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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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जॉन अब्राहम की फिल्म देखने से पहले जानिये क्या है विवादित बाटला हाउस काण्ड?

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नई दिल्ली: वर्तमान समय में देखा गया है कि फ़िल्में असल जीवन पर आधारित घटनाओं पर बनने लगी हैं| बीते सालों में हमने कई सारी फ़िल्में देखी जो असल घटनाओं पर बनी और उन्हें लेकर विवाद शुरू हो गया| अब ऐसी ही एक और फिल्म आ रही है जिसमे जॉन अब्राहम मुख्य भूमिका में हैं| इस फिल्म का नाम है “बटला हाउस”| यह दिल्ली में हुए एक एनकाउंटर की कहानी है जो काफी विवादित है| आइये जानते है आखिर क्या है इसकी कहानी|

दिल्ली में पांच लगातार बम ब्लास्ट से शुरुआत

ये बात है 13 सितम्बर 2008 कि जब रोजाना की तरह दिल्ली में एक खुशनुमा सुबह हुई| लेकिन ये मातम में तब बदल गई जब उसी दिन दिल्ली में पांच लगातार बम ब्लास्ट हुए| मानो जैसे देश हिल गया हो और सरकारी एजेंसियों के तोते उड़ गए| इन धमाकों में 26 लोगों की मौत हुई और लगभग सौ से अधिक घायल हो गए| पुलिस पर इन धमाकों के दोषियों को पकड़ने का दवाब बहुत जोरों पर था| केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और गृह मंत्री पी. चिदंबरम लगातार इसकी मोनिटरिंग कर रहे थे| इसके बाद 13 सितम्बर 2008 को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम और जामिया नगर के बटला हाउस के एल-18 मकान में छिपे इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकवादियों में मुठभेड़ हुई| पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ में दो कथित चरमपंथी मारे गए, दो गिरफ़्तार किए गए और एक फ़रार हो गया| इन्हें दिल्ली धमाकों के लिए ज़िम्मेदार बताया गया| इसमें पुलिस को सफलता मिली लेकिन दिल्ली मोहन चन्द्र शर्मा इस एनकाउंटर में घायल हो गए| उन्हें नजदीकी होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई| बताया गया कि उनके पेट, दाहिने हाथ और जांघ में गोली लगी थी| इस मौत के लिए पुलिस ने शहजाद अहमद को जिम्मेदार माना|

फिर शुरू हुआ विरोध

इसके बाद 21 सितम्बर 2008 तक इस मामले में कुल 14 गिरफ्तारियां की गई| बटला हाउस की देखभाल करने वाले एक शख्स को भी गिरफ्तार किया गया| बाकी लोगों को दिल्ली के अलावा यूपी से गिरफ्तार किया गया| लेकिन तभी मानवाधिकार संगठन ने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इसकी न्यायिक जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी| याचिका दायर होने के बाद 21 मई 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस दायर याचिका की दो महीने में रिपोर्ट पेश की जाए| इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दो महीने के अंदर इसमें रिपोर्ट पेश कि लेकिन दिल्ली पुलिस को कोर्ट ने इसमें क्लीन चिट दे दी| इसके बाद 30 अक्टूबर 2009 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी न्यायिक जांच से इंकार कर दिया|

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच से पुलिस का मनोबल प्रभावित होगा| बटला हाउस एनकाउंटर के दो साल पूरे होने पर दिल्ली की जामा मस्जिद के पास मोटर साइकिल सवारों ने विदेशी पर्यटकों पर गोलीबारी की| इसमें दो ताइवानी नागरिक घायल हुए| इसके बाद 6 फरवरी 2010 को दिल्ली पुलिस ने इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की मौत के जिम्मेदार शहजाद अहमद को गिरफ्तार कर लिया| 20 जुलाई 2013 को कोर्ट ने शहजाद के मामले में गैसला सुरक्षित रख लिया और 25 जुलाई को उसे दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया गया| इसके बाद 30 जुलाई को उसे उम्रकैद दी गई| इसके बाद 24 मई 2016 को आतंकी संगठन आईएसआईएस की ओर से जारी एक वीडियो में दो संदिग्‍ध आतंकी आतंकी अबु राशिद और मोहम्‍मद साजिद नजर आए| राशिद बटला हाऊस एनकाउंटर के बाद से फरार है, जबकि साजिद अहमदाबाद और जयपुर ब्‍लास्‍ट में शामिल था| दोनों साल 2008 के बाटला हाऊस कांड के बाद से फरार चल रहे हैं|

फिर और विवाद मानवाधिकार आयोग के साथ हुआ

इसके बाद विवाद और बढ़ता चला गया| मानवाधिकार आयोग के साथ कई सारे सामाजिक संगठन भी शहजाद के फैसले के खिलाफ सडकों में उतर आये| यहाँ तक कि इसमें उस समय कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह भी शामिल थे| लेकिन दिग्गी के बयान से पार्टी ने किनारा कर लिया| समाजवादी पार्टी ने भी फिर से फाइल खोलने की मांग की लेकिन गृह मंत्रालय ने इसे इंकार कर दिया| इसके बाद एक एनजीओ ने इस पर याचिका दायर की और शहजाद पर आये फैसले को चुनौती दी गई और इसमें कोर्ट ने दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा| लेकिन रिपोर्ट पेश होने के बाद दिल्ली पुलिस को फिर से क्लीन चिट मिल गई|

शहजाद के वकील की दलील अलग-

शहजाद के वकील ने कई सारे दावे किये| उसका कहना था कि जब एनकाउंटर हुआ तब शहजाद वहां मौजूद नहीं था| अगर वो मौजूद होता तो पुलिस ने जिस घर को चारों तरफ से घेर रखा था उससे भगाने में कामयाब कैसे होता| इसके अलावा वहां पर शहजाद का पासपोर्ट मिला जिसके बारे में कहा गया कि वो फर्जी है और उसमे शहजाद के दस्तखत नहीं है|

ये थी बटला हाउस की पूरी कहानी जिसके ऊपर जॉन अब्राहम फिल्म लेकर आ रहे हैं| इसे देखकर लगता है कि इसके जरिये देश के लोगों को कई सारे ऐसे सच पता चलेंगे जिनसे वो अनजान थे|

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.