नई दिल्ली: साल 2019 का वर्ल्डकप हारने के बाद रवि शास्त्री को हटाने कि मांग शुरू हो गई लेकिन वो फिर से कोच बन गए. बहुत सारे निराश लोगों के मन में उम्मीद जगी जब दादा यानि की सौरभ गांगुली को प्रेसिडेंट बनाए जाने कि खबर आई. अब सब रवि शास्त्री से कह रहे हैं “अब तेरा क्या होगा कालिया”.
- घर जाओगे की बैंकाक
दादा के फैन्स ने रवि शास्त्री को बस दो ही आप्शन दी हैं. या तो आप घर चले जाए या इर बैंकाक का रास्ता पकड लें. अरे भाई रवि जिस तरह के पार्टी एनिमल है उसे देखते हुए फैन्स ऐसा कह रहे हैं. अरे जब रवि ने कोच के लिए इंटरव्यू दिया था तब वो विदेश के किसी बीच में बैठे थे. अब तो मानो जैसे दादा के फैन्स को बदला लेने का मौका मिल गया.
- 25 दिन हैं, बचा ले कोच को
saurav ganguly के BCCI PRESIDENT बनते ही भाईसाब कोहली के नाम भी एक सन्देश दिया जाने लगा है. “25 दिन हैं, बचा ले अपने कोच को”. ऐसे में कोहली खुद सकते में हैं की आखिर किया क्या जाए. अब गुरूजी खतरे में हैं और अपुन को उनका प्यार नहीं मिलेगा. वैसे आप जानते ही होंगे कोहली-शास्त्री के बीच में कैसा याराना है.
- काँप काहे रहे हो
गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में एक सीन है. जब सरदार खान ऊ बंगालन का गाल पकड़कर कहिता है कि काँप काहे रही हो. अब समझिये वैसा ही कुछ सीन है. दादा के फैन्स की यही इक्षा है कि बस ऐसे ही दादा भी कहते नजर आए की “काँप काहे रहे हो शास्त्री, रिटायर नहीं हुए अभी तक का”. ऐसे में शास्त्री कुछ ना बोलते हुए विराट कोहली के रूम की तरफ चल दिए.
- क्यों हिला डाला ना
शिवाजी दा बॉस फिल्म में एक सीन है जब रजनी अन्ना हेलीकाप्टर से उतरते हैं. इसके बाद टशन के चलते हुए आते हैं और अपने दुश्मन के सामने कहते हैं “क्यों हिला डाला ना”. बस वहीच चाहिए दादा के फैन्स को. दादा ऐसे ही टशन में उतरकर आएं और शास्त्री के सामने अपना बीत बजाकर बोले “क्यों शास्त्री हिला डाला ना” कसम से माहौल बन जाए उन फैन्स का. ऊ का है ना शास्त्री और दादा में पाहिले से ही कुछ खिटिर-पिटिर चल रही है.
- अब तो कमेंट्री भी ना मिलेगी
याद करी बचपन में गली क्रिकेट का सीन. अगर आपको कोई लड़का बैटिंग और बोल्लिंग नहीं देता था तो आप उदास होते थे. इतने में आपका बड़ा भाई आ जाता था और पूरा मैच उसके हाथ में. ऐसे में आप उस सामने वाले लड़के को फील्डिंग भी नहीं करने देते थे. काहे की अब भाई का राज चलने लगा है ना. मतलब माहौल आपका था. दादा के फैन्स में भी यही इक्षा है अब कि दादा भी कुछ ऐसा ही करें. शास्त्री को जब कमेंट्री भी ना मिले तब इनके मन में सुकून आए.
दादा के चाहने वाले तो इतना खुश हैं की एक चक्कर मंदिर का लगा ही आए होंगे. और शास्त्री के चाहने वाले कह रहे हैं “अरे हम तो जाने ही नहीं भईया उनकी, ऊ कौन हैं”.