उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी मानसिकता और अपनी पार्टी की मानसिकता को एक बार फिर से दर्शा दिया है। योगी आदित्यनाथ का मानना है कि महिलाओं का चौराहे पर बैठ कर धरना प्रदर्शन करना लज्जाजनक है। लेकिन ये महिलाएं घरों से निकल कर विरोध कर रही है और पितृसत्ता की तमाम बेड़ियों को तोड़ रही है। ये महिलाएं उस सोच, समाज को ठेंगा दिखा रही है जो मानते हैं कि औरत चार दिवारी में रहती है और उसे हर पल मर्दों के संरक्षण में रहने की जरूरत है। इसी मानसिकता के खिलाफ बहुत लंबे समय से महिलाएं लड़ रही है। लेकिन योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री इन महिलाओं की लड़ाई को कमजोर कर देते हैं।
महिलाओं के लिए बोले योगी
दरअसल सीएम योगी ने कानपुर की एक रैली में कहा – इतना बड़ा अपराध…पुरूष घर में रजाई ओढ़कर सो रहा है और महिलाओं को आगे करके चौराहे पर बैठाया जा रहा है। कितना लज्जाजनक है… कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी दलों के लिए। विरोध कर रही महिलाओं को मालूम ही नहीं है कि सीएए क्या है? वो लोग धरने पर बैठे हैं। आप जब उनसे पूछेंगे कि आप धरने पर क्यों बैठे हैं तो वो कहेंगे कि घर के मर्द ने कहा है। लेकिन योगी आदित्यनाथ का ये कथन असलियत से बहुत दूर है। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में पूरे देश में महिलाओं ने ही मोर्चा खोल रखा है। इस विरोध में महिलाओं की भूमिका बताती है कि अब उन्होंने डरना और पीछे रहना बंद कर दिया है। दिल्ली के शाहीन बाग से शुरू हुआ महिलाओं का आंदोलन आज देश के हर छोटे-बड़े इलाकों तक पहुंच गया है। कोलकाता के पार्क सर्कस से लेकर उत्तर प्रदेश के घंटाघर तक, बिहार के गया से उत्तराखंड के हल्दवानी तक हर जगह महिलाएं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश में इस आंदोलन का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। अलीगढ़, इलाहाबाद, वाराणसी, लखनऊ समेत कई इलाकों में महिलाएं सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ की चेतावनी और 1200 प्रदर्शकारियों पर केस दर्ज होने के बावजूद भी महिलाएं सड़कों पर हैं, वो आजादी के नारे लगा रही हैं और सरकार से लगातार सवाल कर रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अलीगढ़ में 60 महिलाओं, प्रयागराज में 300 महिलाओं, इटावा में 200 महिलाओं और 700 पुरुषों पर केस दर्ज किया है। केस दर्ज होने के बाद भी लखनऊ के घंटाघर से लेकर इलाहाबाद के मंसूर अली पार्क में प्रदर्शन जारी है। रायबरेली के टाउनहॉल में भी महिलाएं प्रदर्शन हो रहा है।
क्या कहा महिलाओं ने
वहीं महिलाओं ने भी इस पर आपत्ति जताई है और कहा कि सीएम भले ही कह रहे हों कि मर्दों ने औरतों को आगे किया है लेकिन वो शायद भूल रहे हैं कि इस देश में लक्ष्मीबाई और सावित्रीबाई फुले जैसी कई महिलाएं थीं जिन्होंने अपने हक के लिए कई हजारों मर्दों का मुकाबला किया है। महिलाओं का चौराहे पर बैठना नहीं, आपकी सोच लज्जाजनक है योगी जी। उधर उत्तराखंड के हल्द्वानी की महिलाओं ने भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। यहां पर सैंकड़ों महिलाएं चौराहे पर धरने पर बैठी है। यहां पर कुछ दलों से जुड़ी महिलाओं ने भी धरना स्थल पर आकर प्रदर्शन किया।
केंद्र सरकार ने देश भर में जारी तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच भले ही नागरिकता संशोधन कानून 10 जनवरी से लागू कर दिया हो, लेकिन इसे लेकर शुरू हुआ विवाद अभी भी जारी है। रोजाना प्रदर्शनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। छात्रों से लेकर आम नागरिक, बुजुर्ग तक इस आंदोलन में शिरकत कर रहे हैं तो वहीं इसकी खास बात ये है कि इसका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। दिल्ली के शाहीन बाग के धरने को हटाने और बचाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अब ये धरना रहे न रहे, इसने अपना काम कर दिया। शाहीन बाग की बदौलत देश में कई जगह शाहीन बाग जैसे मोर्चे खुल गए हैं।