Headline

सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

जोमैटो डिलीवरी वालों का धर्म ज्यादा अहम तो इस्तीफा दो, जरूरतमंद को नौकरी मिलेगी

Logic Troll Taranjeet 13 August 2019
zomato-delivery-boy-resign-hindu-muslim-wrong-propaganda-join-veg-delivery-company

जोमैटो लगातार विवादों में घिरा हुआ है, पहले मुसलमान ड्राइवर को लेकर एक अच्छी खासी लंबी बहस चली और अब कंपनी के स्टाफ ने ही उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। एक बार फिर से सांप्रदायिक रंग लेते हुए जोमैटो के डिलीवरी बॉयज ने कोलकाता में धरना प्रदर्शन किया है। पहले से ही ये लोग वेतन को लेकर आंदोलन कर रहे थे, लेकिन अब इन्होंने अपपनी मांगें बढ़ा ली है। इन कर्मचारियों का कहना है कि वो बीफ और पोर्क की डिलीवरी नहीं करेंगे। इस विवाद पर कंपनी ने भी सफाई दी है कि खाने की डिलीवरी को शाकाहारी और मांसाहारी में बांटना नामुमकिन है।

कई दिन से जारी है विवाद

कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के रहने वाले अमित शुक्ल ने मुसलमान डिलीवरी बॉय के हाथ से खाना लेने से मना कर दिया था। इसके बाद ये विवाद काफी ज्यादा बढ़ गया था और ट्विटर पर काफी ज्यादा बवाल हुआ था। तब कंपनी ने डिलीवरी बॉय का साथ दिया था। लेकिन अब कंपनी के स्टाफ ने ही उसके खिलाफ मोर्चा खोल कर एक सांप्रदायिक मुद्दे को तूल दे दी है। हड़ताल पर गए डिलीवरी करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि वो लोग गाय और सूअर के मांस की डिलीवरी नहीं करना चाहते है।

कंपनी के कर्मचारी ने कहा कि उन्होंने बार-बार कंपनी में इस बात के बारे में कहा लेकिन हमारी मांगें नहीं सुनी जा रही है और हमें अपनी इच्छा के खिलाफ इन दोनों चीजों की डिलीवरी के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसे में हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।

हिन्दू डिलीवरी बॉय का कहना है कि बीफ की डिलीवरी करना उनके धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।

वहीं एक मुसलमान डिलीवरी बॉय ने कहा कि पोर्क की डिलीवरी करना हमारी धार्मिक भावनाओं के खलाफ है। हमें ये तय करने का अधिकार होना चाहिए कि जो खाना हमारे धर्म के प्रतिकूल है उसकी डिलीवरी करें या नहीं।

स्टाफ का विरोध बेतुका

हाल ही में जब अमित शुक्ला ने मुसलमान के हाथ से खाना लेने से मना कर दिया था, तो उसकी काफी किरकिरी हुई थी। इस विवाद पर कंपनी की तरफ से आधिकारिक बयान दिया गया था, जिसमें कहा था कि खाने का कोई धर्म नहीं होता है वो खुद ही एक धर्म है। लेकिन अब उसके स्टाफ के द्वारा ही किए गए इस बीफ-पोर्क विवाद ने कंपनी को परेशानी में डाल दिया है।

हालांकि शायद ये लोग भूल गए हैं कि इनका काम खाना लोगों के घर पहुंचाना है इन्हें खुद खाने के लिए किसी ने नहीं बोला। ऐसी ही कुछ प्रतिक्रियाएं लोगों की सोशल मीडिया पर भी आ रही है, कुछ ने तो इन डिलीवरी बॉयज को सलाह दी है कि वो नौकरी बदल लें और किसी शाकाहारी कंपनी में जॉब करें। इन लोगों के इस कदम को बचकाना ही कहा जाना उचित होगा, क्योंकि इन लोगों का बीफ और पोर्क डिलीवर करने से मना करना बेहद ही बेतुका है। इनकी धार्मिक बावनाएं आहत शायद तब होती जब इन्हें ये खाना होता, लेकिन एक सील पैक पार्सल को डिलीवर करने में कैसे किसी की भावनाएं दुख सकती है।

क्यों नहीं दे देते इस्तीफा?

इन लोगों के पास अपने हक के लिए आवाज उठाने का हक है तो वहीं बाकी नागरिकों के पास भी अपनी पसंद के खाने को चुनने का अधिकार है, जैसे कि पहले भी जोमैटो ने ट्वीट कर कहा था कि खाने का कोई धर्म नहीं होता है, ठीक उसी तरह से इस बार भी ये लागू होता है।

वहीं अगर इसके बाबजूद भी इन लोगों को लगता है कि इनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है तो इन्हें नौकरी छोड़ने का पूरा हक है, वैसे भी हमारे देश में बेरोजगारी भी काफी ज्यादा है, इसी बहाने किसी जरूरतमंद को नौकरी मिलेगी और उसके घर में खाना पक सकेगा।

इन लोगों की बेतुकी मांगों से बेहतर विकल्प लोगों ने फेसबुक पर दिया है जिसमें कहा है कि ये नौकरी छोड़ या फिर जोमैटो ही इन्हें निकाल दे, क्योंकि और बहुत से लोग है जो इनकी नौकरी करना चाहेंगे।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.