तो बहुत ही खराब है। कुछ की तबीयत भी खराब है, कुछ खुद आइसोलेशन और क्वारेंटीन वॉर्ड में हैं।
आगे बढ़ेगी मुश्किल
कई डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले दिनों में मामले बढ़ेंगे तो चुनौतियां भी बढ़ेंगी। डब्लूएचओ की गाइडलाइन्स के मुताबिक पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट जिसमें ग्लव्स, मेडिकल मास्क, गाउन और एन-95 मास्क, रेस्पिरेटर्स शामिल हैं इसकी देश में पहले से ही दिक्कतें देखने को मिल रही हैं। ऐसे में अगर मरीजों का इलाज करने वाले लोग ही बीमार पड़ जाएंगे, तो मरीजों को कौन देखेगा?
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गौरतलब है कि देश कोरोना के चपेट में है, संक्रमित लोगों की संख्या का आंकड़ा 500 पार कर गई है। ऐसे में विपक्ष लगातार सरकार से तैयारियों को लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार पर सवाल उठाया कि WHO की सलाह – वेंटिलेटर, सर्जिकल मास्क का पर्याप्त स्टाक रखने के विपरीत भारत सरकार ने 19 मार्च तक इन सभी चीजों के निर्यात की अनुमति क्यों दीं? जाहिर है सरकार के अपने तर्क हैं। प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लिए पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है। हैशटैग स्टे होम ट्रेंड कर रहा है। लेकिन अहम सवाल है कि क्या ये कदम काफी हैं?