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All around the world, thousands of markets have millions of tents, and an Arabic tent still lists at the top position and astonishing part of Arabic tents.

Taaza Tadka

धर्मांध आडंबन की पराकाष्ठा: गंगा जी के बाद अब पीपल के पेड़ की बारी

हुज़ूर चवन्नी के पेड़े और डालडा से भी बत्तर देशी घी का पैकेट पूजा में उपयोग करते हुए तुम किसको भगवान में आस्था रख के मूल्यों को पहचानने की बात करते हो ?
Blog Durga Prasad 22 June 2017

हिंदू धर्म में देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा की जाती है। उनकी चित्रों की पूजा की जाती हैं। सबसे ज्यादा माला फूल भी प्रयोग किया जाता है । यहाँ तक तो ठीक है, लेकिन बाद की स्थिति बहुत ही दयनीय और शर्मनाक है।

इन सभी चीजों को प्रयोग के बाद कहीं भी फेंक दिया जाता हैं, जोकि बहुत ही शर्मनाक है और मुझे अचरज है कि किसी भी हिंदु संघटन का ध्यान इस तऱफ नहीं जाता हैं, या जानबूझकर ध्यान नहीं दिया जाता हैं। अक्सर इन चीजों पर लोगों के पैर पड़ते हैं |

जो लोग अक्सर इन मूर्तियों के लिए लड़ जाते हैं, क्या उनको यह दिखाई नहीं देती हैं ? गों से अनुरोध हैं कि उतनी ही माला फूल, मूर्तियां या भगवान की चित्र ले, जितना उनका उचित कृपया सभी से अनुरोध हैं कि एक बार जरूर ध्यान दे।

यह हम सभी की कर्तव्य है कि लोगों का ध्यान इस ओर दिलाये। साथ ही सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। पहले लोग टूटी हुई मूर्तिया, टूटे फूटे तस्वीर, माला फूल इत्यादि को गंगा जी या तालाब पोखरों में डाल देते थे, पर अब कुछ समय से, जब से सरकार कुछ सख्त हुई है, लोग अब इन सब चीजो को यहाँ नहीं डाल पाते हैं इसलिये भी अब यह सड़को पर, किसी पीपल के पेड़ के नीचे या कूड़े के ढेर पर मिल जाते हैं।

क्या हम हर साल एक ही मूर्ति से पूजा नहीं क़र सकते हैं ? क्यों जरुरत पड़ती है हर साल अपनी पूंजी को उस जगह लगाने की जिसका २ दिन बाद ही तुम अनादर करते हो | अब ये ना कहना की अपनी कमाई का सबसे अमूल्य हिस्सा तुम भगवान की भक्ति में खर्च करते हो तो इसमें हर्ज़ क्या है ?
हुज़ूर चवन्नी के पेड़े और डालडा से भी बत्तर देशी घी का पैकेट पूजा में उपयोग करते हुए तुम किसको भगवान में आस्था रख के मूल्यों को पहचानने की बात करते हो ?

बड़ा ही आसान है किसी भी घर में पूजा वाले दिन ये सुनना कि, “ यदि तुमलोग को खाना हो तो अच्छा मीठा लेना वरना श्यामलाल की दुकान  में सबसे सस्ता जो पेड़ा है वो ले लेना ”

यह कहाँ तक सही है कि, सफाई करने कि फिराक में पहले मूल्यवान मूर्तियों और भगवान् के चित्रों को खरीदो फिर उनको कही भी फेक दो | अरे बाबा मैं तो कहता हूँ हर साल इस तरह से खरीद फरोख्त करके पैसा लगाने और फिर देवी देवताओ के चित्रों का सफाई अभियान के फलस्वरूप अनादर करने का क्या फायदा ?

कृपया ऐसा ना करें और ना ही दूसरों को करने दें।अगर आप ऐसा करते हैं तो सच मानिये आप को कभी पूजा पाठ करने की जरूरत नहीं है।

क्योकि तब आपसे बड़ा कोई दूसरा नहीं है।