पश्चिम बंगाल में सीबीआई को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया…जो कि भारत के इतिहास में एक बड़ी घटना है जिसपर सवाल खड़ा होना लाजमी है…
रविवार को कोलकाता पुलिस राजीव कुमार के घर पर पहुंची औऱ शारदा और रोज वैली घोटालों के नाम पर उन्हें हिरासत में ले लिया…जिसपर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सेंट्रल कोलकाता में शाम 8:30 बजे “संविधान बचाओ” धरने पर बैठ गई…
The Kolkata Police Commissioner is among the best in the world. His integrity, bravery and honesty are unquestioned. He is working 24×7, and was on leave for only one day recently. When you spread lies, the lies
will always remain lies 2/2— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) February 3, 2019
राजीव कुमार 1989 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं…कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को ममता बेनर्जी का बहुत करीबी माना जाता है…राजीव को 2016 में कोलकाता का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था…राजीव सीआईडी डिपार्टमेंट में भी काम कर चुके हैं…इससे पहले राजीव विधाननगर पुलिस कमिश्नरी में बतौर पुलिस कमिश्नरी भी रह चुके हैं…राजीव कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) चीफ के रूप में भी काम कर चुके हैं…राजीव कुमार शारदा औऱ रोज वैली चिटफंड घोटाला मामले की जांच करने वाली स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की भी नेतृत्व कर चुके है…
इसी मामले में कई अहम दस्तावेजों के कथित तौर पर गायब होने पर राजीव और अन्य अधिकारियों से मामले की जांच में सहयोग मांगा गया था…लेकिन राजीव सीबीआई के सामने पूछताछ के लिए पेश ही नहीं हुए…पता हो कि इस मामले में टीएमसी के कई नेता आरोपी हैं औऱ कई जेल भी जा चुके हैं…
दोनों चिटफंड कंपनियों ने लोगों को लालच देकर चूना लगाया था…शारदा ग्रुप ने लोगों को सागौन से जुड़े ब्रांड्स में निवेश करके 34 गुना ज्यादा रिटर्न पाने का लालच दिया था…यानि की यदि आप 1 लाख का निवेश करते हैं तो 25 साल बाद आपको 34 लाख रुपए दिए जाएंगे…साथ ही इस कंपनी ने आलू के बिजनेस का लालच देकर 15 महीनों में रकम डबल करने का भी सपना दिखाया था…और 10 लाख लोगों ने इसमें निवेश भी किया…और कंपनी पैसों के साथ फरार हो गई…वहीं रोज वैली चिटफंड घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने करीब 1 लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगाया था…साथ ही आशीर्वाद औऱ होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया…औऱ लोगों ने बातों में आकर निवेश किया…इस ग्रुप के एमडी शिवमय दत्ता इस घोटाले के मास्टरमाइंड माने जाते है…
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. एलएस चौधरी की माने तो दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिसमेंट (DSPE) एक्ट-1944 में “सीबीआई” शब्द ही नहीं लिखा है… कई संसोधन के बाद भी इसमें सीबीआई शब्द को नहीं जोड़ा गया…बल्कि संविधान के किसी भी चैप्टर में सीबीआई के गठन का कहीं भी प्रावधान नहीं है…सीबीआई 1 अप्रैल 1963 को एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के तहत बनी थी…इसलिए अभी भी केंद्रीय जांच एजेंसी “सीबीआई” को संवैधानिक दर्जा हासिल नहीं है…
जिसके चलते गुवाहटी हाईकोर्ट ने 6 नवंबर 2013 को अपने फैसले में कहा था कि सीबीआई संवैधानिक संस्था नहीं है…औऱ इसके पास किसी को भी हिरासत में लेने का कोई अधिकार नहीं है…संविधान के अनुसार केंद्र सरकार ऐसी कोई भी एजेंसी या फोर्स नहीं रख सकती…अगर सीबीआई को पुलिस के सामान अधिकार देना है तो उसे संविधान की “समवर्ती सूची” में शामिल करना होगा…
वहीं संविधान सभा के सदस्य नजीरुददीन अहमद औऱ डॉ. बीआर अंबेडकर ने सीबीआई जैसी संस्था के होने की बात कही थी…कि ऐसी एजेंसी केंद्र सरकार की संघ सूची के विषयों में शामिल रहेगी…एजेंसी के पास अंतरराज्य अपराधों की तुलना कर उसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देने का अधिकार रहेगा…पुलिस, जो कि “राज्य सूची” का विषय है उसकी तर्ज पर ये एजेंसी न तो किसी से पूछताछ कर सकती है और न ही किसी को गिरफ्तार…लेकिन आज सीबीआई को पूछताछ करने का जो अधिकार मिला है वह “डीएसपी एक्ट” के तहत संभव हो सका है..
सबसे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सीबीआई की एंट्री पर बैन लगाया था…चंद्रबाबू के इसी फैसले का समर्थन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने किया…हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार भी सीबीआई पर रोक लगा चुकी है.
जब सीबीआई को पुलिस प्रमुख के आवास में प्रवेश करने से रोका गया…उसके बाद में सीबीआई के अधिकारियों को पुलिस जीप से थाने ले जाया गया…औऱ हिरासत में लिया गया…इसी बीच ममता बनर्जी पुलिस प्रमुख के आवास पर पहुंची औऱ केद्र सरकार पर बदला लेने का आरोप लगाया…मामले में सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि एजेंसी के अधिकारी कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के आवास पर उनसे चिटफंड मामले में पूछताछ करने गए थे…अगर वे हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते…वहीं सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच की जा रही है…कोर्ट के निर्देश से पहले राज्य सरकार ने इस मामले में राजीव कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था…औऱ उन्होंने सारे सबूतों का चार्ज अपने अंडर में ले लिया औऱ सभी कागजात जब्त कर लिए…राजीव कुमार कागजात सौंपने में हमारा सहयोग नहीं कर रहे…और साथ ही पश्चिम बंगाल पुलिस भी इस मामले में हमारा सहयोग नहीं कर रही…