तीन तलाक का मसला है की थमने का नाम ही नहीं ले रहा. जहा एक तरफ लगभग सारी राजनैतिक पार्टियां इस बात के पक्ष में हैं की तीन तलाक को रोक जाना चाहिए वहीँ इस्लाम धर्म के कई मौलानाओं और मुल्लों का आज भी ये मानना है की ये मसला उनके धर्म का निजी मसला है और इसपर सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
बीजेपी ने जैस ही इसको पिछले उत्तर प्रदेश के चुनाव म इसको एक राजनैतिक मुद्दा बनाया, इस मुद्दे पर चर्चा फिर से गरम हो गयी है. बीजेपी और कई अन्य पार्टियों का ये मानना है की ये एक महिला अधिकार का मामला है जिसमे सरकार को सही कदम लेने की जरुरत है.
ऐसा भी माना जाता रहा है की पिछले उत्तर प्रदश में मुस्लिम महिलाओं ने जमकर बीजेपी को वोट दिए हैं क्योंकि ये लगभग हर महिला की ख्वाहिश रही होगी की यूज़ बस तीन बार तलाक कह देने मात्र से अलग नहीं किया जा सकता.
पिछले कई दिनों से चर्चे में रहे टीवी के एक शो फ़तेह का फतवा के एक एपिसोड में ये बात खुलकर सामने आयी है की इस्लाम में कही भी इस बात का जिक्र नहीं है की तीन बार तलाक कह देने मात्र से पति पत्नी में तलाक संभव है.
ऐसा होने के बावजूद भी देश के कई इस्लामिक संगठन और मौलानाओं का जहाँ एक तरफ तीन तलाक को समर्थन मिल रहा है वहीँ बीजेपी ने अपना रुख साफ करते हुए ये बताया है की देश में महिला अधिकार को ध्यान में रखते हुए इसपर रोक या फिर बदलाव की जरुरत है.
आपको बता दें की विश्व के कई इस्लामिक देशों में भी तीन तलाक पूरी तरह से बैन है या फिर इसके क़ानून में जरुरत अनुसार परिवर्तन किये गए हैं. इन देशों में एक नाम हमारे पड़ोसी देश पकिस्तान का भी है जहाँ इस्लाम की कट्टरवादिता के बावजूद तीन तलाक को नहीं माना जाता है.
अब यही उम्मीद कर सकते हैं की देश में मौजूदा सरकार इसपर जल्दी ही कोई बड़ा और कारगर फैसला सुनाये.