भूख ऐसी चीज है जो शरीर को सन्न कर देती है। दिमाग काम करना बंद कर देता है। हालात मरने जैसे हो जाते हैं। इसलिए भुखमरी का नाम सुनते ही डर लग जाता है। अब जरा सोचिए उन लोगों के बारे में जो 2 वक्त की भूख मिटाने के लिए हर दिन संघर्ष करते हैं। भूख से लड़ना दुनिया की अहम जिम्मेदारियों में से एक है। भूख को मापने के लिए कैलोरी इकाई का इस्तेमाल किया जाता है। एक तयशुदा मात्रा से कम कैलोरी के भोजन का सेवन भूख की कैटेगरी में आता है। जिसकी वजह से अल्पपोषण और कुपोषण जैसे परिणाम निकलकर आते हैं।
क्या होता है ग्लोबल हंगर इंडेक्स?
कैलोरी के इसी पैमाने के आधार पर हर साल वैश्विक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को मापने के लिए ग्लोबल हंगर इंडेक्स का प्रकाशन होता है। साल 2020 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स प्रकाशित हो चुका है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की स्थिति बहुत ही खराब है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107 देशों के बीच भारत 94 पायदान पर है। भारत से 21 पायदान ऊपर नेपाल है और 19 पायदान ऊपर बांग्लादेश जैसे देश है। भारत भूख के लिहाज से ग्लोबल हंगर इंडेक्स के गंभीरता की स्थिति वाली कैटेगरी में है।
कैसे मापा जाता है ग्लोबल हंगर इंडेक्स?
4 तरह के पैमानों के जरिये ग्लोबल हंगर इंडेक्स को मापा जाता है। पहला पैमाना ये है कि आबादी में कितना बड़ा हिस्सा अल्पपोषण का शिकार है। यानी कुल आबादी में कितने लोग जरूरी कैलोरी से कम कैलोरी लेकर जीवन जी रहे है। दूसरा पैमाना चाइल्ड वेस्टिंग से जुड़ा होता है। इसका मतलब ये हुआ कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कितने बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लंबाई के हिसाब से कम है। तीसरा पैमाना चाइल्ड स्टांटिंग से जुड़ा होता है। इसका मतलब ये है कि 5 साल की उम्र से कम के बच्चों में कितने बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई उनके वजन के मुताबिक नहीं है। और सबसे अंतिम पैमाना चाइल्ड मोर्टालिटी से जुड़ा होता है। इसका मतलब ये कि 5 साल से कम उम्र के कितने बच्चे 5 साल से पहले मर जाते हैं।
लगातार गिरती जा रही है भारत की स्थिति
साल 2000 में भारत दुनिया के 113 देशों के बीच 83वें पायदान पर था। साल 2019 में घटकर दुनिया के 117 देशों के बीच 102 वें पायदान पर आ गया। भारत की तकरीबन 14 फीसदी आबादी को उतना भोजन नहीं मिलता जितने की उसको जरूरत है। 5 साल से कम उम्र के तकरीबन 18 फीसदी बच्चों का वजन अपनी लंबाई के हिसाब से कम है। 5 साल से कम उम्र के बीच मृत्यु दर 3 से 4 फीसदी के आसपास है।
ग्लोबल हगर इंडेक्स के मुताबिक भारत में करीबन 135 करोड़ यानी अफ्रीका महाद्वीप से भी ज्यादा लोग रहते हैं। अधिकतर महिलाएं हाशिए पर मौजूद होने के बावजूद हाशिए की तरफ ही बढ़ती जाती है। निचली जाति के लोगों में बहुत बड़े स्तर पर गरीबी है और इन सब की पहुंच न तो स्कूल तक है और ना ही स्वास्थ्य सुविधाओं तक। ये सब मिलकर भारत की भूख की गंभीर स्थिति के कारण बनते हैं।
बाकी देशों का क्या है हाल?
भारत कई सारे पड़ोसी देशों से भी पीछे चल रहा है और वो भी उन देशों से जिनसे हमेशा मुकाबला किया जाता है और तुलना की जाती है। सबसे बड़ा नाम तो पाकिस्तान का है, हमारे नेता सबको पाकिस्तान भेजने पर उतारू रहते हैं लेकिन पाकिस्तान भारत से बेहतदर स्थिति पर है। नेपाल की भी खूब खिल्ली उड़ाने वाले अब चुप रहेंगे? अभी चंद रोज पहले ही बांग्लादेश हमारे से आय में भी आगे निकला था और अब भुखमरी में भी बेहतर है। वहीं जो देश हमारे से पीछे हैं उनमें मात्र 13 देश है। वो भी नाइजीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया जैसे देश। अब लगता है कि हमें इन्हीं देशों से मुकाबला करने की जरूरत पड़ेगी।