क्रिकेट के मैदान में एक ऐसी छवि वाला खिलाड़ी जो हर मुश्किल परिस्थिति में टीम इंडिया के लिए संकटमोचक बन कर खड़ा रहता है। जिसने कई मौकों पर अपने चौंकाने वाले फैसले से सबको हैरान किया है। महेंद्र सिंह धोनी इस बार भी कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जिससे उनकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। हाल ही में खत्म हुए विश्व कप के बाद ऐसा लग रहा था कि धोनी अपने संन्यास की घोषणा कर देंगे लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
वेस्ट इंडीज दौरे पर टीम इंडिया से उन्होंने खुद को दूर रखा है। जब टीम इंडिया वेस्ट इंडीज दौरे पर होगी तो महेंद्र सिंह धोनी 2 महीनों के लिए कश्मीर में ट्रेनिंग पर होंगे। लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि रखने वाले 38 साल के धोनी 31 जुलाई से 15 अगस्त तक 106 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन के विक्टर फोर्स का हिस्सा होंगे।
धोनी जिस यूनिट का हिस्सा हैं उसकी पोस्टिंग दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा में है। धोनी 16 दिनों की ट्रेनिंग में पेट्रोलिंग, गार्ड और पोस्ट की ड्यूटी संभालेंगे, इस दौरान वो जवानों के साथ ही रहने वाले हैं। हालांकि वो किसी भी ऑपरेशलन एक्टीवीटी का हिस्सा नहीं होंगे।
इससे पहले भी भी कई मौकों पर धोनी सेना के साथ दिखाई दिए हैं, लेकिन उस वक्त वो चीफ गेस्ट एक स्पीकर की हैसियत से जुड़े हैं। ये दूसरा मौका है जब धोनी सेना के जवानों के साथ रहेंगे, इससे पहले धोनी ने साल 2015 में टैरिटोरियल आर्मी में क्वालीफाइड पैराट्रपर की ट्रेनिंग ली थी।
धोनी ने आगरा में स्थित कैंप में ट्रेनिंग ली थी जहां पर उन्होंने सेना के विमान से पांच बार पैराशूट से छलांग लगाई थी। उस दौरान वो 2 हफ्तों के लिए पैराशूट रेजिमेंट के कुलीन पैरा यूनिट के साथ जुड़े थे।
क्या है टेरिटोरियल आर्मी की विक्टर फोर्स
प्रादेशिक सेना यानी की टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना की ही एक यूनिट है। युद्ध के समय फ्रंट लाइन में तैनाती के लिए भी इसका उपयोग होता है। टेरिटोरियल आर्मी को 5 यूनिट्स में बांटा गया है और इन्हें रोमियो फोर्स, डेल्टा फोर्स, विक्टर फोर्स, किलो फोर्स और यूनिफॉर्म फोर्स के नाम से जाना जाता है। इसमें से विक्टर फोर्स की तैनाती कश्मीर के घाटियों में है। इस फोर्स में अधिकतर जवान इंफैंट्री के होते हैं, लेकिन कुछ जवान आर्मर्ड, आर्टिलरी, एयर डिफेंस और ईएमई यानी इंजीनियरिंग विंग से भी आते हैं। विक्टर फोर्स की कमांड आर्मी के मेजर जनरल के पास होती है। विक्टर फोर्स को खास तौर से उन इलाकों के लिए तैयार किया जाता है, जहां पर उग्रवादी और आतंकी वारदात सबसे ज्यादा होती है। विक्टर फोर्स सीधे तौर पर रक्षा मंत्रालय के अंदर होती है।
धोनी का आर्मी प्रेम
धोनी का आर्मी प्रेम जागजाहिर है। वो कई मौकों पर भारतीय सेना के लिए सम्मान का भाव दिखा चुके है। उनका क्रिकेट किट बैग भी अक्सर फौज के रंग का होता है। हाल ही में उन्होंने विश्व कप के एक मैच में अपने विकेट कीपिंग ग्लव्स में बलिदान बैज भी लगाया था जिस पर काफी ज्यादा विवाद हो गया था। इसके बाद में आईसीसी के निर्देश पर बलिदान बैज वाले ग्लव्स पहनने से धोनी को रोक दिया गया था।
जब धोनी को 2011 में पैराशूट रेजिमेंट का मानद रैंक दिया गया था तब धोनी ने कहा था कि बचपन से ही मैं सेना में शामिल होना चाहता था। मैं जब कैंट इलाके का दौरा किया करता था तब सैनिकों को देख कर मुझे लगता था कि एक दिन मैं भी उनके बीच में रहूंगा। महेंद्र सिंह धोनी उस वक्त भी चर्चा में आए थे जब उन्हें देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण मिला था और वो राष्ट्रपति भवन में सेना की वर्दी में सम्मान हासिल करने के लिए खड़े हुए थे, उस दौरान पूरा भवन तालियों से गूंज उठा था। धोनी सेना की जवान की तरह मार्च पास्ट करते हुए राष्ट्रपति के सामने गए थे। उनको सलामी दी थी और अपना पुरस्कार ग्रहण किया था। और फिर कदमताल करते हुए वो वापिस लौटे थे। इसके अलावा भारतीय क्रिकेट टीम रांची में हो रहे वनडे मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आर्मी कैप्स पहनकर खेलने के लिए उतरी थी। ऐसा उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों के सम्मान में किया था। टॉस से पहले ये टोपियां खुद धोनी ने ही टीम इंडिया के खिलाड़ियों को सौंपी थी।
धोनी को मिले हैं ये सम्मान
धोनी अपनी कप्तानी में भारत को आईसीसी की तीन सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में चैंपियन बना चुके हैं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक अलग दर्जा दिलाया है, साथ ही अगर कहें कि उन्होंने टीम इंडिया को जीतने की हिम्मत दी है। तो ये गलत नहीं होगा। इसके अलावा धोनी कई पुरस्कारों से भी सम्मानित हुए हैं।
- 2008 – आईसीसी वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड
- 2007 – भारत का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड
- 2009 – पद्म श्री
- 2018 – पद्म भूषण