नई दिल्ली:
अगर आपका जन्मदिन हो और उस दिन कोई दुर्घटना हो जाए और आप जन्मदिन ना मना पाएं तो दुःख होता है. ऐसे ही योगा डे के दिन अगर योग वाले लोग उसे ना मना पे तो दुःख होता है. बस यही बात हमारे जिल्ले लाही पर worldtourismday पर लागू होती है. पीएम ने लोगों को इस दिन की शुभकामनाएँ तो दी लेकिन भारी मन से और कहा कि मैं एक दिन आऊंगा, मैं वापिस आऊंगा…
ऐसे समझिये दुःख:
worldtourismday पर टूरिज्म के सबसे बड़े एम्बेसडर को अपने आवास पर रहकर ये दिन मनाना पड़ रहा है. अब बताइए ये कितने दुःख की बात है. अगर आज सब खुला होता तो हुजुर किसी देश में सूट पहनकर इस दिन को मना रहे होते. इस मौके पर उन्होंने संबोधन के दौरान कहा कि “भाईओं-बहनो आज का दिन मेरा दिन है और सिर्फ मेरा ही दिन है.
आज के दिन घूमने वालों के मन में जो ख़ुशी होती है उसे मैं महसूस कर सकता हूँ लेकिन इस मौके पर वो कहीं जा सकते हैं. इसका दुःख भी मैं अंतर्मन से महसूस करता हूँ. टूरिज्म के सेक्टर में दुनिया मेरे योगदान को याद रखे इसके लिए मैं सरकार से कहूँगा की इसे भी सेवा सप्ताह के रूप में मनाना शुरू कर दे.
ये कोरोना कितना बड़ा संकट बनकर आया है आज मुझे मसहूस हो रहा है. मेरी तरह हजारों की संख्या में वो लोग जो एक जगह से दूसरे जाते रहते हैं उनके मन में भी इस कोरोना के प्रति आक्रोश होगा. इसलिए हम सबने ये ठाना है की इस कोरोना को ज्यादा दिन तक नहीं रहने देंगे. अगले टूरिज्म डे से पहले इसे भी कहीं यात्रा पर भेज दिया जाएगा.
कोरोना के प्रति जताया गुस्सा:
जब कोई आपके सबसे फेवरेट दिन को खराब कर देता है तो आपके मन में कितना दुःख होता है इसका अंदाजा आप नहीं लगा सकते हैं. मैं वो दुःख महसूस कर सकता हूँ और प्रण करता हूँ की अगली बार मेरी यात्रा को रोकने की वजह कोरोना नहीं बनेगा. अब बताइए भाई कोरोना ने किसी का इतना बड़ा प्लान कैंसिल कर दिया उससे उसे दुःख तो होगा ही.