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क्यों केजरीवाल ही बनेंगे दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री जानें अहम कारण

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। जिस तरह के सर्वे और मीडिया रिपोर्ट सामने आ रही हैं तो माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल आसानी से भाजपा और कांग्रेस को हरा देंगे। हालांकि जनता के मूड का पता नहीं होता है तो ऐसे में हल्के में लेना केजरीवाल के लिए भूल साबित हो सकती है। आत्मविश्वास में तो केजरीवाल है लेकिन कहीं वो अति आत्मविश्वास में आकर बाकी दलों को कम न आंक लें। दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की सरकार क्यों बन सकती है इसके पीछे की कई वजहें हैं तो इस लेख में हम वही जानते हैं। दरअसल सबसे पहली बात तो ये है कि केजरीवाल ने एक नई शुरुआत की है जिसमें लोगों में उम्मीद जागी है। उन्होंने अपने वोटर को 5 सालों में नजरअंदाज नहीं किया है। जैसा कि हमेशा से राजनीति में होता रहा है।

तो आइये जानें उन कारणों को जो हमें बताएंगे कि कैसे एक आसान जीत दर्ज कर दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकते हैं अरविंद केजरीवाल।

बिजली, पानी और स्कूल

सवाल हो कि एक वोटर अपनी चुनी हुई सरकार से क्या चाहता है? तो बिजली पानी और शिक्षा जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे और अब अगर इन्हें केजरीवाल के सन्दर्भ में देखें तो मिलता है कि इन मामलों को लेकर केजरीवाल ने दूसरे दलों और दूसरे नेताओं से इतर काम किया है। दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त है और साफ और पीने योग्य पानी भी लोगों को फ्री में मुहैया कराया जा रहा है। तो वहीं बात अगर शिक्षा की हो तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों और उन स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन का हाल भी किसी से छुपा नहीं है। आज आलम कुछ यूं है कि दिल्ली के सरकारी स्कूल में अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए लोग कतार में खड़े हैं या फिर सिफारिशों का सहारा ले रहे हैं। बिजली, पानी और स्कूल बहुत मामूली मुद्दे हैं और कहा यही जाता है कि अगर किसी ने इनपर काम कर लिया तो वो किसी का भी दिल बड़ी ही आसानी के साथ जीत सकता है। अब क्योंकि केजरीवाल ने इस दिशा में काम किया है तो माना यही जा रहा है कि इसका फायदा उन्हें होगा और वो आसन जीत दर्ज करेंगे।

दिल्ली में भाजपा मतलब पूर्वांचल

दिल्ली एक मिक्स आबादी का शहर है और यहां कई प्रान्तों और राज्यों के लोग रह रहे हैं मगर जैसा भाजपा का रुख है आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वो अपनी सारी ऊर्जा पूर्वांचल के लोगों को खुश करने में लगाती नजर आ रही है। इस वजह से लोग भाजपा से खासे नाराज हैं और लोगों का तर्क है कि भाजपा सिवाए पूर्वांचल के कुछ देख नहीं रही है। कह सकते हैं कि अगर ये नाराजगी लोगों में बनी रहती है तो निश्चित रूप से इसका खामियाजा उसे आगामी विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा और इसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को मिलेगा।

कारोबारियों का केजरीवाल को समर्थन

ये देखा गया है कि हिंदुस्तान में राजनीति का आधार जाति होता है और केजरीवाल जाति के लिहाज से बनिया हैं। साथ ही अगर उनके पिछले 5 सालों के कार्यकाल का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं किया है जिससे दिल्ली के बनिया वर्ग या ये कहें कि कारोबारियों को नुकसान हो। जबकि मोदी सरकार में जीएसटी आने के बाद से कारोबारी थोड़े भाजपा से नाराज हैं। तो इसका फायदा भी केजरीवाल को मिल सकता है।

पंजाबी और सिख समुदाय

कारोबारियों के अलावा बात अगर पंजाबी और सिख समुदाय की हो तो उनका भी केजरीवाल के प्रति झुकाव किसी से छुपा नहीं है। चाहे दिल्ली में रह रहे विस्थापित पाकिस्तानी पंजाबी हो या फिर खुद पंजाब में रह रहे पंजाबी इस समुदाय के बीच हमेशा ही केजरीवाल की लोकप्रियता रही है और केजरीवाल पसंद किये जाते हैं। अगर बात 2015 की ही तो बताना जरूरी है कि उस समय केजरीवाल का वोट परसेंटेज 54.34 था जिसमें पंजाबी वोटरों की एक अच्छी संख्या थी।

विधानसभा के मोदी हैं केजरीवाल

केजरीवाल इस विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करेंगे इसके लिए ये एक अहम पॉइंट है। दिल्ली की जनता इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि बड़े मुद्दों पर मोदी की लीडर शिप चलेगी तो वहीं छोटे या ये कहें कि स्थानीय मुद्दों पर केजरीवाल का हक रहेगा। इसलिए इस मामले को लेकर भी हमें कोई बहुत बड़ा टकराव नजर नहीं आता है। इसलिए कह सकते हैं कि कल को जब दिल्ली में चुनाव होगा किसी भी तरह की कोई अड़चन केजरीवाल के सामने नहीं आएगी और वो बड़ी ही आसानी के साथ अपनी विजय पताका फहरा देंगे।

मुस्लिम वोट्स

इस बात में कोई शक नहीं है कि दिल्ली के मुसलमान केजरीवाल को पसंद करते हैं। अगर बात मौजूदा वक्त की हो तो भले ही जामिया और सीलमपुर में हुई हिंसा के बाद केजरीवाल की चुप्पी या फिर पुलिस की बर्बरता को लेकर दिल्ली के मुसलमान अरविंद केजरीवाल से नाराज हों मगर वो इस बात को समझते हैं कि जब भी बात पीएम मोदी या भाजपा से लोहा लेने की आएगी तो ये केजरीवाल ही हैं जो उन्हें हरा सकते हैं। भले ही हालिया हिंसा पर केजरीवाल चुप हों मगर इसमें कोई शक नहीं है कि मुस्लिम वोट उन्हीं के पाले में आएंगे जो उन्हें फायदा पहुंचाएंगे।